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रमजान विशेष : जानिए क्यों एक हजार रातों से अफजल है शबे कद्र

शबे कद्र मुकद्दस महीने रमजान में आने वाली बड़ी मुबारक रात है। कुरान करीम में पूरी एक सूरत इसी की फजीलत में नाजिल हुई है जिसमें शबे कद्र की रात को एक हजार रातों से अफजल करार दिया गया है।

Rishi
Published on: 4 May 2019 3:28 PM IST
रमजान विशेष : जानिए क्यों एक हजार रातों से अफजल है शबे कद्र
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लखनऊ : शबे कद्र मुकद्दस महीने रमजान में आने वाली बड़ी मुबारक रात है। कुरान करीम में पूरी एक सूरत इसी की फजीलत में नाजिल हुई है जिसमें शबे कद्र की रात को एक हजार रातों से अफजल करार दिया गया है। बुखारी व मुस्लिम शरीफ पुस्तक में हजरत अबू हुरैरा रजि. से रिवायत है कि रसूल अल्लाह स.अ.व ने फरमाया कि जो शख्स शबे कद्र में इबादत के लिए ईमान व अखलास के साथ खड़ा रहा उसके तमाम पिछले गुनाह माफ हो गए।

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एक रिवायत में है कि सरकारे दो आलम स.अ.व ने इरशाद फरमाया कि जब शबे कद्र आती है तो जिब्रईल अले. मलाईका (फरिश्ते) की एक जमात के साथ उतरते है और उन सभी लोगों के लिए रहमत की दुआ करते है जो इस रात में खड़े हुए या बैठे हुए अल्लाह के जिक्र में लगे हुए है।

एक हदीस में यह भी है कि सरकारे दो आलम स.अ.व ने फरमाया कि जब शबे कद्र होती है तो अल्लाह तआला जिब्रईल अले. को हुक्म देते है कि वह फरिश्तों के झुरमुट में जमीन पर उतरते है और फरिश्ते हर उस बंदे को सलाम करते है और उनकी दुआओं पर आमीन कहते है जो इबादत में मशगूल होते हैं। यहां तक कि सुबह हो जाती है इसके बाद जिब्रईल फिर उन फरिश्तों से कहते है कि बस अब चलो, फरिश्ते पूछते है कि अल्लाह तआला ने मोमिनों के बारे में क्या फैसला फरमाया तो जिब्रईल कहते है कि अल्लाह तआला ने उन्हें अपनी रहमत से माफ कर दिया है सिवाय चार शख्सों के एक वो जो आदतन शराब पीता है, दूसरा वह जो मां-बाप की नाफरमानी करते है, तीसरा कता रहमी (तअल्लुक तोडऩे) वाला तथा चैथा वह जो किसी से किनाह (द्वेष) रखता हो।

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शबे कद्र किस रात में है

यह निर्धारित है कि शबे कद्र रमजानुल मुबारक के महीने में आती है लेकिन किस रात में है यह निर्धारित नहीं है। इस सिलसिले में साहबे तफसीर मजहरी ने लिखा है कि सही बात यह है कि शबे कद्र रमजान मुबारक के आखिरी अशरे (आखिरी दस दिन) में होती है लेकिन आखिरी अशरे की कोई विशेष तिथि निर्धारित नहीं है। आखिरी दस रातों में से खास ताक रातों यानी 21,23,25,27,29वीं शब में अहादीस सहीहा में होने की अधिक उम्मीद है।

सही बुखारी में हजरत आयशा सिद्दीका रजि. की रिवायत है कि सरकारे दो आलम स.अ.व ने इरशाद फरमाया शबे कद्र को रमजान के आखिरी अशरे में तलाश किया करो। सही मुस्लिम में हजरत सुफियान बिन एैनिया रजि. की रिवायत में है कि सरकारे दो आलम स.अ.व ने इरशाद फरमाया कि शबे कद्र को रमजान के अशरा-ए-आखिर की ताक रात में तलाश करो।



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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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