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अंधविश्वास का ऐसा खेल: चुड़ैल बताकर देवर ने भाभी को गर्म चिमटे से दागा, हुई मौत
ग्रामीणों ने बताया, “दुर्वेश घर से बाहर निकालता था तो उसके पास कोई न कोई धारदार हथियार जरूर होता था। उसका व्यवहार भी बदला सा होने के कारण गांव के लोग दुर्वेश और उसके परिवार से ज्यादा बात नहीं करते थे।"
शाहजहांपुर: भारत भले ही आधुनिकता की दुनिया में जी रहा है, लेकिन देश के कई ऐसे हिस्से है, अंधविश्वास जैसी परम्पराएं आज भी कायम है। कुछ ऐसा ही मामला उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर से सामने आया है, जिसे जानकर आपके होश उड़ जाएंगे। बता दें कि खुद को तांत्रिक कहने वाले देवर ने अपने भाभी को गर्म चिमटे से जलाकर मार दिया। स्थानीय लोगों ने इसे कथित तांत्रिक का मामला बताया है।
क्या है मामला
जानकारी के मुताबिक, यह मामला शाहजहांपुर के कहमारा गांव का है, जहां दुर्गेश और उसका परिवार चर्चाओ में बना हुआ था। बता दें कि दुर्गेश 6 भाई थे। गरीबी के कारण सभी भाई फेरी लगाकर सामान बेचते हैं। वहीं, उसके परिवार की कई महिलाओं का मानसिक स्थिति ठीक नहीं था। उनके इलाज के बदले उन्हें अंधविश्वास का सहारा लिया जाता था। इसी बीच दुर्गेश का संपर्क तांत्रिक देवधर से हुआ। देवधर ने दुर्गेश को तांत्रिक बनाने का झांसा दिया। इसके बाद दुर्गेश कथित तांत्रिक होने का दावा करने लगा। वहीं पिछले कुछ दिनों में दुर्गेश के घर से महिलाओं की चींखने की आवाजें आने लगी। दुर्गेश और परिवार के बदलते रवैये को देखते हुए गांव वाले उससे दूर रहने लगे।
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चुड़ौल बताकर गर्म चिमटे से दागा
एक दिन दुर्गेश के बड़े भाई ने सर्वेश ने उसे संतान न होने की बात बताई। तब दुर्गेश ने इसके बारे में देवधर से बात की, तो उसने दुर्गेश को उसकी भाभी पर किसी चुड़ौल के साये के होने की बात कही। फिर देवधर उसे टोटका बताया। देवधर के अनुसार, दुर्गेश ने अपने बड़े भाई के साथ मिलकर अपने भाभी को गर्म चिमटे से दागना शुरू किया। दुर्वेश ने अपने भाई से कहा, “जलने से शारदा को कोई कष्ट नहीं होगा और पिटाई से चोट भी चुड़ैल को ही लगेगी।”
शारदा की हुई मौत
वहीं इस मामले पर ग्रामीणों ने बताया, “दुर्वेश घर से बाहर निकालता था तो उसके पास कोई न कोई धारदार हथियार जरूर होता था। उसका व्यवहार भी बदला सा होने के कारण गांव के लोग दुर्वेश और उसके परिवार से ज्यादा बात नहीं करते थे। एक तरह से दुर्वेश और उसका परिवार गांव के लोगों से कट सा गया था।” गर्म चिमटे से दागें जाने के कारण 27 फरवरी को शारदा की मृत्यु हो गई।
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