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जूता मार होली: यहां के अजीब रिवाज जान, हैरत में पड़ जाएंगे आप

होली पर्व आने वाला है। अभी तक आपने फूल की होली लट्ठमार होली या फिर अलग अलग अंदाज में मनाई जाने वाली होली देखी या सुनी होगी।

Roshni Khan
Published on: 8 Feb 2020 11:42 AM IST
जूता मार होली: यहां के अजीब रिवाज जान, हैरत में पड़ जाएंगे आप
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जूता मार होली: यहां के इस अजीब रिवाज जान, हैरत में पड़ जाएंगे आप

आसिफ अली

शाहजहांपुर: होली पर्व आने वाला है। अभी तक आपने फूल की होली लट्ठमार होली या फिर अलग अलग अंदाज में मनाई जाने वाली होली देखी या सुनी होगी। लेकिन आज हम आपको अनोखी होली के बारे में बताने जा रहे है। ऐसी होली आपने देश तो क्या पूरी दुनिया में नहीं देखी होगी। दरअसल यूपी का एक मात्र ऐसा जिला शाहजहांपुर है। जहां जूता मार होली खेली जाती है। यहां एक खास जुलूस निकाला जाता है। जिसका नाम लाॅट साहब का जुलूस रखा गया है।

यहां की होली को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराने के लिए दर्जनों मीटिंग होती है। सभी समुदायों को बुलाया जाता है। उसका कारण है कि जुलूस मे जिसको लाॅट साहब की उपाधी दी जाती है। वह मुस्लिम समुदाए से होता है और जुलूस के दौरान उसको नग्न अवस्था में जूते चप्पल मारे जाते है।

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जूते मार होली यूपी के शाहजहांपुर जिलेमें खेली जाती है

जूते मार होली यूपी के शाहजहांपुर जिलेमें खेली जाती है। जानकार बताते है कि जूते मार होली अंग्रेजों द्वारा किए गए जुल्म का विरोध करने के लिए खेली जाती है। होली के दिन सुबह तक सभी लोग होली खेलते है। उसके बाद करीब 10 बजे पारम्परिक लाॅट साहब का जुलूस निकाला जाता है। इस जुलूस में हजारों की तादाद में लोग इकट्ठा होते है। उसके बाद लाॅट साहब को नग्न हालत में भैंसा गाड़ी पर बैठाया जाता है। उसके गले में जूते चप्पल की माला डाली जाती है। फिर उसको अपने तय रास्ते पर घुमाया जाता है।

इतना ही नहीं भैंसा गाड़ी पर जुलूस कमेटी के सदस्य बैठे होते है। जो लाॅट साहब को जूते चप्पल और झाड़ू मारते हुए चलते है। लाॅट साहब जब गलियों से गुजरते है। इंतजार में महिलाए भी खड़ी रहती है। क्योंकि वह भी लाॅट साहब का स्वागत करने के लिए छत पर से बाल्टी भर भरकर रंग फेंकती है। हालांकि सरेआम एक शख्स को लाॅट साहब बनाकर रास्ते भर पीटा जाता है। साथ में चलता पुलिस फोर्स भी कुछ नही कर सकता। क्योंकि ये काफी पुरानी परंपरा चलती आ रही है।

वैसे तो होली के दिन निकलने वाले लाॅट साहब के जुलूस को अंग्रेजों द्वारा किये गए जुल्म के विरोध बताया जाता है। लेकिन जुलूस के दौरान कई बार दोनो समुदाय आमने सामने आ चुके है। उसका कारण है कि जब कोई धार्मिक स्थल रास्ते मे पड़ता है तब कुछ शराबी हुडदंगी धार्मिक स्थल पर रंग डालने की कोशिश करते है। जिसका विरोध दूसरा समुदाय करता है। हालांकि कुछ जगह ऐसी भी है। जहां से जुलूस निकलता है। वहां पर दूसरे समुदाए के लोगों का खड़ा होना फजूल का होता है। लेकिन वहां पर आकर खड़े होते है और देखते ही देखते नौबत गालीगलौज तक पहुंच जाती है।

पुलिस प्रशासन कई हफ्ते पहले होमवर्क करना शुरू कर देता है

हालांकि होली मे निकलने वाले लाॅट साहब के जुलूस को शांतिपूर्ण संपन्न कराने के लिए पुलिस प्रशासन कई हफ्ते पहले होमवर्क करना शुरू कर देता है। सभी थानों में लगातार मीटिंग शुरू कर दी जाती है। आसपास के रहने वाले सभी धर्मो के बुजुर्ग और सम्मानित लोगों को थाने बुलाया जाता है। जहां पीस मीटिंग करके उनसे लाॅट साहब का जुलूस शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो। इसके लिए सुझाव भी मांगे जाते है।

वहीं डीएम और एसपी भी लगातार पैदल गश्त करके लोगों से शांति व्यवस्था बनाये रखने की अपील करते है। शाहजहांपुर का होली पर्व पर निकलने वाला लाॅट साहब के जुलूस के कारण अति संवेदनशील भी माना जाता है। यही कारण है कि कई जिलों से पुलिस बल मंगाया जाता है। बस कुछ घंटे पुलिस की सांसे रूकी रहती है। जब तक लाॅट साहब का जुलूस शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न नहीं हो जाता है।

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इस जुलूस की खास बात ये है कि जिस शख्स को होली का लाॅट साहब बनाया जाता है। उसके लिए होली से कई दिन पहले कमेटी के लोग खाने पीने का इंतजाम कर देते है। साथ ही होली से दो दिन पहले सिर्फ कमेटी के लोग ही जानते है कि लाॅट साहब कहां पर आराम फरमा रहे हैं। होली के दिन जब होली का लाॅट साहब का जुलूस निकाला जाता है। उस दिन लाॅट साहब को चौक कोतवाली के अंदर लाया जाता है। जहां उसको लाॅट साहब बनने की खुशी में पैसे दिए जाते है। नये कपड़े के जोङे और शराब तोहफे मे दी जाती है। उसके बाद सैंकड़ों की भीड़ कोतवाली के अंदर होती है। उसके बाद कोतवाल साहब लाॅट साहब को सलामी देते है। सलामी के बाद लाॅट साहब का जुलूस अपने तय रास्ते पर निकाला जाता है।



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Roshni Khan

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