TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

शंकराचार्य ने सीएए पर केंद्र सरकार को घेरा, कही ऐसी बड़ी बात

नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में हाल ही में हुई हिंसा किसी भ्रांति के कारण नहीं बल्कि एक कूटनीति व षड्यंत्र का परिणाम थी। देश के विपक्षी दलों ने इसमें...

Deepak Raj
Published on: 13 March 2020 8:05 PM IST
शंकराचार्य ने सीएए पर केंद्र सरकार को घेरा, कही ऐसी बड़ी बात
X

एटा/कासगंज। नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में हाल ही में हुई हिंसा किसी भ्रांति के कारण नहीं बल्कि एक कूटनीति व षड्यंत्र का परिणाम थी। देश के विपक्षी दलों ने इसमें विपक्षी दल के स्थान पर विरोधी व बैरी दल की भूमिका निभाई। यह कहना है पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद जी सरस्वती का।

ये भी पढ़ें-सरकार का बड़ा फैसला: इन 7 देशों से आने वाले यात्रियों को यहां रखे जाने व्यवस्था

शंकराचार्य शुक्रवार को कासगंज में संवाददाताओं के प्रश्नों के उत्तर दे रहे थे। एक संवाददाता के सीएए विरोध का कारण भ्रांति कहे जाने पर शंकराचार्य जी एक रूपक के माध्यम से इसे षड्यंत्र करार दिया।

जगद्गुरू के अनुसार कोई अंगूर की बेल पर लगे पके अंगूर...

जगद्गुरू के अनुसार कोई अंगूर की बेल पर लगे पके अंगूर देख उन्हें जानबूझकर खट्टा कहे तथा इसका प्रतिवाद करने पर अपनी बात बदलकर दावा करे कि में अपने अनुभव तथा प्रमाणिक रूप से निरीक्षण के बाद कह रहा हूं कि भले ही ये अंगूर मीठे ही हैं। किन्तु जो इन्हें खाएगा, मरे बिना नहीं रहेगा।

ये भी पढ़ें-मोदी सरकार ने लागू किया ये नया कानून, इग्नोर करना पड़ेगा भारी

शंकराचार्य के अनुसार ऐसा ही कुछ इस बिल के विषय में हुआ है। स्वामीजी का प्रश्न था कि किसी दल के हाईकमान से तो यह अपेक्षा होती है कि इनमें कुछ अकल-शकल होगी। किन्तु जब वही उन्माद फैलाता है तो इसे भ्रांति नहीं षड्यंत्र ही कहा जाएगा।

निश्चलानंद जी का विपक्ष पर सवाल था कि कम से कम कांग्रेस, सपा, बसपा, आप इत्यादि दलों के अधिनायक व मुख्य नेता तो इसके विषय में समझते होंगे ही। इतना प्रधानमंत्री व अन्य मंत्रियों ने उद्घोषित किया, उसके बाद तो कम से कम उसके मौलिक रूप को समझते होंगे।

सोच में कोई त्रुटि है तो उसे अंकित करने की आवश्यकता है...

अगर उनकी (केन्द्र सरकार की) सोच में कोई त्रुटि है तो उसे अंकित करने की आवश्यकता है। महाराज जी ने पुनः एक रूपक का सहारा लेकर इस बिल पर भड़कानेवालों पर निशाना साधते हुए कहा कि जब वह वृंदावन में रहते थे तो वहां के दावानल कुंड में एक दिन सैकड़ों मछलिया मरी पायी गयीं।

इस बारे में एक जानकार से सवाल किया तो उसका उत्तर था कि बीते दो वर्ष से यहां वर्षा न होने के बाद इस बार मूसलाधार वर्षा हुई है। ये मछलियां गंदे पानी में रहने के स्वभाव के कारण शीतल, मधुर, पेय नये जल की सहिष्णुता न सह पाने के कारण मरी हैं।

स्वामी शंकराचार्य का व्यंग्य था कि गंदे नाले में जिन मछलियों का जन्म होता है उनको शुद्ध मीठे जल में रख दें तो मर जाती हैं। मीठे जल में खारे सिंधु के जल की, या खारे जल में मीठे जल की मछलियां रखें तब भी ऐसा ही होता है।

स्वामीजी इस मामले में भारत सरकार को भी दोषी ठहराया

स्वामीजी इस मामले में भारत सरकार को भी इसके लिए दोषी ठहराते हैं कि जब केन्द्रीय शासन तंत्र को यह मालूम था कि जब नागरिकता संशोधन बिल हम लानेवाले हैं तो यकायक जनता के हृदय में सहिष्णुता नहीं आएगी। इसलिए बिल लाने से पूर्व उसके अनुकूल सावधानी बरत के जितने गुप्त या प्रकट प्रचार की आवश्यकता थी, उतना नहीं किया गया।

सीएए पर विपक्षी दलों की भूमिका के बारे में स्वामीजी का स्पष्ट मत था कि जब विपक्षी दलों ने अपने को विरोधी दलों के रूप में स्थापित कर लिया तो वे हमारे लिये पाकिस्तान, बंगलादेश व अरब राष्ट्रो से भी अधिक खतरनाक हो गये।

राष्ट्रहित में कोई कदम उठाती है तो उसका समर्थन करना चाहिए...

विपक्ष को राजधर्म की सीख देते हुए शंकराचार्य जी का कहना था कि इन नेताओं में इनती अकल तो होनी चाहिए कि वे (शासक दल व विपक्ष) राष्ट्र की बैलगाड़ी के दो पहिए हैं। उन्हें जो सरकार केन्द्र या प्रांत में है, वह राष्ट्र के हित के अनुकूल राष्ट्रहित में कोई कदम उठाती है तो उसका समर्थन करना चाहिए।

ये भी पढ़ें-कर्नाटक सरकार का बड़ा फैसला, स्कूल, कॉलेज, मॉल्स, थियेटर, पब, क्लब को बंद करने का आदेश

जहां उसकी (सरकारों की) दृष्टि नहीं है, वहां सावधान करना चाहिए। यही विपक्ष का दायित्व होता है। जगद्गुरू का मानना है कि राष्ट्रभक्ति व राष्ट्र के उत्सर्ग को लक्ष्य बनाकर विपक्ष होना चाहिए। जिससे राष्ट्र का अस्तित्व और आदर्श ही विलुप्त हो जाय, वह विपक्ष नहीं विरोधी व बैरी दल होगा।



\
Deepak Raj

Deepak Raj

Next Story