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Siddharthnagar News: पूरी श्रद्धा व शिद्दत के साथ मना मोहर्रम, फिज़ा में हर तरफ या हुसैन - या अली की सदाए रही गुंजायमान
Siddharthnagar News: डुमरियागंज तहसील क्षेत्र में रोजे आशूरा (मुहर्रम) पूरी शिद्दत एवं अकीदत के साथ मनाया गया। फिजा में हर तरफ या हुसैन-या अली की सदाएं गुंजायमान रही।
Siddharthnagar News: डुमरियागंज तहसील क्षेत्र में रोजे आशूरा (मुहर्रम) पूरी शिद्दत एवं अकीदत के साथ मनाया गया। फिजा में हर तरफ या हुसैन-या अली की सदाएं गुंजायमान रही। जुलूस में शामिल हर व्यक्ति गम़जदा था, तो हुसैनी शैदाईयों की आंखों से निकल रहे आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। मरसिया, मजलिस के साथ नौहा-मातम होता रहा। मातमदारों ने जलते अंगारों पर नंगे पैर मातम किया वहीं तीखी जंजीर व कमा से अपने सिरों व जिस्म पर मातम कर खून से सराबोर हो गये।
आग के अंगारों पर चलकर मातमदारों ने मनाया मातम
शनिवार को मुहर्रम पर तहसील मुख्यालय का लगभग बीस हजार से अधिक आबादी का शिया बाहुल्य कस्बा हल्लौर पूरी तरह शोकाकुल रहा। यहां के लोगों का मुहर्रम मनाने का अंदाज ही अलग रहता है। बीती शुक्रवार की रात जहां पूरे कस्बे के घरों के सामने व चौक पर छोटे बड़े ताजिए रखे गये, तो वही बड़ा ताजिया इमाम बाड़े की चौक पर रखा गया। जहां पूरी रात हर वर्ग के श्रद्धालु दर्शन व परिक्रमा करते रहे। अलख सुबह साढ़े चार बजे नमाज के बाद दरगाह प्रांगण पर आग के अंगारों पर मातमदारों ने मातम किया, नंगे पैर या हुसैन करते लोग आग पर तब तक चलते रहे जब तक आग अपना वजूद खोकर राख में तबदील नहीं हो गयी।
इसके के उपरांत कस्बे की अंजुमनों में फरोग मातम व गुलदस्ता मातम के बैनर तले अलम, जुलजनाह के साथ मातमी जुलूस निकला, जो कस्बे में गश्त करता सुबह नौ बजे इमाम बाड़ा नादिर पर पहुंच खत्म हो गया। यहां से सभी शोकाकुल लोगों ने कस्बे के उत्तर स्थित पुला की बाग में जाकर यौमे आशूरा की विशेष नमाज अदा की। नमाज के बाद दोनों अंजुमनें मुख्य चौराहा पर पहुंची। यहां आयोजित मजलिस को जाकिर जमाल हैदर, अजीम हैदर आदि ने करबला के वाकये पर वृहद रूप से प्रकाश डाला।
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मजलिस के उपरांत नौहा-मातम व जंजीर, कमा का मातम हुआ। थोड़ी देर में सड़कें मातमदारों के खून से लाल हो गई। संचालन नफीस सैय्यद ने किया। दोपहर 2 बजे के बाद ताजियादारों ने अपने-अपने ताजियों को सिर पर उठाकर पश्चिम स्थित करबला ले जाकर दफन किया। डुमरियागंज, बैदौला, समुआडीह, बनगवां, भटगवां, सिकहरा, तिलगड़िया, बेवा, वासा, जमौतिया आदि क्षेत्र में मोहर्रम श्रद्धा एवं परंपरागत तरीके से मनाया गया।