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Siddharthnagar News: सरे बाजार मारे गए थे कोड़े, पर नहीं डिगा हौंसला, कई अंग्रेजों को उतार दिया था मौत के घाट
Siddharthnagar News: डुमरियागंज के स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी स्व. हबीबुल्लाह का योगदान देश की आजादी में काफी महत्वपूर्ण रहा है। वो कई बार अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए जेल भी गए।
Siddharthnagar News: डुमरियागंज के स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी स्व. हबीबुल्लाह का योगदान देश की आजादी में काफी महत्वपूर्ण रहा है। वो कई बार अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए जेल भी गए। लेकिन स्वतंत्रता के विभिन्न आंदोलनों में उन्होंने बढ़-चढ़कर योगदान किया।
दर्जनों अग्रेजों को उतार दिया था मौत के घाट
स्वतंत्रता सेनानी हबीबुल्लाह को अंग्रेजी हुकूमत ने बगावत करने पर सरेबाजार कोड़ा मारने की भी सजा दी गई थी। हबीबुल्लाह के भतीजे तुफैल अहमद ने बताया कि देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए उनके चाचा स्व. हबीबुल्लाह ने आजादी की लड़ाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, उन्होंने क्रांतिकारियों के साथ मिलकर फिरंगियों को धूल चटाते हुए दर्जनों अंग्रेजों को मौत के घाट उतार दिया था। जिनकी समाधी आज भी डुमरियागंज में मौजूद है।
डुमरियागंज के कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हुए शहीद
तुफैल अहमद ने बताया कि आजादी की लड़ाई में डुमरियागंज क्षेत्र के करीब डेढ़ दर्जन लोग शहीद हो गए थे। परन्तु बदलते समय के साथ उन्हें भुला दिया गया है। उन्होंने कहा कि डुमरियागंज में तो सन् 1857 से ही आजादी के मतवालों के सिर पर अंग्रेजों को मौत के घाट उतारने का जुनून सवार हो गया था। आजादी की लड़ाई में स्व. हबीबुल्लाह के साथ काजी जलील अब्बासी, भगवान दत्त, श्याम चरन, सत्य बक्श सिंह, काजी अदील अब्बासी, दुर्गा प्रसाद, सत्य नरायण, बेनी माधव, रामयश, जोखू राम पाण्डेय, बलदेव राय, जोखू राम दुबे सहित डेढ़ दर्जन मतवालों ने फिरंगियों को न ही धूल चटाई बल्कि उनके अत्याचार का पूरी हिम्मत के साथ जवाब भी दिया था।
भारत छोड़ो आन्दोलन, नमक सत्याग्रह सहित कई अभियानों का रहे हिस्सा
तुफैल अहमद ने बताया कि उनके चाचा स्व. हबीबुल्लाह और उनके साथियों ने सन् 1857 के अतिरिक्त सत्याग्रह आन्दोलन, भारत छोड़ो आन्दोलन, नमक सत्याग्रह, सविनय अवज्ञा आन्दोलन, व्यक्तिगत सत्याग्रह आदि आन्दोलन में भी हिस्सा लिया। हबीबुल्लाह की सक्रियता को देखते हुए अंग्रेजी हुकूमत के सिपाही बार-बार उनके घर पर उन्हें पूछने आते थे और परिजनों को परेशान करते थे। एक बार घर पर नहीं मिलने पर गुस्साए अंग्रेज सिपाही घर का सारा सामान बाहर फेंकते हुए धमकी देकर गए थे कि अगर वह हाजिर नहीं होंगे तो अंजाम अच्छा नहीं होगा। स्वर्गीय हबीबुल्लाह के योगदान को देखते हुए सरकार द्वारा उन्हें सारी सुविधाएं दी गई थीं। आज उनके नाम पर वर्तमान में हबीबुल्लाह नगर वार्ड बना हुआ है।