TRENDING TAGS :
बिकरू कांड का सचः एसआईटी जांच में कई बड़े अफसर दोषी, करते थे मुखबिरी
एसआईटी ने करीब 3200 पन्नों की जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी है । जिसमें 700 पन्ने ऐसे हैं जिसमें दोषी पाए गए अधिकारियों और पुलिसकर्मियों की भूमिका के अलावा करीब 36 संस्तुतियां भी की गई है। इस जांच में कानपुर के तत्कालीन 80 अधिकारियों व कर्मचारियों को दोषी पाया गया है।
श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ: कानपुर के बहुचर्चित विकास दुबे कांड में गठित एसआईटी की जांच रिपोर्ट आ गई है। इस रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि घटना के पहले पुलिसकर्मियों ने ही विकास दुबे को फोन कर पुलिस के आने की जानकारी दी थी। गत 10 जुलाई को मुख्य अभियुक्त गैंगस्टर विकास दुबे के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने के बाद 11 जुलाई को एसआईटी का गठन किया गया था।
80 अधिकारी-कर्मी दाेषी
एसआईटी ने करीब 3200 पन्नों की जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी है । जिसमें 700 पन्ने ऐसे हैं जिसमें दोषी पाए गए अधिकारियों और पुलिसकर्मियों की भूमिका के अलावा करीब 36 संस्तुतियां भी की गई है। इस जांच में कानपुर के तत्कालीन 80 अधिकारियों व कर्मचारियों को दोषी पाया गया है। साथ ही उन पर कार्रवाई करने की भी संस्तुति की गई है ।
ये भी पढ़ें: Karwa Chauth: चांद को देख करवाचौथ का व्रत तोड़ती सुहागिन महिलाएं
समय पुलिस टीम पर हमला कर दिया था जब या टीम उनके घर पर दबिश के लिए गई थी। एसआईटी की जांच के घेरे में पुलिस राजस्थान आबकारी व अन्य विभागों के लगभग ५० से अधिक अधिकारियों व पुलिस कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध दिखाई गई है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से विकास दुबे के काउंटर के बाद पूरी घटना की एसआईटी से जांच कराने की बात कही थी। एसआईटी को 31 जुलाई तक का समय दिया गया था हालांकि बाद में इसे बड़ा भी दिया गया था । एसआईटी ने अपनी जांच के दौरान कई ऑडियो रिकॉर्डिंग को भी सही माना है।
ये भी पढ़ें: रैपर को ट्रंप का सपोर्ट करना पड़ा भारी, गर्लफ्रेंड ने लिया ऐसा फैसला
अपर मुख्य सचिव संजय आर. भूसरेड्डी की अध्यक्षता में गठित इस एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में प्रशासन व राजस्व विभाग के अधिकारियों के स्तर से भी कुख्यात विकास दुबे को संरक्षण दिए जाने की बात कही है। दागियों को शस्त्र लाइसेंस, जमीनों की खरीद-फरोख्त और आपराधिक गतिविधियों पर प्रभावी अंकुश न लगाए जाने के कई मामलों को रिपोर्ट में शामिल किया गया है।