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सीतापुर: बेफिक्र था हिस्ट्रीशीटर मुजीब अहमद, अब तक मिल रहा था सत्ता का संरक्षण!
पुलिस जिस मुजीब अहमद और उसके दो भाई अखलाख और छन्नू को हिस्ट्रीशीटर पेशेवर अपराधी बताकर चल अचल संपित्त जब्त करने में जुट गई है, वह फिलहाल बेफिक्र था। बेशक, पुलिस के मुताबिक मुजीब और उसके दोनों भाई माफिया अतीक अहमद के करीबी थे, अपराध कर करोडों की संपत्ति एकत्र की लेकिन सच यह भी है यह तीनों भाई अब तक बेफिक्र होकर धंधे को चमका रहे थे।
सीतापुर। पुलिस जिस मुजीब अहमद और उसके दो भाई अखलाख और छन्नू को हिस्ट्रीशीटर पेशेवर अपराधी बताकर चल अचल संपित्त जब्त करने में जुट गई है, वह फिलहाल बेफिक्र था। बेशक, पुलिस के मुताबिक मुजीब और उसके दोनों भाई माफिया अतीक अहमद के करीबी थे, अपराध कर करोडों की संपत्ति एकत्र की लेकिन सच यह भी है यह तीनों भाई अब तक बेफिक्र होकर धंधे को चमका रहे थे। जमीन, मकान, ईंट भटठा आदि का कारोबार धडल्ले से चल रहा था। खुद मुजीब और अखलाख अहमद खुलेआम घूम रहे थे। वजह ये थी कि इन सभी को सत्ता का ही संरक्षण प्राप्त था। दरअसल, राजनीतिक गलियारों में मुजीब की जडें बहुत गहरीं हैं। आज से नहीं बल्कि लगभग ढाई दशक से।
सरकार चाहे जिसकी हो, रंगबाजी बरकरार रही
मुजीब अहमद के साथ यह अवसर भी रहा कि प्रदेश में वर्तमान सरकार से पहले सपा और बसपा की सरकार लंबे समय तक रही। इन दोनों की सरकार में मुजीब की तूती बोलती रही। वह तब जबकि उस पर गुंडा एक्ट जैसे मामले दर्ज थे। पुलिस चाह कर भी सख्त कार्रवाई करने से बच रही थी। सरकारी गैर सरकारी कार्यक्रमों में उसकी भागीदारी बताती थी कि पुलिस इस हिस्ट्रीशीटर के सामने बौनी है। कोतवाली तक में उसकी मौजूदगी रहती थी। कोतवाली के कई पुलिस कर्मी उसके बगलगीर हुआ करते थे।
कमोवेश, यही हनक भाजपा की योगी सरकार में भी थी, दबे पांव सब चल रहा था। योगी सरकार के लगभग चार बीत गए लेकिन पुलिस को मुजीब की याद नहीं आई। इसके पीछे की वजह सत्ता रूढ दल के स्थानीय नेता ही हैं। संगठन का एक वरिष्ठ पदाधिकारी तो अत्यंत करीबी है। क्योंकि दोनों ने सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा कर रखा है।
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सपा बसपा के नेता भाजपा में जो आ गए
मुजीब पर अब तक लटकी तलवार हवा में ही क्यों घूम रही थी इसके पीछे दलबदलू नेताओं की क्रपा है। जो नेता पहले सपा और बसपा में थे, उनमें से कई भाजपा में आ गए और चुनाव भी जीत गए। जब वे सपा बसपा में थे तब मुजीब उनका बेहद करीबी था, लिहाजा व्यक्तिगत संबंध बरकरार रहे। लेकिन जब माफिया अतीक अहमद की बात सामने आई तो मामला स्थानीय नेताओं के हाथ से निकल गया।
सीएम योगी आदित्यनाथ के सख्त निर्देशों के तहत एसपी आरपी सिंह ने मुजीब की 75 करोड की संपत्ति जब्त करने को हरी झंडी दिखा दी। आरोप है कि यह संपत्ति अपराध कर एकत्र की गई है। संपत्ति वैध है अथवा अवैध इसका विवरण दाखिल करने के लिए फिलहाल आरोपियों को मुहलत दी गई है। जवाब संतोषजनक न हुआ तो बुल्डोजर चलना तय है।
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हिस्ट्रीशीटर था पर सामाजिक कार्यों में भी रहती थी सहभागिता
मुजीब अहमद की पत्नी महोली की ब्लाक प्रमुख रहीं हैं। खुद मुजीब सभासद रह चुके हैं। धार्मिक संगठन में प्रमुख पदाधिकारी की भूमिका भी निभाते रहे हैं। इन दायित्यों को निभाने के दौरान मुजीब को कई बार समाज सेवी के तौर पर भी देखा जाता रहा है। खास बात ये कि मुजीब और उनके भाइयों के संबंध पत्रकारों से भी बडे मधुर रहे। चूंकि तीनों भाइयों ने जैसे तैसे करके अकूत संपत्ति एकत्र कर ली थी, इस कारण उस पर नजर टिकना लाजिमी था। चर्चा कई दिन से चल रही थी कि एक न एक दिन मुजीब का आलीशान बंगला ढहा दिया जाएगा, यह मुमकिन तब और होने लगा जब मुजीब और अतीक अहमद की तस्वीर वायरल हो गई। हालांकि इस बंगले में ग्रह प्रवेश के समय दर्जनों नेताओं की मौजूदगी थी, इनमें कई विधायक भी थे। पत्रकार भी थे। व्यापारी भी थे।
फिलहाल मुजीब और उनके रिश्तेदारों की संपत्ति जब्त कर ली गई है। मुजीब भागा हुआ है। देखना ये है कि जिले में हिस्ट्रीशीटर और भी कई हैं उनके खिलाफ पुलिस किस प्रकार की कार्रवाई करती है। इनमें कई तो माननीय मंत्री महोदय के साथ भी नजर आ जाते हैं। प्रशासन ने इनका सिर्फ शस्त्र लाइसेंस निलंबित कर कार्रवाई पर विराम लगा रखा है....।