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धान खरीद अभियान: रंग दिखाएगा कृषि कानून, मंडी के आढती हलकान, पल्लेदार परेशान

सीतापुर के आढती और किसान क्या सोंचते हैं, इसे लेकर बातचीत की गई, तो यह बात सामने आई कि हाल फिलहाल किसान इस उम्मीद में हैं

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 23 Sep 2020 12:41 PM GMT
धान खरीद अभियान: रंग दिखाएगा कृषि कानून, मंडी के आढती हलकान, पल्लेदार परेशान
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किसानों की आय में बढोत्तरी करने का सपना

सीतापुर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जिस कृषि कानून के आधार पर किसानों की आय में बढोत्तरी करने का सपना देखा है, उसकी हकीकत 15 दिन के अंदर ही देखने को मिल जाएगा। राष्ट्रपति ने अगर बिल पर हस्ताक्षर कर दिया तो किसान हित को संदर्भित यह कानून अपना काम शुरू कर देगा। इसे लेकर किसानों से लेकर गल्ला मंडी के आढती और पल्लेदार तथा अन्य मजदूरों में उम्मीद एवं आशंकाएं हिलोरे मारने लगीं हैं। सीतापुर के आढती और किसान क्या सोंचते हैं, इसे लेकर बातचीत की गई, तो यह बात सामने आई कि हाल फिलहाल किसान इस उम्मीद में हैं कि उनकी उपज पहले से बहेतर मूल्य पर बिकेगी जबकि आढती इस आशंका में हैं कि कहीं उनका धंधा ही चैपट न हो जाए।

गल्ला मंडियों में रहता है आढतियों का आधिपत्य

यहां सीतापुर जिले में जिला मुख्यालय की गल्ला मंडी समेत, महोली, महमूदाबाद, लालपुर, बिसवां, सिधौली प्रमुख मंडियां हैं। धान और गेहूं फसल कटने पर यहां सरकारी क्रय केंद्र भी स्थापित किए जाते हैं। जिन किसानों का अनाज इन केंद्रों पर नहीं बिक पाता वे यहां मौजूद आढतियों के हाथ बेच देते हैं। आम तौर पर आढती सरकारी समर्थन मूल्य से कम दाम पर खरीद करते हैं। कई बार देखा गया कि मंडी के सरकारी क्रय केंद्र बंद रहते हैं। अगर खुले भी तो आढतियों के दबाव में क्रय केंद्र पर खरीद नहीं की जाती है। किसान विवश होकर मंडी जाता है। जहां उसके अनाज का तोल मोल होता है। आढती किसान से खरीदा हुआ अनाज सरकारी केंद्र पर भी बेच देते हैं। कई बार इसके लिए सरकार छूट भी प्रदान कर देती रही है। इसकी वजह से किसान को होने वाला लाभ आढती उठाते हैं।

जिला मुख्यालय की मंडी में करीब सौ आढती करते हैं काम

इस गल्ला मंडी में करीब सौ आढती फड बिछाकर बैठते हैं। धान और गेहूं का साीजन मुख्य तौर पर इनके लिए मुफीद रहता है। यहां संदीप भरतिया कई वर्षों से आढत चला रहे हैं। बनवारी लाल कंछल गुट वाले व्यापार मंडल के वरिष्ठ जिला महांमत्री भी हैं। अनाज के व्यापार के संदर्भ में खासी जानकारी रहती है। इनका कहना है कि क्रषि कानून से फिलहाल तो कहा जा सकता है कि किसानों को कुछ फायदा मिल सकता है लेकिन, मंडी पर काम सुस्त हो जाएगा। उनका कहना है कि अभी तक किसान अनाज लेकर मंडी आता था,

अब मिल मालिकान से उसका सीधा संपर्क हो सकेगा। वाजिब दाम मिलने पर किसान अगर बिना मंडी आए ही अनाज बेचने लगेगा तो फिर आढत बंदी के कगार पर पहुंच जाएगी। संदीप का कहना है कि मंडी के आढतियों का कारोबार, पल्लेदार और मजदूरों की कमाई किसानों पर ही निर्भर रहती है। जब किसान मंडी आएगा ही नहीं तो आढती किससे अनाज खरीदेगा। पल्लेदार क्या करेगा और मजदूर क्या करेगा। हम तीनों वर्ग की कमाई ठप हा जाएगी।

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sitapur सोशल मीडिया से

यह आशंकाएं भी हैं प्रबल

श्री भरतिया कहते हैं कि काफी संभावना है कि क्रषि कानून बेअसर साबित हो। क्योंकि अभी तक किसान अनाज मंडी में लेकर आता था, उसके पास कई खरीददार पहुंच जाते थे। किसान मर्जी के मुताबिक रेट तय कर लेता था, आढतियों में प्रतिस्पर्धा होती थी तो किसान को अच्छे दाम मिल जाते थे, अब इतने ही अच्छे दाम किसान को क्या मंडी के बाहर मिल सकेंगे।

उनका कहना है कि बडे किसान भले ही इस कानून का फायदा उठा लें, उनके पास मिल मालिकान खरीद करने चले जाएंगे लेकिन छोटे किसान फिर भी वंचित रहेंगे। यह किसान उपन का नमूना लेकर मिल मालिक के पास जाएंगे तो किसान की अपेक्षा के मुताबिक रेट लगना मुश्किल ही है। ऐसे में किसानों का रूख फिर मंडी की ओर होगा।

बिचैलिये फिर सक्रिय रहेंगे

संदीप का कहना है कि मंडी में आढती से तो किसान मोलभाव कर लेता है लेकिन छोटा किसान अब भी बिचैलियों के चंगुल में रहेगा। मंडी के बाहर के अनाज व्यापारी खरीददारी करेंगे और फिर वे मिल मालिकों को बेचेंगे अथवा मंडी लेकर आएंगे। संदीप कहते हैं कि बेशक इस कानून से ऐसा जरूर प्रतीत हो रही है कि किसानों को फायदा होने वाला है भले ही दो प्रतिशत हो लेकिन मंडी की हालत खस्ता हो जाएगी। अगर कहां, किसान को मंडी के बाहर सरकारी समर्थन मूल्य से अधिक दाम मिल गए तो फिर मंडी का काम ही खत्म हो जाएगा।

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आढती, पल्लेदार, मजदूर बेरोजगार हो जाएंगे।

महेाली के किसान शिव कुमार मिश्र का कहना है कि धान बिकने की बारी है, 15 दिन बाद पता चल जाएगा कि सरकार की मंशा किसानों को तोडने की है अथवा आर्थिक रूप से संपन्न करने की है। श्री मिश्र का कहना है कि ऐसी उम्मीद है कि खरीददार जब कई ओर से आएंगे तो दाम अच्छे मिलेंगे। क्योंकि मंडी में अनाज बेचने पर मंडी शुल्क की चपत आखिरकार किसान के सिर मढ दी जाती थी तो मिल मालिक का जब मंडी शुल्क बचेगा तो फिर वह किसान से ज्यादा दाम पर खरीद कर सकेगा, लाभी किसान को होगा।

रिपोर्ट.पुतान सिंह

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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