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स्मार्ट मीटर का करंट, बिजली विभाग ने चलाया वसूली अभियान

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Published on: 30 Aug 2019 7:12 AM GMT
स्मार्ट मीटर का करंट, बिजली विभाग ने चलाया वसूली अभियान
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स्मार्ट मीटर का करंट, बिजली विभाग ने चलाया वसूली अभियान

आशुतोष सिंह

वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में वाराणसी में शायद ही कोई बिजली विभाग का दफ्तर हो, जहां बिजली बिल से परेशान लोगों की भीड़ न जुटती हो। सुबह से लेकर शाम तक उपभोक्ता बिजली बिल संशोधित कराने के लिए अधिकारियों के आगे-पीछे घूम रहे हैं। दफ्तरों में सुनने वाला कोई नहीं है। अधिकारी साफ कह दे रहे हैं कि बिल कम कराना उनके हाथ में नहीं है। इसके लिए मीटर लगाने वाली कंपनियां जिम्मेदार हैं। लिहाजा अलका मिश्रा, शंभूनाथ और श्याम गुप्ता जैसे हजारों उपभोक्ता बेबस होकर बढ़ा हुआ बिल चुकाने पर मजबूर हैं। दरअसल स्मार्ट मीटर लगाने के नाम पर बिजली विभाग जिस तरह से मनमानी कर रहा है, उसे लेकर लोगों में गुस्सा बढऩे लगा है। लोगों के गले ये बात उतर नहीं पा रही है कि जितनी बिजली खपत के लिए वो दो महीने पहले 1500 रुपए चुकाते थे, अब उसका बिल 2500 रुपए के पार कैसे हो गया? दूसरी ओर बिजली विभाग लोगों पर बिल जमा करने का दबाव डाल रहा है। जिन उपभोक्ताओं का दस हजार रुपए से ज्यादे का बिल बकाया है, उनका कनेक्शन काट दिया जा रहा है। मतलब उपभोक्ताओं को बिल संशोधन कराने का वक्त भी नहीं दिया जा रहा है।

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क्या ऐसे स्मार्ट बनेगा बिजली विभाग

बिजली विभाग को हाईटेक करने के लिए स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया शुरू हुई। दावा किया गया कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद मीटर के साथ छेड़छाड़ नहीं हो पाएगी। हर महीने बिजली विभाग रीडिंग नोट करने से भी निजात मिल जाएगी और बिल ऑनलाइन आ जाएगा। यही नहीं दावा मीटर रीडर बढ़ा बिल नहीं बना सकेंगे, लेकिन यहां हो उल्टा रहा है। उपभोक्ताओं के घर पहले से दोगुना अधिक बिल पहुंच रहा है। स्मार्ट मीटर को लेकर लोगों के मन में संदेह पैदा होने लगा है। लिहाजा जिन इलाकों में स्मार्ट मीटर नहीं लगा है, वहां लोगों ने इसे लगाने से साफ इनकार कर दिया है। कई मोहल्लों में तो मीटर लगाने वाले कर्मचारियों को विरोध का सामना करना पड़ा। कुछ इलाके तो ऐसे थे जहां कर्मचारियों के साथ मारपीट की नौबत आ गई। लिहाजा कर्मचारियों को मीटर लगाए बिना ही लोग लौटना पड़ा। वहीं जिनके घरों में मीटर लगा है, वो लोग परेशान हैं। घर के जरूरी काम छोड़कर लोग सुबह से शाम तक बिल सही कराने के लिए बिजली विभाग के दफ्तरों में जमे है। ऐसे उपभोक्ताओं की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। जहां-जहां स्मार्ट मीटर लगे हैं, वहां की 75 फीसदी जनता बढ़े हुए बिल को लेकर गुस्से में हैं। बिजली विभाग के अधिकारी उपभोक्ताओं की दलील के आगे बेबस नजर आ रहे हैं। उनके मुताबिक स्मार्ट मीटर को लेकर उनके हाथ में कुछ नहीं है। अगर उपभोक्ता अधिक दबाव डालता है तो अधिकारी चेक मीटर लगाने का आर्डर देकर पल्ला झाड़ लेते हैं।

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स्मार्ट मीटर को लेकर उठ रहे हैं सवाल

सवाल सिर्फ स्मार्ट मीटर के रीडिंग को लेकर नहीं उठ रहे हैं बल्कि उसकी टेक्नोलॉजी को लेकर भी उठाए जा रहे हैं। बिजली विभाग स्मार्ट मीटर बताकर घर-घर जो 2जी और 3जी टेक्नॉलॉजी वाले मीटर लगा रहा है वह पुराने यानी आउटडेटेड हो चुके हैं। यूपी में कथित स्मार्ट मीटर लगाने का जिम्मा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ईईएसएल को सौंपा गया है। यह समझना जरूरी है कि विद्युत मंत्रालय ने एनटीपीसी, पीएफसी, आरईसी और पावरग्रिड के साथ मिलकर एक संयुक्त उद्यम बनाया था, जिसे ईईएसएल कहा जाता है। बल्ब-पंखे आदि बेचने के बाद इस कंपनी के द्वारा थोक में खरीदे गए स्मार्ट मीटर को लगाने का काम प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में चल रहा है। बिजली विभाग का दावा है कि इससे बिजली चोरी रुकेगी, वितरण कंपनियों की कार्यकुशलता बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को बिजली खपत की जानकारी मिलेगी। वहीं जानकार अब इन स्मार्ट मीटरों की विश्वसनीयता पर ही सवाल खड़ा कर रहे हैं, जिसके चलते उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाने की योजना अधर में नजर आ रही है। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने प्रदेश में लगाए जा रहे स्मार्ट मीटर पर स्टेटस रिपोर्ट पावर कॉरपोरेशन से मांगी थी। कहा जा रहा है कि जब 2जी और 3जी टेक्नॉलॉजी बंद हो जाएगी, तब मीटर को एडवांस टेक्नॉलॉजी में बदलने पर कितना खर्च आएगा।

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बिजली विभाग उपभोक्ताओं को पूरी तरह लूटने के मूड में दिख रहा है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि एक तरफ स्मार्ट मीटर का दंश झेल रहे उपभोक्ता बिल दुरुस्त कराने के लिए दफ्तरों के चक्कर काट रहा है, दूसरी तरफ बिजली विभाग ने बकाया बिल की वसूली के लिए अभियान छेड़ रखा है। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के अधीन सभी 21 जिलों में इन दिनों विशेष अभियान चलाया जा रहा है। जिन उपभोक्ताओं के ऊपर 10 हजार रुपए से अधिक बिजली बिल बकाया है, उसका कनेक्शन काट दिया जा रहा है। लिहाजा सिर्फ एक दिन में 21 हजार कनेक्शन काट दिए गए। लोग अब डर की वजह से फटाफट बिजली का बिल जमा करा रहे हैं। विभागीय सूत्रों के मुताबिक वसूली की रकम अब तक 30 करोड़ रुपए के पार पहुंच चुकी है। आने वाले दिनों में ये आंकड़ा और बढ़ेगा। बिजली विभाग के इस अभियान से फजीहत उन लोगों की हो रही है, जिन्हें बिल संशोधित होने की उम्मीद थी। लेकिन कनेक्शन कटने के डर से वो बिल जमा करने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं। बिल जमा करने वाली लाइन में लगे आशापुर के संजय भार्गव बिजली विभाग से बेहद नाराज हैं। उन्होंने कहा कि बिजली विभाग में इतनी लूट आज तक नहीं देखी। पहले उल्टे-सीधे बिल भेजते हैं और अब उसे वसूलने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। दूसरी तरफ अधिकारियों की दलील है कि ऊपर से वसूली करने का आर्डर है। हर अधिकारी को टास्क सौंपा गया है। उसे पूरा करना जरूरी है।

स्मार्ट मीटर को लेकर क्या है दावा

बिजली विभाग के जानकारों के मुताबिक अभी तक उपभोक्ता मीटर को स्लो कराने के साथ उसमें छेड़छाड़ कर लेते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं कर सकेंगे। मीटर में छेड़छाड़ करते ही बिजली विभाग के सर्वर पर शो करने लगेगा। स्मार्ट मीटर में चिप लगे होंगे जो बिजली विभाग के सर्वर से कनेक्ट होगा। साथ ही उपभोक्ताओं के मोबाइल से भी कनेक्ट होंगे। उपभोक्ता विभाग के वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन अपना बिल देख सकेंगे। उपभोक्ता ऑनलाइन अपना बकाया बिल जमा भी कर सकेंगे। उपभोक्ताओं के घर स्मार्ट मीटर नि:शुल्क बदले जा रहे हैं। ईईएसएल को यह काम मिला है जो एलएंडटी कंपनी से काम करा रही है। फिलहाल उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, गोरखपुर, आगरा जैसे शहरों में स्मार्ट मीटर लगाने का काम आजकल तेजी से चल रहा है। कंपनी का दावा है कि स्मार्ट मीटर लगने से उपभोक्ताओं को वास्तविक समय पर पता चलेगा कि वे कितनी बिजली की खपत कर रहे हैं। इसके अनुसार वे बिजली खपत को नियंत्रित कर सकते हैं। इससे कम बिजली खपत करने वाले उत्पादों की मांग बढ़ेगी और एक बहुत बड़ा बदलाव आएगा।

केस नंबर-1 : पहडिय़ा के रहने वाले श्याम गुप्ता घर के बाहर परचून की दुकान चलाते हैं। दुकान के लिए उन्होंने अलग से बिजली का कॉर्मिशियल कनेक्शन लिया है। लगभग तीन महीने पहले तक दुकान का बिजली बिल लगभग 100 यूनिट के आसपास आता था, लेकिन अब यह 140-150 के करीब पहुंच गया है। लिहाजा अब उन्हें बिजली बिल के लिए 500 रुपए अधिक चुकाने पड़ते हैं। करंट की इस मार से बचने के लिए वह लगातार बिजली विभाग के चक्कर काट रहे हैं।

केस नंबर-2: अलका मिश्रा पिछले तीन दिनों से चौकाघाट विद्युत केंद्र के चक्कर काट रही हैं। हर रोज वह बढ़े हुए बिजली बिल के समाधान की उम्मीद में घर से निकलती हैं, लेकिन आखिरकार निराशा हाथ लगती है। अलका राय के मुताबिक जब से उनके घर पर बिजली का स्मार्ट मीटर लगा है, बिल अब डेढ़ गुना आने लगा है। अलका की गुहार पर बिजली विभाग के अधिकारियों ने हाथ खड़े कर दिए हैं।

केस नंबर-3: लहरतारा के रहने वाले शंभूनाथ का पांच लोगों का परिवार है। घर में फ्रिज, कूलर और वाशिंग मशीन जैसी जरुरत के इलेक्ट्रानिक चीजें ही हैं। पहले उनके घर का बिजली बिल 220-250 यूनिट यानी लगभग 1500 रुपए के आसपास आता था। लेकिन पिछले दो महीनों से जब से स्मार्ट मीटर लगा है, अब बिल 2500 रुपए के ऊपर पहुंच जा रहा है। लिहाजा परेशान शंभूनाथ पिछले एक हफ्ते से बिजली विभाग के चक्कर काट रहे हैं। दफ्तर में उनकी सुनने वाला कोई नहीं है।

क्या कहना है लोगों का

पुराने मीटर की अपेक्षा स्मार्ट मीटर लगने से बिल दुगना आने लगा है जबकि पहले भी घर में वही चीजें इस्तेमाल होती थीं और अब वही चीजें इस्तेमाल की जा रही हैं। लेकिन स्मार्ट मीटर लग जाने से बिल बहुत अधिक आने लगा है। बिल अधिक आने के कारण आर्थिक स्थिति पर काफी असर पड़ रहा है।

महेंद्र प्रताप सिंह, निवासी, अशोक विहार कॉलोनी फेस-2

स्मार्ट मीटर के नाम पर लोगों का शोषण कर रहा है बिजली विभाग। सरकार की मंशा हमें समझ में नहीं आ रही है। वही लोग हैं, वही सामान है। फिर बिल में इतना फेरबदल कैसे संभव है। हमारी सरकार से मांग है कि स्मार्ट मीटर लगाने का फैसला वापस ले।

सुशीला सिंह, निवासी, पांडेयपुर

स्मार्ट मीटर लग जाने से बिल दोगुना आने लगा है। ऑफिस में कोई कुछ बताने को तैयार नहीं। बिजली विभाग कनेक्शन काटने की धमकी दे रहा है। ये तो खुलेआम गुंडागर्दी है। मध्यम वर्ग के लोगों पर इस बढ़े हुए बिल का काफी असर पड़ेगा।

सुमन सिंह, निवासी, आशापुर

जब तक हमारे घर में पुराना मीटर लगा था, तब तक बिल अधिक नहीं आता था। लेकिन स्मार्ट मीटर लगने के बाद से ही बिल अब दोगुना, तीनगुना आने लगा है। कई बार अधिकारी से शिकायत की गई, लेकिन वे सुनने को तैयार नहीं। कहते हैं कि चेक मीटर लगवा लो।

प्रदीप चौहान, लालपुर

क्या कहना है अधिकारियों का

स्मार्ट मीटर ईईएसल का प्रोजेक्ट जिसे एलएनटी के द्वारा इनस्टॉल किया जा रहा है। पुराने मीटर के मुकाबले में स्मार्ट मीटर का बिल अधिक है या फिर कम है। उपभोक्ताओं की शिकायत पर हम लोगों ने चेक मीटर लगा कर जांच की थी, लेकिन स्मार्ट मीटर का बिल पुराने मीटर के अपेक्षा कम आ रहा है।

पीके रस्तोगी, जूनियर इंजीनियर

यह सही है कि स्मार्ट मीटर को लेकर काफी शिकायतें आ रही हैं। हम लोग अपने स्तर से उपभोक्ताओं को समझा रहे हैं। देखिए मीटर लगाना हमारे हाथ में नहीं है। ईईएएसएल, एलएनटी के जरिए स्मार्ट मीटर लगवा रहा है। इसमें हमारी भूमिका नहीं है और ना ही हमारा हस्तक्षेप है।

डीके दोहरा, मुख्य अधीक्षण अभियंता

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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