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Sonbhadra News: मिलावटी कोयले का कारोबार, कोल सेक्टर में बड़ा स्कैम, हर माह अरबों का बताया जा रहा टर्नओवर
Sonbhadra News: सोनभद्र के सलईबनवा, कृष्णशिला, जिले से सटे मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले में बरगवां रेलवे साइडिंग पर कोयले से मिलते-जुलते पदार्थों की आपूर्ति पहुंचाई जाती है, जिसे कोयले में मिलाकर उसे विभिन्न राज्यों में स्थित बिजली कारखानों सहित अन्य को आपूर्ति दी जाती है।
Sonbhadra News: जिले के इतिहास में जिस तरह से मिलावटी कोयले के कारोबार में जिला प्रशासन की तरफ से अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई सामने आई है। उसी तरह, अगर मामले की उच्चस्तरीय जांच हुई तो यूपी के सोनभद्र सहित विभिन्न राज्यों में होने वाले मिलावटी कोयले का कारोबार, कोल सेक्टर में अब तक के सबसे बड़े कोल स्कैम की पटकथा लिखता नजर आ सकता है। फिलहाल जिला प्रशासन की तरफ से बड़ी कार्रवाई तो सामने आई ही है, सूत्रों की मानें तो मामले में केंद्र और राज्य दोनों स्तर से गहन जांच और कड़ी निगरानी के भी निर्देश जारी किए गए हैं। इससे माना जा रहा है कि जल्द ही इस रैकेट से जुड़े कई बड़े चेहरे और बड़ी कंपनियों का नाम सार्वजनिक हो सकता है।
धनबाद से जुड़ा बताया जाता है इसका केंद्र
इस कथित अवैध कारोबार का जुड़ाव भले ही कोलकाता से मिल रहा हो लेकिन जो चर्चाएं हैं और सूत्रों से जो जानकारियां मिल रही हैं, उसके मुताबिक झारखंड के धनबाद में बैठा वाई अक्षर वाला एक व्यक्ति, इस पूरे रैकेट का संचालन कर रहा है। बताया जाता है कि वहीं, से सोनभद्र के सलईबनवा, कृष्णशिला, जिले से सटे मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले में बरगवां रेलवे साइडिंग पर कोयले से मिलते-जुलते पदार्थों की आपूर्ति पहुंचाई जाती है, जिसे कोयले में मिलाकर उसे विभिन्न राज्यों में स्थित बिजली कारखानों सहित अन्य को आपूर्ति दी जाती है।
मिलावटी कारोबार से मिलता है चार से पांच गुना तक मुनाफा
सूत्रों से मिली जानकारियों और हो रही चर्चाओं पर इंकार करें तो मिलावटी कारोबार के इस पूरे खेल को मैनेज करने में प्रति टन अधिक से अधिक हजार से दो हजार रूपये खर्च होते हैं और मिलावटी सामग्री को कोयले में मिलाकर उसकी कीमत प्रति टन आठ से 10 हजार तक वसूल ली जाती है। कोयले का कारोबार बड़े स्तर पर होने के साथ ही, जहां हर माह इस कारोबार में अरबों के टर्नओवर की बात बताई जाती है। वहीं, यह भी कहा जाता है, कि इस खेल को चंद कारोबारी ही नहीं, बल्कि परोक्ष रूप से कई बड़ी शख्सियतें भी संरक्षण देती हैं, इसलिए वर्षों से चल रहे ब्लैक डायमंड के इस ब्लैक मार्केटिंग के खेल पर अब तक कोई बड़ा अंकुश नहीं लग पाया है।
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इस कारोबार ने कई की बदल दी किस्मत
काला सोना का दर्जा रखने वाले मिलावटी कोयले के इस कारोबार में मुनाफे की स्थिति यह है कि इससे जुड़ने वाले व्यक्ति की चंद माह में ही तकदीर ही नहीं, बल्कि उसकी तस्वीर भी बदल जाती है। सलईबनवा रेलवे साइडिंग मामले में भी कुछ ऐसा ही बताया जा रहा है। चर्चा है कि मिलावटी कोयले के ट्रांसपोर्टिंग का जिम्मा संभालने वाली कंपनी ने कुछ माह पूर्व डाला क्षेत्र के एक सामान्य से व्यक्ति, जिसकी कभी डाला में एक छोटी सी दुकान हुआ करती थी, उसे इसके लाइजनिंग का जिम्मा दिया गया था। महज चार से पांच माह में जिस तरह से सामान्य से व्यक्ति के पास करोड़ों की प्रापर्टी खड़ी होने की बात सामने आई उसने लोगों को चौंका कर रख दिया। कहा जा रहा है कि सलईबनवा में चल रहे मिलावट के खेल की पूरी लाइजनिंग और उसे मैनेज करने का काम इसी व्यक्ति द्वारा किया जा रहा था।
कुछ इस तरह किया जाता है पूरा मामला मैनेज
बताते हैं कि कारोबार के इस सिंडीकेट से एनसीएल में ई-ऑक्सन प्रक्रिया के जरिए कोयले की नीलामी लेने वाले लोग भी जुड़े हुए हैं। उनके कागजातों पर कोयला विभिन्न रेल साइडिंग पर पहुंचाने के साथ ही, वहां कोयले से मिलते-जुलते पदार्थ को लाकर उसमें मिलाया जाता है। इसके बाद पूरी सामग्री को असली कोयले के रूप में संबंधित कंपनी-उ़द्योगों को रेल रैक तथा ट्रकों के जरिए आपूर्ति कर भुगतान प्राप्त कर लिया जाता है। डाला से जुड़े जिस व्यक्ति को लेकर खासी चर्चा है, उसका भी जुड़ाव नीलामी वाले कोयले के साथ ही, ट्रांसपोर्टिंग के धंधे से बताया जा रहा है।
कारोबार में सलिप्त लोगों पर की जाए कड़ी कार्रवाई
उधर, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष डा. धर्मवीर तिवारी ने कहा कि सलईबनवा में लंबे समय से इस तरह का कारोबार हो रहा था। पहली बार इस तरह की बड़ी कार्रवाई हुई है। उन्होंने मांग की है कि ऐसे लोगों को चिन्हित कर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि मिलावटखोरी के धंधे के जरिए सोनभद्र, यहां के प्रशासन और सरकार की छवि धूमिल करने की हो रही कोशिश पर रोक लग सके। डा. तिवारी ने जिले से निकलने वाले कोयले के सभी प्रपत्रों की नियमित जांच की भी मांग उठाई है।
कोयले से जुड़े कारोबार पर कड़ी निगरानी के दिए गए हैं निर्देश
वहीं डीएम चंद्रविजय सिंह ने बताया कि सलईबनवा साइड पर जांच में जो भी चीजें सामने आईं थीं, उसको लेकर वाहनों को सीज कराने के साथ ही एफआईआर दर्ज करा दी गई है। साथ ही, संबंधितों को जिले में कोयले से जुड़े कारोबार पर कड़ी निगरानी भी बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं।