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Sonbhadra News: चार राज्यों से जुड़े पुल पर दरार ने खोली गुणवत्ता की पोल, बड़े हादसे की आशंका ने बढ़ाई धड़कन
Sonbhadra News: इस मार्ग से आवागमन करने वालों की धड़कनें बढ़ गई हैं। वहीं किसी भी वक्त हादसे की जताई जा रही आशंका ने अफसरों की भी नींद उड़ा दी है।
Sonbhadra News: सपा सरकार के समय वर्ष 2016-17 में बनकर तैयार हुए चार राज्यों को जोड़ने वाले वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग स्थित रेलवे लाइन क्रास करने वाले पुल पर निर्माण के चंद वर्ष बाद ही आई दरार ने, गुणवत्ता की पोल खोलकर रख दी है। इससे जहां इस मार्ग से आवागमन करने वालों की धड़कनें बढ़ गई हैं। वहीं किसी भी वक्त हादसे की जताई जा रही आशंका ने अफसरों की भी नींद उड़ा दी है। फिलहाल पुल की मरम्मत और मामले के डैमेज कंट्रोल की तेजी से कोशिश शुरू है।
बताते चलें कि यूपी-झारखंड-छत्तीसगढ़ और झारखंड की लाइफलाइन कहे जाने वाले वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग पर डाला में रेलवे लाइन पर उपसा की तरफ से एक तरफ के पुल का तीन वर्ष पूर्व निर्माण मुकम्मल किया गया था। एक तरफ का निर्माण अभी भी अधूरा है। अभी हाइवे की दूसरे तरफ की पुल वाली लेन पूर्ण होती, इससे पहले ही पुल में आई दरारों ने नींद उड़ा दी है। पुल पर दरार आने की घटना को भी तीन सप्ताह से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है।
लोगों को इस बात की जानकारी हुई जब तीन दिन पूर्व रेलवे के चोपन ख्ंाड की तरफ से, संबंधित पुल पर आवागमन प्रतिबंधित किए जाने का पत्र वायरल किया गया। निगरानी की जिम्मेदारी संभालने वाले रेलवे ने भी इस मामले का संज्ञान तब लिया, जब डीएम चंद्रविजय सिंह की तरफ से हस्तक्षेप किया गया। बता दें कि उपसा के निर्माण की गुणवत्ता पर जहां निर्माण काल से ही सवाल उठते रहते हैं। वहीं रेलवे के चोपन खंड की तरफ से कराए गए निर्माण में हाल के महीनों में गड़बड़ी-भ्रष्टाचार की सामने आई शिकायतों ने लोगों को अवाक कर रख दिया है। हाल ही में 13 करोड़ के वाशिंग पिट का निर्माण भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने का मामला खासा सुर्खियों में रहा था। उधर, रेलवे के कंस्ट्रक्सन इंजीनियर अवधेश कुमार शाह का कहना है कि दरार दुरूस्त कराने की जिम्मेदारी उपसा की है। 10 जून को ही आवागमन प्रतिबंधित करने की तिथि के बावजूद आवागमन जारी होने के सवाल पर कहा कि अभी वह बाहर हैं, मौजूदा स्थिति की जानकारी लेने के बाद ही कुछ कह पाएंगे।
हो गहराई से जांच तो 1100 करोड़ की सड़क रचती नजर आएगी घपले की नई इबारत
लोगों का कहना है कि हाइवे के पूरे निर्माण की गहराई से जांच कर ली जाए तो यह 1100 करोड़ की लागत वाली यह सड़क घोटाले की एक नई इबारत रचती नजर आएगी। सपाकाल में हुए इस निर्माण पर सत्तापक्ष की चुप्पी को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। निर्माण के समय जिला मुख्यालय पर पूरे यूपी में एक अलग ही अंदाज में बनाए गए फ्लाईओवर में डाला स्टोन की जगह, सैंड स्टोन के प्रयोग को लेकर तत्कालीन एसडीएम मनीलाल यादव ने सवाल उठाए थे और पीडब्ल्यूडी के निर्माण खंड तीन को जांच सौंपी थी लेकिन बाद में चलकर जहां जिले से निर्माण खंड तीन का वजूद ही खत्म हो गया। वहीं छत में प्रयुक्त होने वाली गिट्टी की जगह, सोलंग के रूप में प्रयुक्त वाली गिट्टी के प्रयोग का मसला भी नेपथ्य में चला गया। बता दें कि अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्व काल में 111 किमी लंबे वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग का पीपीपी माडल पर चेतक इंटरप्राइजेज से निर्माण कराया गया था। इसके एवज में चेतक इंटरप्राइजेज की सहयोगी कंपनी एसीपी टोलवेज प्राइवेट लिमिटेड को 20 साल तक देख-रेख का जिम्मा और हाइवे से गुजरने वाले वाहनों से टोल वसूली की अनुमति दी गई। इसके बाद एसीपी टोल की तरफ से कई जगहों पर निर्माण कार्य अधूरे होने के बावजूद जहां टोल टैक्स की वसूली शुरू हो गई, वहीं अभी भी डाला सहित अन्य जगहों पर निर्माण अधूरा पड़ा है।
कैसे करेंगे डायवर्जन, यह भी बन गया है एक बड़ा सवाल
हाइवे पुल के निर्माण में बरती गई लापरवाही और गुणवत्ता की अनदेखी ने, जिला प्रशासन को भी असमंजस की स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। एक तरफ जहां, वाहनों के आवागमन से हादसे का खतरा बना हुआ है। वहीं, जिला प्रशासन इस मार्ग के डायवर्जन का क्या विकल्प निकाले यह बड़ा मसला बना हुआ है। यहां हाइवे से ओबरा को जोड़ने वाले मार्ग से जुड़े डाला-ओबरा के बीच स्थित सिंगल लेन मार्ग ही आवागमन का विकल्प है। अगर इस पर डायवर्जन करते हैं तो एक तरफ हर पल हैवी ट्रैफिक की समस्या तो दूसरी तरफ भारी वाहनों के आवागमन से रास्ते को ध्वस्त होने का खतरा बना हुआ है। यहीं कारण है कि दरार वाले पुल के दोनों तरफ पिलर लगाने के साथ ही आवागमन प्रतिबंधित का बोर्ड तो लगा दिया गया है लेकिन अभी आवागमन रोक पाना संभव नहीं हो पा रहा है।