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Sonbhadra News: प्रधान का बड़ा कारनामा, जन्म से पहले बेटे के नाम करा दी जमीन पर कब्जा, आवंटन खारिज

Sonbhadra News: सरकारी जमीन पर प्रधान की तरफ से नाबालिग बेटे और पत्नी का नाम दर्ज कराने का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसको लेकर अफसर भी हैरत में पड़ गए हैं।

Kaushlendra Pandey
Published on: 25 Jun 2023 7:25 PM IST (Updated on: 25 Jun 2023 9:31 PM IST)
Sonbhadra News: प्रधान का बड़ा कारनामा, जन्म से पहले बेटे के नाम करा दी जमीन पर कब्जा, आवंटन खारिज
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Sonbhadra News (Pic: Newstrack)

Sonbhadra News: घोरावल तहसील क्षेत्र के बरसोत गांव में सरकारी जमीन पर प्रधान की तरफ से नाबालिग बेटे और पत्नी का नाम दर्ज कराने का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसको लेकर अफसर भी हैरत में पड़ गए हैं। 18 साल पुराने इस मामले की पिछले दिनों जब उप जिलाधिकारी सह अतिरिक्त कलेक्टर प्रथम श्रेणी रमेश यादव ने सुनवाई शुरू की तो पता चला कि तत्कालीन प्रधान की तरफ से बंजर खाते में दर्ज ग्राम पंचायत की जमीन को अपनी नाबालिग पत्नी और बेटे के नाम दर्ज कराने का खेल तो खेला ही गया, जमीन पर उस बेटे का 10 साल से कब्जा दिखा दिया गया। जो कब्जे की शुरूआती तिथि को पैदा ही नहीं हुआ था। इस हैरतंगेज मामले में सच्चाई सामने आने के बाद, नामांतरण खारिज करते हुए संबंधित जमीन को बंजर खाते में दर्ज करने का आदेश जारी कर दिया गया है।

अधिकारियों के संज्ञान में ऐसे आया मामला

जिला शासकीय अधिवक्ता राजस्व की तरफ से पिछले दिनों उपजिलाधिकारी घोरावल के न्यायालय में एक पुनर्स्थापन प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया। अवगत कराया गया कि वर्ष 2005 में तत्कालीन प्रधान ने गलत तरीके से लैंड रेवेन्यू एक्ट 122 बी4एफ का लाभ लेते हुए, ग्राम पंचायत की 0.506 हेक्टेयर जमीन अपने बेटे और पत्नी के नाम दर्ज करा ली है। अदालत को यह भी बताया गया कि इस मामले में प्रधान की तरफ से ही अपने ही बेटे-पत्नी का 10 साल से कब्जा होने का प्रमाण पत्र दाखिल किया गया है।

पंचायत सचिव पर नामांतरण के खेल में शामिल होने का आरोप

ग्राम सचिव पर भी इस मामले में संलिप्त होने का आरोप लगाया गया और जमीन पर 18 जून 2005 के पूर्व की स्थिति बहाल यानी जमीन पर पूर्व की भांति बंजर खाते में दर्ज करने की मांग की गई। मामले की सुनवाई शुरू हुई तो अदालत को पता चला कि सिर्फ नियमों की ही अनदेखी नहीं की गई है बल्कि प्रधान होने का फायदा होते हुए जमीन पर एक ऐसे बेटे का कब्जा दिखा गया गया है, जिसका कब्जा शुरू होने की बताई जाने वाली तिथि को जन्म ही नहीं हुआ था।

डीएम से भी नहीं ली गई कोई अनुमति

इस पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों और रिकर्डों की जब उप जिलाधिकारी ने परिशीलन किया तो पाया कि पंचायत राज अधिनियम की धारा 47ग में यह प्रावधान है कि कोई प्रधान अपने परिवार- स्त्री, पुत्र, पुत्री आदि के हित में कोई प्रस्ताव या लाभ प्राप्त करने का प्रस्ताव बिना जिलाधिकारी के अनुमति के नहीं कर सकता। बावजूद इस मामले में ऐसी कोई अनुमति नहीं ली गई। साथ ही यह मामला भी संज्ञान में आया कि जिस तिथि को जमीन पर बेटे का कब्जा 10 वर्ष से होना दिखाया गया, उस समय उसकी उम्र मात्र सात वर्ष थी। खसरे में भी कब्जे का कोई प्रमाण नहीं पाया गया। इसको आधार मानते हुए, उप जिलाधिकारी की अदालत ने जहां धारा 122बी4एफ के तहत पारित नामांतरण आदेश को निरस्त कर दिया। वहीं, जमीन को पूर्ववत बंजर खाते में दर्ज करने के आदेश जारी किया।



Kaushlendra Pandey

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