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Sonbhadra : वाराणसी की विभूतियों ने की गुप्तकाशी की यात्रा, 101 पर्यटकों के दल ने निहारा सुनहली वादियों का सौंदर्य

Sonbhadra News: पूर्व कुलपति प्रोफेसर प्रदीप कुमार मिश्रा और बीएचयू आईआईटी के पहले डायरेक्टर प्रोफेसर सिद्धनाथ उपाध्याय ने कहा कि सोनभद्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। यह जिला आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, प्राकृतिक धरोहरों का केंद्र है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 21 Aug 2023 8:28 PM IST
Sonbhadra : वाराणसी की विभूतियों ने की गुप्तकाशी की यात्रा, 101 पर्यटकों के दल ने निहारा सुनहली वादियों का सौंदर्य
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Kashi 101 tourists visited gupt Kashi Sonbhadra News

Sonbhadra News: डा. अब्दुल कलाम टेक्निकल युनिवर्सिटी लखनऊ के पूर्व कुलपति प्रोफेसर प्रदीप कुमार मिश्रा की अगुवाई में काशी की विभूतियों ने रविवार और सोमवार को गुप्तकाशी की यात्रा की। यहां स्थित धार्मिक स्थलों के साथ ही प्राकृतिक सौंदर्य को निहारा। सोनभद्र की सुनहली वादियों को पर्यटन की दृष्टि से सवांरने-सजाने की वकालत की। कहा कि बगैर गुप्ताकाशी, काशी की कल्पना नहीं की जा सकती।
काशी से शुरू हुई गुप्तकाशी के यात्रा की शुरूआत शिवद्वार स्थित उमामाहेश्वर धाम में दर्शन-पूजन के साथ की गई। 101 पर्यटकों-श्रद्धालुओं के दल गौरीशंकर धाम, कंडाकोट स्थित गिरिजाशंकर धाम, पंचमुखी महादेव सहित अन्य स्थलों का भ्रमण किया और यहां की प्राकृतिक सुषमा निहारने के साथ ही, धार्मिक और पौराणिक दृष्टि से इन स्थलों की महत्ता जानी।

काशी की कल्पना गुप्त काशी के बिना असंभव- डॉ विजय नाथ मिश्र

पूर्व कुलपति प्रोफेसर प्रदीप कुमार मिश्रा और बीएचयू आईआईटी के पहले डायरेक्टर प्रोफेसर सिद्धनाथ उपाध्याय ने कहा कि सोनभद्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। यह जिला आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, प्राकृतिक धरोहरों का केंद्र है। यहां जिस तरह की प्राकृतिक सुषमा है, उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि जिसने सोनभद्र नहीं देखा उसने भारत नहीं देखा। हेड ऑफ डिपार्टमेंट न्यूरोलॉजी विभाग एवं पूर्व चिकित्सा अधीक्षक बीएचयू प्रोफेसर विजय नाथ मिश्रा और यात्रा के संयोजक डॉ. अवधेश दीक्षित कहा कि काशी की कल्पना तब तक अधूरी रह जाती है। जब तक की शंकराचार्य की तरफ से कहे गए शब्द.. यह गुप्तकाशी है.. का मिलन नहीं हो जाता। कहा किइस यात्रा के जरिए वह यह संदेश देना चाहते हैं कि पूरे देश के लोग सोनभद्र आएं प्राकृतिक सुषमा से भरपूर यहां की वादियों को निहारें, दिल-दिमाग में बसाएं। आलोक कुमार चतुर्वेदी, दयाशंकर पांडेय, श्रीकांत दुबे ने कहा की गुप्तकाशी के अंतस में धर्म, दर्शन, संस्ति और जनजीवन के अनूठे रहस्य छिपे हुए हैं। इन रहस्यों का उद्घाटन उनके नजदीक पहुंच कर ही किया जा सकता है।



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