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Sonbhadra News: एमपी में पट्टा, यूपी में खनन! बालू खनन को लेकर बड़ा दावा, एनजीटी (NGT) ने एमओईएफ से तलब की रिपोर्ट
Sonbhadra News: यूपी-एमपी सीमा पर ठटरा में बालू खनन का एक मसला एक बार फिर से सुर्खियों में है। यहां के खनन पर सवाल उठाते हुए, एनजीटी में याचिका दाखिल करने वाले, याचिकाकर्ता की तरफ से दोनों राज्यों के सीमा निर्धारण मसले पर बड़ा दावा किया गया है।
Sonbhadra News: यूपी-एमपी सीमा पर ठटरा में बालू खनन का एक मसला एक बार फिर से सुर्खियों में है। यहां के खनन पर सवाल उठाते हुए, एनजीटी में याचिका दाखिल करने वाले, याचिकाकर्ता की तरफ से दोनों राज्यों के सीमा निर्धारण मसले पर बड़ा दावा किया गया है। प्रिंसिपल बेंच के सामने प्रस्तुत किए गए प्रार्थना पत्र में बताया गया है कि पट्टा एमपी के नाम पर जारी किया गया और उसकी आड़ में यूपी में बालू खनन कर नियमों-इको सेंसटिव जोन के प्रावधानों की धज्जियां उड़ाई गई हैं। बीच में अस्थाई रास्ता बनाकर नदी का प्रवाह बाधित करने की भी शिकायत की गई है।
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NGT ने मंत्रालय को सही स्थिति से अवगत कराने को कहा
सबसे बड़ा दावा खनन स्थल वाले नदी तल को लेकर किया गया है। जिस स्थल को सोनभद्र और सिंगरौली दोनों जिलों के खान विभाग और राजस्व महकमे से जुड़े लोग एमपी में शामिल होना बता चुके हैं, उस हिस्से को यूपी में होने का दावा करते हुए, कई सवाल उठाए गए हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए चेयरपर्सन न्यायमूर्ति शेओ कुमार सिंह की अगुवाई वाली बेंच ने केंद्रीय पर्यावरण, वन एव जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को चार माह के भीतर, सही स्थिति से अवगत कराने को कहा है। वहीं, मामले की अगली सुनवाई की तिथि पांच अक्टूबर मुकर्रर की गई है।
इको सेंसटिव जोन के तहत निषिद्ध क्षेत्र घोषित होने का दावा
याचिकाकर्ता की तरफ से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) को दी गई जानकारी में दावा किया गया है, ठठरा में यूपी-एमपी सीमा पर स्थित जिस पर खनन गतिविधियां 2018 से बनी हुई हैं। उसे जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट में शामिल ही नहीं किया गया था। इसी तरह, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय की तरफ से 2016 में ही ठठरा गांव की पूरी एरिया के साथ ही, यूपी की कुड़ारी वाली एरिया को इको सेंसटिव जोन के तहत निषिद्ध क्षेत्र घोषित होने का दावा किया गया है। कहा गया है कि संबंधित स्थल और आस-पास की एरिया जहां इको सेंसिटिव जोन में शामिल है। वहीं, इस एरिया को घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य में शामिल बताया गया है। बावजूद यहां खनन पट्टे की स्वीकृति और खनन में न केवल नियमों-प्रावधानों की अनदेखी की गई, बल्कि सोन नदी तल में किए गए अवैध खनन को सही ठहराने के लिए यूपी-एमपी सीमा ही अलग तरीके से निर्धारित कर दी गई।
किए जा रहे दावों ने उठा दिए हैं कई तरह के सवाल
इस दौरान दावा किया गया है कि जीपीएस (Global Positioning System ) के अनुसार सोन नदी का जलमग्न क्षेत्र उत्तर प्रदेश राज्य में आता है। पर्यावरणीय मंजूरी को लेकर भी कई तथ्य छिपाए जाने का के आरोप लगाए गए हैं। कहा गया है कि 13 दिसंबर 2016 की अधिसूचना के अनुसार घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य सिंगरौली जिले से गुजरी नदी सीमा से दोनों तरफ 200 मीटर एरिया और उसके आगे का एक किलोमीटर एरिया इको सेंसटिव जोन तक निषिद्ध घोषित किया गया है। इसके तहत ग्राम ठटरा सोन के इको-सेंसिटिव जोन के रूप में अधिसूचित गांव है और घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य से जुड़ा है। इसलिए ग्राम ठटरा का संपूर्ण क्षेत्र निषिद्ध क्षेत्र है। ऐसे में किसी तरह की माप या सेंचुरी एरिया के निर्धारण/माप का कोई नया सवाल ही पैदा नहीं होता। इसी तरह कुड़ारी के जीपीएस निर्देशांक चार का हवाला देते हुए, कुड़ारी की सोन नदी और उससे सटे तटवर्ती हिस्से को निषिद्ध क्षेत्र बताया गया है। इसका हवाला देते हुए पांच मई 2019 को सोनभद्र और सिंगरौली खान विभाग-राजस्व विभाग की तरफ से किए गए संयुक्त सीमांकन पर भी सवाल उठाए गए हैं।
यह है 2019 की संयुक्त नापी का मसला, जिसको लेकर हो रही चर्चा
ठटरा में एमपी में पट्टे की आड़ में यूपी के हिस्से में नदी तल में अवैध बालू खनन और इसके चलते जलीय पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने की शिकायत की गई थी। इस पर सोनभद्र और सिंगरौली दोनों जिलों की खान विभाग और राजस्व विभाग की टीम ने संयुक्त नापी कर दावा किया था कि खनन वाली जगह एमपी में है। पिछले माह भी इसी तरह की एक शिकायत हुई थी, जिस पर जिला खान अधिकारी ने यह कहते हुए किसी तरह का एक्शन लेने से इंकार किया था कि जहां बालू खनन हुआ है, वह जगह एमपी में है। नदी की धारा बांधकर यूपी में रास्ता बनाए जाने के मसले पर चुप्पी साध ली गई थी। अब जब याचिकाकर्ता के साथ जीपीएल लोकेशन के आधार पर संबंधित स्थल पर सोन नदी की पूरी तलहटी यूपी में होने का दावा किया है और नदी की धारा प्रवाहित करने सहित कई सबूत दाखिल किए गए हैं तो मामले को एक नई चर्चा शुरू हो गई है।
अवैध खनन से जुड़ा मुद्दा, इस पर स्थिति स्पष्ट होनी जरूरी: एनजीटी
एनजीटी की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि आवेदन में उठाया गया मुद्दा अवैध उत्खनन से संबंधित है। ग्राम ठटरा में नदी की धारा को अवरुद्ध करके सोन नदी से रेत निकालने का मसला है। तर्क दिया गया है कि एमओईएफ ने इको-सेंसटिव जोन की अधिसूचना जारी की है, इस नाते यह संवेदनशील क्षेत्र है। इसको देखते हुए खनन स्थल की इको सेसटिव जोन से न्यूनतम दूरी को लेकर प्रतिक्रिया आवश्यक है। मामले में एमओईएफ को चार सप्ताह के भीतर सही स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया गया है।