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Sonbhadra News: मादक पदार्थों की तस्करी में पति-पत्नी को 10 वर्ष की सजा
Sonbhadra News: अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम खलीकुज्जमा की अदालत ने शुक्रवार को गांजा तस्करी से जुड़े मामले की सुनवाई की और अधिवक्ताओं की तरफ से पेश की गई दलीलें तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर दोषसिद्ध पाते हुए दोषी शंकर को 10 वर्ष की कैद और एक लाख अर्थदंड की सजा सुनाई।
Sonbhadra News: मादक पदार्थों की तस्करी में पकड़े गए दंपती को बड़ी सजा सुनाई गई है। पत्नी को जहां हेरोइन की तस्करी के मामले में एक दिन पूर्व ही 10 वर्ष कैद की सजा सुनाई गई थी। वहीं, उसके अगले दिन ही गांजा तस्करी के प्रकरण में पति को भी 10 वर्ष कैद की सजा मिलने से तस्करों में हड़कंप मच गया है।
अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम खलीकुज्जमा की अदालत ने शुक्रवार को गांजा तस्करी से जुड़े मामले की सुनवाई की और अधिवक्ताओं की तरफ से पेश की गई दलीलें तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर दोषसिद्ध पाते हुए दोषी शंकर को 10 वर्ष की कैद और एक लाख अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड अदा न करने की दशा में एक वर्ष अतिरिक्त कैद भुगतने का आदेश पारित किया गया। यह भी निर्णय पारित किया गया कि दोषी ने इस प्रकरण को लेकर, पूर्व में जेल में जो भी अवधि व्यतीत किया होगा, उसे इस सजा में समाहित किया जाएगा।
यह है पूरा प्रकरण
अभियोजन कथानक के मुताबिक गत 17 मई 2016 को राबर्ट्सगंज कोतवाली के उपनिरीक्षक अवधेश कुमार यादव ने मादक पदार्थों की तस्करी के मामले में राबटर्सगंज निवासी दंपती शंकर पुत्र शिवधारी और उसकी पत्नी लीलावती को गिरफ्तार किया था। शंकर के पास से तीन किलोग्राम गांजा और पत्नी लीलावती के पास से 29 ग्राम हेरोइन बरामद हुई थी। शंकर के खिलाफ धारा 8/20 एनडीपीएस एक्ट और लीलावती के खिलाफ धारा 8/21 एनडीपीएस एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कर विवेचना की गई और बाद विवेचना दौरान पर्याप्त सबूत मिलने पर का दावा करते हुए न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की गई।
अदालत ने दोनों प्रकरण की अलग-अलग सुनवाई की। बुधवार को सुनवाई के दौरान हेरोइन तस्करी के मामले में जहां लीलावती को दोषी पाते हुए 10 वर्ष कैद और एक लाख अर्थदंड की सजा सुनाई गई थी। वहीं, बृहस्पतिवार को गांजा तस्करी के मामले की सुनवाई की, जिसमें शंकर पर भी दोषसिद्ध पाया गया और उसे भी 10 वर्ष की कैद और एक लाख अर्थदंड की सजा सुनाई गई। अर्थदंड अदा न करने की दशा में एक वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतने के लिए कहा गया। साथ ही उसके पास से बरामए किए गए तीन किलो गांजा को नष्ट करने के आदेश दिए गए। अभियोजन पक्ष की तरफ से प्रकरण की पैरवी शासकीय अधिवक्ता शशांक शेखर मिश्र ने की।