TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Sonbhadra News: मेंढक की रचाई शादी, गाजे-बाजे के साथ निकाली बारात, सोनभद्र में निभाई गई अजीबोगरीब परंपरा

Sonbhadra News: सूखे जैसी स्थिति से जूझ रहे सोनभद्र में बारिश के लिए शुक्रवार को एक अनोखी परंपरा निभाई गई।

Kaushlendra Pandey
Published on: 28 July 2023 8:06 PM IST
Sonbhadra News: मेंढक की रचाई शादी, गाजे-बाजे के साथ निकाली बारात, सोनभद्र में निभाई गई अजीबोगरीब परंपरा
X

Sonbhadra News: सूखे जैसी स्थिति से जूझ रहे सोनभद्र में बारिश के लिए शुक्रवार को एक अनोखी परंपरा निभाई गई। दुद्धी क्षेत्र के मझौली गांव के आदिवासियों ने इंद्रदेव की प्रसन्नता के लिए जहां मेंढक-मेंढकी रचाई, वहीं शादी की तरह, इस आयोजन में सभी रस्में निभाई गई। गाजे-बाजे की धुन पर नाचने-झूमने के साथ ही आदिवासियों की तरफ से जमकर मंगल गीत गाए। गांव के ही बैगा ने पुजारी की भूमिका निभाई।

ग्रामीणों ने पांच दिन तक सपरिवार कठिन व्रत रखा

दो गांवों के लोगों ने घराती-बाराती की भूमिका निभाते हुए, इस अजीबोगरीब परंपरा से जुड़ी प्रक्रिया को पूर्ण कराया। खास बात यह रही कि इस आयोजन के लिए ग्रामीणों ने पांच दिन तक सपरिवार कठिन व्रत रखा। इसके बाद शुक्रवार को इस अनोखी शादी की परंपरा निभाई। आयोजन की पूरे दिन लोगों के बीच चर्चा बनी रही।

दो गांवों के लोगों ने निभाई रस्म, खूब लगाए ठुमके, गाए मंगल गीत

मझौली गांव में डीहवार बाबा के स्थल पर आयोजित किए गए कार्यक्रम में मेंढक-मेंढकी से जुड़ी शादी की रस्में मझौली और दुम्हान गांव के लोगों ने निभाई। इस दौरान मझौली गांव के लोग बाराती की भूमिका में बाजे-गाजे के साथ नाचते-गाते-झूमते कार्यक्रम स्थल पर पहुंचाई। वहीं महिलाओं ने मंगल गीत गाते हुए हल्दी आदि की रस्में निभाईं। कार्यक्रम स्थल पर दुम्हान गांव के लोग पहले से मौजूद थे। दोनों गांवों के लोगों ने घरात-बरात, कन्यादान आदि से जुड़ी रस्में निभाने के साथ ही, मेंढक-मेंढकी की शादी की प्रक्रिया पूरी कराई।

जब भी सूखे की स्थिति बनती, ये परंपरा निभाई जाती

इस आयोजन को लेकर पूरे दिन गांव में उत्साह की स्थिति बनी रही। ग्रामीणों का कहना था कि जब भी सूखे की स्थिति बनती है। इस तरह की परंपरा निभाई जाती है। कई बार इसका अच्छा परिणाम भी देखने को मिला है। इस बार भी पूरी उम्मीद हैं कि इससे इंद्रदेव प्रसन्न होंगे और जल्द ही अच्छी बरसात देखने को मिलेगी। आयोजन की अगुवाई करने वाले रामवृक्ष बैगा ने बताया कि यह परंपरा सदियों से आदिवासी समुदाय के बीच जीवंत है। बताया कि आयोजन का हिस्सा बने लोगों ने पांच दिन तक सपरिवार व्रत रखा। इसके बाद शुक्रवार को डीहवार बाबा को जल चढ़ाया और मेंढक-मेंढकी की शादी रचाई। कहा कि यह मान्यता है कि इस तरह की रस्म निभाई से अच्छी बरसात होती है। बताते चलें कि जुलाई माह मे करीब-करीब सूखाग्रस्त गुजरने से जहां खेती-किसानी को लेकर संकट उत्पन्न हो गया है। वहीं बारिश की उम्मीद लगाए किसानों की भी आस अब टूटने लगी है। इस बीच शुक्रवार को आदिवासियों ने एक ऐसी परंपरा निभाई, जिसने हर किसी को चौंका कर रख दिया।

मानक से कम वर्षा चिंता का कारण: जिला कृषि अधिकारी

जिला कृषि अधिकारी डा. हरेकृष्ण शर्मा ने भी इस बात को स्वीकार किया कि जिले में बरसात कम हुई है। कम बारिश का सीधा असर खरीद की खेती पर दिख रहा है। कहा कि अगर शीघ्र बरसात नहीं हुई तो खरीद के उत्पादन पर उसका अच्छा-खासा असर देखने को मिल सकता है। जिले में सूखे की स्थिति बनने के सवाल पर कहा कि अभी बहुत कुछ बिगड़ा नहीं है। अगर शीघ्र बारिश हो जाए तो काफी राहत मिल सकती है।



\
Kaushlendra Pandey

Kaushlendra Pandey

Next Story