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सोनभद्र नरसंहार पर सपा-कांग्रेस सदस्यों ने किया सदन से बहिर्गमन
सोनभद्र में हाल में हुए सामूहिक हत्याकांड मामले को लेकर सोमवार को विधान परिषद में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक के बाद सपा और कांग्रेस के सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया।
लखनऊ: सोनभद्र में हाल में हुए सामूहिक हत्याकांड मामले को लेकर सोमवार को विधान परिषद में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक के बाद सपा और कांग्रेस के सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया।
शून्यकाल के दौरान सपा, बसपा और कांग्रेस सदस्यों ने कार्यस्थगन की सूचनाओं के जरिये प्रदेश की कानून-व्यवस्था खासकर सोनभद्र हत्याकांड का मुद्दा उठाया।
बसपा ने सोनभद्र मामले की सीबीआई जांच की मांग भी की। इन सूचनाओं को एक साथ सम्बद्ध कर दिया गया। सदन में सपा और विपक्ष के नेता अहमद हसन ने कहा कि सोनभद्र में सामूहिक हत्याकांड एक दुखद और शर्मनाक घटना है।
सोनभद्र कांड: भाजपा सरकार आने के बाद बेचीं गई जमीन
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जिस जमीन को लेकर विवाद के कारण यह वारदात हुई उसे वर्ष 2017 में भाजपा सरकार आने के बाद बेचा गया। अब उसी के शासनकाल में 32 ट्रैक्टरों पर सवार 300 हथियारबंद लोगों ने 10 लोगों की हत्या कर दी। सरकार इस विवाद को वर्ष 1955 से जोड़ रही है, लेकिन 17 जुलाई 2019 से पहले ऐसी घटना कभी नहीं हुई थी।
उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने अपनी जमीन को लेकर विवाद की शिकायत पुलिस और स्थानीय प्रशासन से की, मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस वारदात के मुख्य अभियुक्त ग्राम प्रधान यज्ञदत्त भोटिया को सपा का नेता बता रहे हैं, यह बिल्कुल झूठ है।
यज्ञदत्त कभी सपा का नेता नहीं रहा। उन्होंनेे कहा कि प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ही जून में 236 आपराधिक घटनाएं हुई हैं, मगर सरकार मस्त है। प्रदेश में ‘रूल आफ लॉ’ नहीं बल्कि ‘रूल आफ आउटलॉ’ है।
वहीं सपा सदस्य शतरुद्र प्रकाश ने कहा कि अगर सरकार ने जमीन पर आदिवासियों के दावों पर फिर से सुनवाई करने के उच्च न्यायालय के आदेश को माना होता तो सोनभद्र सामूहिक हत्याकांड ना होता।
बसपा ने सदन में कही ये बात
बसपा सदस्य दिनेश चन्द्रा ने कहा कि सोनभद्र जैसी घटना एक दिन में नहीं होती है। इसके लिये पूरी तैयारी की गयी होगी। इस हत्याकांड की सीबीआई जांच होनी चाहिये।
कांग्रेस सदस्य दीपक सिंह ने कहा कि सोनभद्र के उम्भा गांव के आदिवासियों ने प्रशासन से 12 बार लिखित शिकायत की, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई।
उन्होंने कहा कि गत 19 जुलाई को सोनभद्र हत्याकांड के पीड़ितों से मिलने जा रही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को धारा 144 लागू होने की बात कहकर हिरासत में ले लिया गया।
उनसे खुद मिलने आये पीड़ितों को रोका गया। वहीं, कल सोनभद्र पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह समेत कई नेताओं को एक साथ जाने दिया गया। क्या प्रदेश में सत्तापक्ष और विपक्ष के लिये अलग-अलग कानून हैं।
बाद में नेता सदन व उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि सोनभद्र में घटना के बाद तनाव की स्थिति के कारण धारा 144 लागू की गयी थी। जहां तक प्रियंका गांधी का सवाल है तो सरकार ने ही उन्हें पीड़ितों से मिलवाया था।
उन्होंने आरोप लगाया कि वर्ष 1955 में कांग्रेस के विधान परिषद सदस्य और जो बाद में राज्यसभा सदस्य भी बने, उन्होंने आदिवासियों की जमीन एक पब्लिक ट्रस्ट के नाम की।
वर्ष 1989 में उसमें से 144 बीघा जमीन उस ट्रस्ट के संचालकों के नाम कर दी गयी। इसके अलावा सोनभद्र हत्याकांड का मुख्य अभियुक्त ग्राम प्रधान यज्ञदत्त भोटिया का सपा से गहरा सम्बन्ध है।
सपा सरकार ने बीजेपी पर लगाया ये आरोप
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इस पर सपा के सदस्यों ने आपत्ति की और कहा कि सरकार इस हत्याकांड की जिम्मेदारी से बच नहीं सकती। यह कहते हुए वे सदन के बीचोबीच आकर नारेबाजी करने लगे। अधिष्ठाता देवेन्द्र प्रताप सिंह के आग्रह पर सपा सदस्य वापस अपने स्थान पर चले गये, मगर सत्तापक्ष के साथ उनकी नोकझोंक जारी रही।
बाद में सभी सपा सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गये। वहीं सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर कांग्रेस सदस्य दीपक सिंह भी सदन से बाहर चले गये।
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