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सपाइयों का साहस इस MLC की वजह से टूट गया, दुबक गए जोशीले कार्यकर्ता
जिले में सपा का उबरना अब मुश्किल होता जा रहा है। जिस जोश के साथ सपा के लोग जनता की आवाज बुलंद करने के लिए सडकों पर निकलते थे, वह धार खत्म होती जा रही है।
सीतापुर: जिले में सपा का उबरना अब मुश्किल होता जा रहा है। जिस जोश के साथ सपा के लोग जनता की आवाज बुलंद करने के लिए सडकों पर निकलते थे, वह धार खत्म होती जा रही है। वजह, इस जिले में सपा का सबसे बडा ताकतवर और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का करीबी नेता एमएलसी आनंद भदौरिया को माना जाता है, लेकिन भदौरिया की अगुवाई में एक भी ऐसा प्रदर्शन सफल न हो सका जिसे विपक्षी दल की महती भूमिका में शामिल किया जा सके।
सोमवार को किसानों के मसले पर एक बार फिर यही देखने को मिला। किसान आंदोलन के मसले पर भदौरिया ने सिर्फ रस्म निभाई। इसी कारण ये पहली बार देखने को मिला कि सरकार के विरोध में सपा का प्रदर्शन इतना फीका रहा।
सीतापुर में होना था प्रदर्शन
दरअसल, पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत क्रषि कानून के विरोध और आंदोलनरत किसानों का समर्थन करने के लिए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रदर्शन आदि करने का निर्णय किया था। इसके तहत सीतापुर में भी प्रदर्शन होना था। सपा का इतना कमजोर प्रदर्शन पहली बार ही नहीं, इससे पहले भी योगी सरकार का विरोध करने के लिए जब भी सपा का प्रदर्शन हुआ तो सिर्फ रस्म निभाई गई। वजह, अखिलेश यादव ने सीतापुर के कमान आनंद भदौरिया को सौंप रखी है। आज का शुरूआती प्रदर्शन भी आनंद भदौरिया ने का था।
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कुछ लोगों के साथ आंख अस्पताल के निकट गांधी प्रतिमा स्थल के बाहर आकर नारेबाजी करने के साथ बैठ गए। इनके साथ कुछ आठ दस लोग थे। इससे समझिये कि जिले के एमएलसी ने इतना भी इंतजाम नहीं कर सके कि उनके साथ दो सौ लोग जुट सकें। जो दस बारह लोग उनके साथ दिखे भी उनमें भी कई क्रिमिनल हिस्ट्री वाले लोग गिरफतारी के वक्त खिसक गए।
पुलिस ने इन्हें बस में बैठाकर पुलिस लाइन भेज दिया। दोपहर तीन बजे तक कुल 50 लोग पुलिस लाइन भेजे गए थे, इससे अंदाजा लगाइये कि 2012 में नौ में से आठ विधानसभा सीटों पर कब्जे जमाने वाली सपा की हालत कितनी पतली हो गई है। बहरहाल, इसके कुछ देर बाद पांच लोग और आए वे भी इसी तरह नारे लगाते हुए इसी स्थान पर खुद ही लेट गए।
पुलिस ने हल्का प्रयास कर बस में बैठा दिया
जैसे कि किसी ने उन्हें पीटा हो। पुलिस ने हल्का प्रयास कर बस में बैठा दिया। एक महिला नेता थीं, उन्हें महिला पुलिस कर्मी जिप्सी में बैठाने के लिए ले जा रहीं थीं, फोटोग्राफरों को देखकर इस महिला नेता को जैसे मिर्गी को दौरा पड गया हो, .....जिंदाबाद के नारे लगाते हुए उग्र हो गईं। पुलिस कर्मियों ने दबोच कर गाडी में बैठा दिया तो फिर मुस्काराने लगीं।
95 प्रतिशत लोग ऐसे थे जो सपा के सक्रिय कार्यकर्ता नहीं थे
दोपहर के दो बजे थे। पुलिस लाइन में आरआई खुद ही अभिरक्षा में लिए गए सपाइयों की निगरानी कर रहे थे। बोले, करीब 50 लोगों को लाया गया है। उधर सपा कार्यालय के बाहर पुलिस की निगरानी रही। पता चला कि पुलिस ने जिन लोगों को गिरफतार किया उनमें से 95 प्रतिशत लोग ऐसे थे जो सपा के सक्रिय कार्यकर्ता भी नहीं थे। बतलब कि बेहद कमजोर प्रदर्शन।
जिला प्रशासन से अच्छे रिश्ते हैं एमएलसी के...
सपा का कमजोर प्रदर्शन क्यों है, इसके पीछे भी झांकना जरूरी है। एमएलसी आनंद भदौरिया इसी जिले के निवासी हैं। काशंराम कालोनी के निकट आलीशान घर बनावाया है। इसी के बगल में सपा की ही सरकार में करोडों की लागत का पार्क बनवाया गया था। इसके अलावा भी एमएलसी के कई बेतरतीब कार्य लोगों की जुबान पर नाचते रहते हैं। एमएलसी की निधि भी चर्चा में रही है। इसीलिए आनंद भदौरिया जिले के पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों से अच्छे रिश्ते बनाकर चलते हैं।
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यह उनकी मजबूरी है। लेेकिन इसे जिले में सपा की आलीशान इमारत ढहती जा रही है। इसकी परवाह जिसे करनी है वे खुद ही सपा अध्यक्ष का खास है इस कारण अन्य कोई नेता एमएलसी से टकराने की हिम्मत नहीं करता। पिछले विधानसभा चुनाव में उन सभी का टिकट कट गया था जो भदौरिया का विरोधी था। चार बार लगातार विधायक रहे दिग्ग्ज नेताओं को भी पैदल कर दिया गया था। बहरहाल, सच लिखना जरूरी है, लिख दिया....।
रिपोर्ट: पुतान सिंह