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पीडब्ल्यूडी में 102 एग्जीक्यूटिव इंजीनियर दोषी, लगा है ये आरोप

पीडब्ल्यूडी  में मनमाने ढंग से बजट खर्च करने पर 102 अधिशासी अभियंताओं एक्सईएन को दोषी ठहराया गया है। इनमें से 89 अभियंताओं की वेतन वृद्धि रोकने का निर्णय लिया गया है। जबकि, एक करोड़ रुपये से अधिक राशि मनमाने ढंग से दूसरे मद में खर्च करने वाले 7 अभियंताओं को बड़ा दंड देने के लिए अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की गई है।

suman
Published on: 23 Jan 2020 6:59 AM GMT
पीडब्ल्यूडी में 102 एग्जीक्यूटिव इंजीनियर दोषी, लगा है ये आरोप
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लखनऊ: पीडब्ल्यूडी में मनमाने ढंग से बजट खर्च करने पर 102 अधिशासी अभियंताओं एक्सईएन को दोषी ठहराया गया है। इनमें से 89 अभियंताओं की वेतन वृद्धि रोकने का निर्णय लिया गया है। जबकि, एक करोड़ रुपये से अधिक राशि मनमाने ढंग से दूसरे मद में खर्च करने वाले 7 अभियंताओं को बड़ा दंड देने के लिए अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की गई है। बस्ती में करोड़ों रुपये के सड़क घोटाले का खुलासे के बाद पूरे प्रदेश में कराई गई जांच में ये मामले पकड़ में आए थे।

साल 2017-18 और 2018-19 में बस्ती में 300 से ज्यादा सड़कों के निर्माण में घपला किया गया। 40 करोड़ रुपये के इस घपले में जांच अधिकारी ने अधिशासी अभियंता को दोषी ठहरा दिया है, जबकि सहायक और अवर अभियंताओं के खिलाफ जांच अभी जारी है। विधानसभा की लोक लेखा समिति में भी यह मुद्दा उठा। इसके बाद पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों से पूरे प्रदेश में बजट खर्च में मनमानी की जांच कराने के लिए कहा गया।

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वित्त वर्ष 2015-16 से 2017-18 तक के रिकॉर्ड की जांच कराई गई। इसमें बड़े पैमाने पर फंड डायवर्जन (स्वीकृत मद के बजाय दूसरे मद में राशि खर्च करना) के मामले मिले। मिर्जापुर, आगरा, कानपुर व बस्ती मंडल में 4-4 एक्सईएन, अलीगढ़ में 14, आजमगढ़ में तीन, इलाहाबाद में 7, वाराणसी और गोरखपुर में 10-10 एक्सईएन ने बिना अनुमति लिए फंड स्वीकृत मद के बजाय दूसरे मद में खर्च कर दिया। इसी तरह से शेष 9 मंडलों में 42 एक्सईएन फंड डायवर्जन के दोषी मिले।

इन मामलों की जांच उत्तर प्रदेश सरकारी सेवा (अनुशासन एवं अपील नियमावली)-1999 के तहत कराई गई थी। शासन ने दोषी मिले 89 एक्सईएन की एक-एक वेतन वृद्धि रोकने का फैसला सुनाया। इनकी नियुक्ति उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग के माध्यम से होती है, इसलिए दंडादेश जारी करने से पहले आयोग से भी अनुमति मांगी गई। शासन के एक अधिकारी ने बताया कि 40 एक्सईएन के मामले में आयोग की अनुमति मिल चुकी है। उनके खिलाफ दंडादेश जारी कर दिया गया है।

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49 एक्सईएन के मामले में अनुमति के लिए आयोग को पत्र भेज दिए गए हैं। वहीं, रिटायर हो चुके 6 एक्सईएन के खिलाफ फंड डायवर्जन के केस मिलने के बावजूद कोई कार्रवाई न करने का फैसला किया गया। एक करोड़ रुपये से अधिक का फंड डायवर्जन करने वाले 7 एक्सईएन के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकारी सेवा (अनुशासन एवं अपील नियमावली)-1999 के नियम-7 के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही की गई है। नियम-7 के तहत बड़ा दंड दिया जाता है। इसमें सेवा से बर्खास्तगी तक का प्रावधान है।

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