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कर्मचारी परिषद ने की MPW कर्मियों को हेल्थ वैलनेस सेंटर में नियुक्त करने की मांग

परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने बुधवार को अपर मुख्य सचिव चिकित्सा, स्वास्थ एवं परिवार कल्याण अमित मोहन को पत्र भेज कर अनुरोध किया है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 में अनुभवी कर्मचारियों की आवश्यकता है

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Published on: 19 Aug 2020 10:43 PM IST
कर्मचारी परिषद ने की MPW कर्मियों को हेल्थ वैलनेस सेंटर में नियुक्त करने की मांग
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कर्मचारी परिषद ने की MPW कर्मियों को हेल्थ वैलनेस सेंटर में नियुक्त करने की मांग

मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ: राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य से ग्रामीण क्षेत्रों में जनता को बेहतर स्वास्थ सेवा उपलब्ध कराने के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत नवनिर्मित हेल्थ वैलनेस सेंटर में वर्ष 2011-12 में चयनित मल्टी परपस वर्कर (एमपीडब्लू) पुरूष को संविदा पर नियुक्त करने का अनुरोध किया है।

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अनुभवी कर्मचारियों की आवश्यकता

परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने बुधवार को अपर मुख्य सचिव चिकित्सा, स्वास्थ एवं परिवार कल्याण अमित मोहन को पत्र भेज कर अनुरोध किया है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 में अनुभवी कर्मचारियों की आवश्यकता है इसलिए इनकी पूर्व में की गई सेवाओं व अनुभव को देखते हुए इनका चयन हेल्थ एण्ड वेलनेस सेन्टर में एमपीडब्लू (संविदा) के पद पर किया जाए। उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश की जनता को सरकार की मंशा के अनुरूप बेहतर चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध हो सकेगी और विगत कई वर्षों से बिना वेतन के विभाग व जनता को अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे इन कर्मियों को आय का साधन भी उपलब्ध हो जायेगा।

2500 मल्टी परपस वर्कर का चयन प्रस्तावित

अतुल मिश्रा ने बताया कि राज्य में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा प्रदेश की जनता को बेहतर चिकित्सा स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए हेल्थ एण्ड वेलनेस सेन्टर का चयन किया जा रहा है, जो लगभग पूरा हो चुका है। इस परियोजना में लगभग 2500 मल्टी परपस वर्कर (एमपीडब्लू) पुरूष का चयन प्रस्तावित है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2011-12 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत लगभग 3575 एमपीडब्लू का चयन किया गया था। केन्द्र सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन में स्पष्ट प्राविधान किया गया था कि 3 वर्ष के बाद प्रदेश सरकार चयनित एमपीडब्लू को नियमित करके परियोजना चलाएगी। तीन साल के बाद केन्द्र सरकार द्वारा बजट दिया नही गया। बजट के अभाव में इन नित एमपीडब्लू की सेवाएं 30 सितम्बर 2014 के बाद से बाधित हो गई।

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कार्यरत होने के बावजूद इनके मानदेय का भुगतान नहीं

जबकि कई प्रदेशों ने इस परियोजना को बढ़ाते हुए उसमे नियुक्त कर्मियों को नियमित चयन प्रक्रिया में वरीयता देते हुए इनकी नियुक्ति भी कर दी। महामंत्री ने बताया कि यूपी के एमपीडब्ल्यू ने अपनी समस्या के हल के लिए प्रदेश सरकार को कई प्रत्यावेदन भी दिए लेकिन समाधान न निकलता देख हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मामलें की सुनवाई के बाद एक स्थगन आदेश पारित कर इन एमपीडब्लू कर्मचारियों की सेवाएं यथावत रखने को कहा लेकिन आज भी विभाग में कार्यरत होने के बावजूद इनके मानदेय का भुगतान नहीं किया जा रहा है।

अतुल मिश्रा ने बताया कि परिषद के अनुरोध और शासन के निर्देश पर मुख्य चिकित्सा अधिकारियों द्वारा महानिदेशक परिवार कल्याण को भेजी गई रिपोर्ट में 3023 एमपीडब्लू में से अधिकांश संविदा कर्मचारी अभी भी कार्यरत है। महानिदेशक परिवार कल्याण द्वारा 29 अक्टूबर, 2018 को शासन द्वारा तीन बिन्दुओं पर मांगी गई रिपोर्ट में अधिकांश जिलों में वर्तमान में एमपीडब्लू के कार्यरत होने की पुष्टि की गई है।

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