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नया पेराई सत्र चालू, पिछले भुगतान को तरस रहे हैं गन्ना किसान: अजय कुमार लल्लू

प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष अजय कुमार लल्‍लू ने प्रदेश सरकार पर गन्‍ना किसानों का भुगतान नहीं करने का आरोप लगाया है। उन्‍होंने कहा कि योगी सरकार किसानों की हितैषी होने का दावा करती है लेकिन चार सालों में आज तक एक बार भी ऐसा नहीं हुआ जब किसानों को उनका गन्‍ना मूल्‍य भुगतान समय से किया गया हो।

Monika
Published on: 1 Nov 2020 8:09 PM IST
नया पेराई सत्र चालू, पिछले भुगतान को तरस रहे हैं गन्ना किसान: अजय कुमार लल्लू
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नया पेराई सत्र चालू, पिछले भुगतान को तरस रहे है गन्ना किसान/ अजय कुमार लल्लू

लखनऊ: प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष अजय कुमार लल्‍लू ने प्रदेश सरकार पर गन्‍ना किसानों का भुगतान नहीं करने का आरोप लगाया है। उन्‍होंने कहा कि योगी सरकार किसानों की हितैषी होने का दावा करती है लेकिन चार सालों में आज तक एक बार भी ऐसा नहीं हुआ जब किसानों को उनका गन्‍ना मूल्‍य भुगतान समय से किया गया हो। उन्‍होंने कहा कि प्रदेश सरकार को तुरंत गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर बकाया लगभग 14 हजार करोड़ रुपये का भुगतान कराना चाहिए और मौजूदा पेराई सत्र में गन्ना किसानों को 450 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भुगतान किया जाए ।

योगी सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाए

कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने योगी सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार बनने से पहले भाजपा ने गन्ना किसानों को अपने मेनिफेस्टो संकल्प पत्र में भरोसा देकर वादा किया था कि सरकार में आने पर गन्ना किसानों का भुगतान 14 दिनों के अंदर कर देंगे। और ऐसा न होने पर ब्याज सहित गन्ना किसानों को उनका बकाया रकम देने का वादा किया था। पर आज साढ़े तीन साल बीत जाने के बाद भी अभी तक यह वादा पूरा नही किया है।

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उन्होंने कहा कि सरकार अपने वादे के मुताबिक गन्ना किसानों को तत्काल 14 हजार करोड़ का बकाया भुगतान सुनिश्चित कराए। उन्होंने कहा कि राज्य की भाजपा सरकार गन्ना किसानों की जिस तरह अनदेखी कर रही है उससे उनकी आर्थिक स्थित अत्यंत खराब होती जा रही चीनी मिल मालिको ने पिछले पेराई सत्र में जिस तरह उनकी तौल की पर्चियों में वजन अंकित नही किया,समय पर भुगतान नही किया उससे वह चालू पेराई सत्र में चिंतित है पिछला 14 हजार करोड़ रुपया भुगतान न होने से वह ठगा हुआ महसूस कर रहा है,जिस तरह राज्य सरकार गन्ना किसानों के साथ व्यवहार कर रही है उससे स्प्ष्ट हो चुका है भाजपा की नीतियां गन्ना किसान विरोधी है जिसे कांग्रेस बर्दास्त नही करेगी।

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नीतियों के कारण नहीं मिल पा रही लागत

उन्होंने कहा कि सरकार की विरोधाभासी व किसान विरोधी नीतियों के कारण गन्ना किसानों को अपनी मेहनत व लागत नही मिल पा रही है वर्तमान पेराई सत्र में गन्ना किसानों को 450 प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना चाहिये गन्ना किसानों की अनदेखी के चलते उनकी आर्थिक दशा निरन्तर दयनीय होती जा रही है जिसकी तरफ ध्यान देने की तत्काल आवश्यकता है,कांग्रेस गन्ना किसानों को 450 प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य देने व बकाया लगभग 14 हजार करोड़ रुपये के तत्काल भुगतान की मांग करती है।

गन्ना किसान लगभग भुखमरी की कगार पर पहुंच चुका

प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने जारी बयान में कहा कि कोरोना काल की आर्थिक मुश्किलें और खराब मौसम ओलावृष्टि के चलते पहले से ही गन्ना किसानों की कमर टूट चुकी है, ऐसे में भुगतान न होने से गन्ना किसान लगभग भुखमरी की कगार पर पहुंच चुका है, वह बच्चों की पढ़ाई के खर्च सहित बहन बेटियों के हाथ पीले करने व रोजमर्रा के घरेलू खर्च के लिये साहूकारों के कर्ज के जाल में फंसता जा रहा है गन्ना किसान भुखमरी के कगार पर है उसे अपनी मेहनत व लागत भी नही मिल पा रही है वही दूसरी तरफ वह सरकार की उपेक्षा के कारण अत्यंत कष्ट के दौर से गुजर रहा है सरकार गन्ना किसानों की समस्यायों के तत्काल निवारण की ओर कदम उठाए अन्यथा कांग्रेस गन्ना किसानों के हित को देखते हुए सड़क से सदन तक संघर्ष करने को विवश होगी।

पुराने रेट से गन्ना किसानों की खेती को लगातार नुकसान

प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने योगी सरकार से आग्रह किया कि नए पेराई सत्र में गन्ना किसानों को 450 रुपए क्विंटल की दर से गन्ने का भुगतान करे। जारी बयान में उन्होंने कहा कि वर्तमान में खेती की लागत में लगातार वृद्धि हुई है। खाद, उर्वरक, बिजली, सिंचाई की लागत बढ़ने से गन्ना किसान को लगातार घाटा हो रहा है। पुराने रेट से गन्ना किसानों की खेती को लगातार नुकसान हो रहा, गन्ना किसान और उनका परिवार ऐसे में आर्थिक रूप से टूट गया है और भुखमरी के कगार पर पहुंच गया है। उन्‍होंने आगे कहा कि आज गन्ने से उत्पन्न शीरा से सरकार एथनाल बना रही है जिसका वाणिज्यिक इस्तेमाल होता है। इसी एथनॉल से आजकल सेनेटाइजर भी बनाया जा रहा है जो बड़ी कीमत पर बाजार में बिक रहा है। ऐसे में गन्ना किसानों को भी गन्ने के बाईप्रोडक्ट्स से होने वाले लाभ के अनुपात में ही उसकी फसल का मूल्य मिलना चाहिए। 450 रुपए प्रति क्विंटल दाम कहीं से भी अतार्किक नही है।

अखिलेश तिवारी

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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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