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पावर कॉर्पोरेशन पीएफ घोटाले के विरोध में बिजली कर्मियों का प्रदेशव्यापी आंदोलन

पावर कार्पोरेशन में हुए प्राविडेण्ट घोटाले के विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के आह्वान पर मंगलवार को बिजली कर्मचारियों ने पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन किया और घोटाले के आरोपी पावर कारपोरेशन के चेयरमैन को हटाने व गिरफ्तार करने की मांग की।

Vidushi Mishra
Published on: 5 Nov 2019 4:43 PM GMT
पावर कॉर्पोरेशन पीएफ घोटाले के विरोध में बिजली कर्मियों का प्रदेशव्यापी आंदोलन
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मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ। पावर कॉर्पोरेशन में हुए प्राविडेण्ट घोटाले के विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के आह्वान पर मंगलवार को बिजली कर्मचारियों ने पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन किया और घोटाले के आरोपी पावर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन को हटाने व गिरफ्तार करने की मांग की। संघर्ष समिति के नेताओं ने बताया कि प्रान्तव्यापी विरोध सभाओं का क्रम बुधवार को भी जारी रहेगा।

हालांकि पावर कॉर्पोरेशन के दलित व पिछड़े अभियन्ताओं के संगठन उप्र. पावर आफिसर्स एसोसिएशन ने इस मामले में सरकार द्वारा की गयी कार्रवाई को संतोषजनक बताते हुए आगामी सात दिन तक विरोध-प्रदर्शन न करने की घोषणा की है।

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पावर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन को हटाने व गिरफ्तार करने की मांग

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र. के आह्वान पर मंगलवार को ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारियों व अभियन्ताओं ने राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के सभी परियोजना और जिला मुख्यालयों पर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने मांग की है कि पावर सेक्टर इम्पलाइज ट्रस्ट में जमा धनराशि के भुगतान की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार ले और घोटाले के दोषी पावर कॉर्पोरेशन व ट्रस्ट के अध्यक्ष को उनके पद से तत्काल हटाकर गिरफ्तार किया जाये जिससे घोटाले की निष्पक्ष जांच हो सके।

राजधानी लखनऊ में मंगलवार को शक्ति भवन पर सैकड़ों की तादाद में बिजली कर्मचारी व अभियन्ता प्रदर्शन में सम्मिलित हुए और बिजली दफ्तरों में सन्नाटा पसरा रहा।

विरोध प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुए संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने सारे प्रकरण की सीबीआई जांच के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के प्रति आभार प्रगट किया और मांग की कि निष्पक्ष्ज्ञ जांच के लिए जिम्मेदार अधिकारियों खासतौर पर पावर कारपोरेशन के चेयरमैन को उनके पद से हटाकर तत्काल गिरफ्तार किया जाये क्योंकि वे ट्रस्ट के भी अध्यक्ष है और उनके पद पर रहते हुए साक्ष्यों से छेड़छाड़ की सम्भावना है और निष्पक्ष जांच प्रभावित होंगी।

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कार्यवाही किया जाना बहुत आवश्यक

संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि ट्रस्ट के माध्यम से कर्मचारियों के जीपीएफ व सीपीएफ की धनरशि गौरकानूनी ढंग से अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक की सूची में न आने वाले डीएचएफएल कम्पनी में निवेश की गयी जिसकी जिम्मेदारी पावर कारपोरेशन व ट्रस्ट के चेयरमैन की होती है।

बिजली कर्मचारी नेता सुहेल आबिद ने कहा कि डीएचएफएल में निवेश करना ही गलत था लेकिन यह निवेश एफडी में किया गया जो और भी असुरक्षित था जिसके लिए चेयरमैन पर कार्यवाही किया जाना बहुत आवश्यक है।

मंगलवार को हुए विरोध प्रदर्शन में अनपरा, ओबरा, परीछा, हरदुआगंज, पिपरी, वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज, बरेली, अयोध्या, मुरादाबाद, सहारनपुर, मेरठ, गाजियाबाद, कानपुर, झांसी, बांदा, अलीगढ़ और आगरा में बिजली कर्मचारियों ने तीन बजे से शाम पांच बजे तक जोरदार नारेबाजी और प्रदर्शन कर मांग की कि ट्रस्ट में निवेशित धनराशि की जिम्मेदारी सरकार ले।

इधर, उत्तर प्रदेश पावर सेक्टर एम्प्लॉय ट्रस्ट का लगभग 2267 करोड़ निजी कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस कंपनी डीएचएफएल में अभी भी फंसे रहने के मामले में उप्र. पावर आफीसर्स एसोशिएसन की प्रान्तीय कार्य समिति की बैठक में मंगलवार को सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि अभी तक सरकार की कार्यवाही से एसोसिएशन पूरी तरह सन्तुष्ट है इसलिये अभी प्रदेश के दलित व पिछड़े वर्ग के अभियन्ता किसी भी आन्दोलन पर नहीं जायेगे।

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अध्यक्ष को हटाने पर विचार चल रहा

एसोसिएशन ने सरकार को सात दिन का टाइम दिया है कि सरकार एसोसिएशन की एक बची माॅग फन्ड की गारन्टी पर एक नोटीफिकेशन अविलम्ब जारी कराये। आफीसर्स एसोशिएसन के अध्यक्ष केबी राम ने कहा कि एसोसिएशन की पहली मांग पर सरकार ने मामले की सीबीआई से जांच कराने का ऐलान कर दिया है।

दूसरी मांग उच्चाधिकारियों के मामले में एमडी को हटा दिया है और अध्यक्ष को हटाने पर विचार चल रहा है। अब केवल तीसरी मांग के तहत सरकार द्वारा निजी कम्पनी डीएचएफएल में वर्तमान में फंसी रकम 2267 रुपये करोड़ पर गारन्टी देने का मामला विचाराधीन है।

उन्होंने कहा कि जिस तरह वर्ष 2002 में कार्मिकों के साथ समझौते में सरकार ने 14-01-2002 को पेन्शन व ग्रेच्युटी के रूप में बचे 6176 करोड़ रुपये के भुगतान के लिये नोटीफिकेशन जारी कर उसे वहन करने का उत्तरदायित्व लिया था।

उसी तरह डीएचएफएल में फंसी रकम 2267 करोड़ रुपये पर गारन्टी के लिये सात दिन के अन्दर एक नोटीफिकेशन जारी कराकर जीपीएफ व सीपीएफ ट्रस्ट की गारन्टी ले अन्यथा आफिसर्स एसोसिएशन को भी बाध्य होकर आन्दोलन के रास्ते पर जाना पड़ेगा।

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