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Sobhadra News: ओबरा इंटर कालेज के निजीकरण के खिलाफ छात्रों ने खोला मोर्चा, शुरू किया बेमियादी धरना, की जमकर नारेबाजी

Sobhadra News: ओबरा इंटर कालेज के निजीकरण के खिलाफ छात्रों ने खोला मोर्चा, शुरू किया बेमियादी धरना

Kaushlendra Pandey
Published on: 12 April 2023 2:50 AM IST
Sobhadra News: ओबरा इंटर कालेज के निजीकरण के खिलाफ छात्रों ने खोला मोर्चा, शुरू किया बेमियादी धरना, की जमकर नारेबाजी
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सोनभद्र में ओबरा इंटर कालेज के निजीकरण के खिलाफ छात्रों ने खोला मोर्चा-Photo- Newstrack

Sobhadra News: राज्य विद्युत उत्पादन निगम की तरफ से, राज्य के स्वामित्व वाले बिजलीघरों के आवासीय परिसर में संचालित विद्यालयों का संचालन निजी हाथों में सौंपे जाने का, विरोध तेज हो गया है। इसके विरोध में सोनभद्र के ओबरा से छात्रों ने आंदोलन की राह पकड़ ली है। मंगलवार से राज्य विद्युत उत्पादन निगम की ओबरा बिजली परियोजना प्रबंधन के स्वामित्व वाले ओबरा इंटर कालेज के निजीकरण के विरोध में छात्रों ने बेमियादी धरने की भी शुरूआत कर दी। पूरे दिन इसको लेकर रह-रहकर नारेबाजी होती रही।

आंदोलनरत छात्रों ने लगाए कई गंभीर आरोप

ओबरा इंटर कालेज बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले आंदेालनरत छात्रों ने उत्पादन निगम के उच्चाधिकारियों पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। विद्युत उत्पादन निगम के स्वामित्व वाले विद्यालयों का संचालन निजी हाथों में सौंपे जाने के निर्णय पर सवाल उठाते हुए कहा है कि महज 36 हजार के वार्षिक शुल्क के आधार पर ओबरा, अनपरा, पनकी, परीक्षा, हरदुआगंज के उत्पादन निगम के सभी विद्यालयों को लीज के आड़ में बेच दिया गया है। छात्रों का दावा है कि यह एक बड़े घोटाले की तरफ इशारा कर रहा है। इसकी जांच कर, स्थिति स्पष्ट की जानी चाहिए और जो दोषी हैं, उनके खिलाफ एक्शन लिया जाना चाहिए।

गरीब और वंचित तबके के साथ अन्याय है यह निर्णय: आनंद

ओबरा इंटर कालेज परिसर में धरना दे रहे विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए ओबरा इंटर कालेज बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक आनंद ने कहा कि ओबरा इंटर कालेज को निजी हाथों में सौंपने का निर्णय हो चुका है, जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति, आदिवासी और जरूरतमंद गरीब विद्यार्थियों के साथ घोर अन्याय है। ओबरा इंटर कालेज को निजी हाथों में देने के प्रस्ताव के विरोध में हम सभी और हमारा संगठन अहिंसात्मक विरोध दर्ज करा रहा है।

शिक्षा के बेहतरी के होने वाले दावों की क्या यहीं है हकीकत? उठाए सवाल!

आंदोलनरत छात्रों का कहना था कि जब कभी भी कोई परियोजना लगाई जाती है तो बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं कि शिक्षा, चिकित्सा, शुद्ध पेयजल, पर्यावरण संरक्षण आदि के काम होंगे। पर यहां पूर्व से चल रही शिक्षा व्यवस्था को निजी हाथों में दे दिया गया है। आखिर यह किस तरह से शिक्षा की बेहतरी का दावा है, इसे भी स्पष्ट किया जाना चाहिए।

इन मांगों पर अमल की उठाई गई आवाज

संघर्ष समिति के संयोजक आनंद ने कहा कि ओबरा इंटर कालेज ओबरा को उत्पादन निगम या सार्वजनिक या प्रांतिकरण या राजकीय क्षेत्र में संचालित किया जाए। कारपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी का धन उसी मद में ओबरा और निकट व्यय किया जाए। गैर जिलों में न भेजा जाए। उसका संचालन किसी निजी संस्थान को न दिया जाए, जिसमें गरीब बच्चों की पढ़ाई न हो सके। कारपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के धन को ओबरा इंटर कालेज और स्थानीय विद्यालय को देकर पूर्व की भांति न्यूनतम शुल्क पर ही पढ़ाई की जाए। कारपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के धन की जांच कराई जाए।

धरने में इनकी-इनकी रही प्रमुख मौजूदगी

धरना का अजय यादव, सुजीत कुमार चैबे, युवराज, श्याम सुंदर, आकाश यादव, प्रियांशु तिवारी, अंश कुमार पनिका, अर्जुन साहनी, रितेश कुमार, रोहित मौर्या, अभिषेक मिश्र, रवींद्र कुमार चौबे आदि ने धरने का नेतृत्व किया।



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