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जेपी बायर्स को राहत, 22 हजार खरीददारों में आशियाने को लेकर जगी उम्मीद

दस साल से आशियाने का इंतजार कर रहे जेपी बायर्स को शीर्ष अदालत की ओर से राहत दी गई है। शीर्ष अदालत ने एनबीसीसी को तीन सप्ताह के अंदर अधूरे परियोजनाओं को अधिग्रहीत करने का प्रस्ताव तैयार कर देने को कहा है।

Aditya Mishra
Published on: 27 March 2023 9:28 PM GMT
जेपी बायर्स को राहत, 22 हजार खरीददारों में आशियाने को लेकर जगी उम्मीद
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नोएडा: दस साल से आशियाने का इंतजार कर रहे जेपी बायर्स को शीर्ष अदालत की ओर से राहत दी गई है। शीर्ष अदालत ने एनबीसीसी को तीन सप्ताह के अंदर अधूरे परियोजनाओं को अधिग्रहीत करने का प्रस्ताव तैयार कर देने को कहा है।

एनबीसीसी के प्रस्ताव के बाद ही जल (जेपी एसोसिएट्स) कि बिड के बारे में सुना जाएगा। सूत्रों ने बताया कि अदालत में जल की तरफ से मनोज गौड़ के अलावा तमाम लोग मौजूद नहीं रहे।

जबकि अदालत ने उन्हें प्रत्येक सुनवाई में रहने के लिए कहा है। ऐसे में बायर्स को उम्मीद है कि उनके फ्लैटों का निर्माण जल्द शुरू हो सकता है।

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जिल (जेपी इंफ्राटेक) और जल (जेपी एसोसिएट्स) को मिलाकर कुल 21 परियोजनाओं का निर्माण किया जा रहा है। जिनके करीब 32 हजार बायर्स है। 2007 में जिल ने बुकिंग शुरू की थी।

इन 32 हजार में से 5 हजार खरीददार प्लाट से संबंधित है। करीब 10 हजार घर खरीददारों को उनका मकान दिया जा चुका है। शेष करीब 22 हजार घर खरीददारों की मांग है कि उन्हें उनका आशियाना दिया जाए।

इससे पहले बायर्स का एक पक्ष जयप्रकाश इंफ्राटेक लिमिटेड के जय प्रकाश एसोसिएट में विलय के पक्ष में था। लेकिन अदालत ने एनबीसीसी को प्रमुखता देते हुए अधूरी परियोजना अधिग्रहण का प्रस्ताव देने को कहा है।

हाल ही में जेपी के बायर्स एसोसिएशन की ओर से एनबीसीसी और जल का तुलांतक चार्ट प्रस्तुत किया था। जिसके तहत जल ने कुल 13 हजार 290 करोड़ रुपए का बैंक हैंड बताया था जबकि एनबीसीसी के पास 7450 करोड़ रुपए का प्लान था।

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वोटिंग का आधार बदलने पर दोबारा शामिल हुए एनबीसीसी

बायर्स ने बताया कि निर्माण कंपनी के पक्ष में किए जा रहे वोटिंग का आधार बदल दिया गया। वोटिंग में बायर्स का हक 59 प्रतिशत था। पहले यह था कि 59 प्रतिशत में कितने लोगों ने किस कंपनी के पक्ष में वोट दिया।

लेकिन वर्तमान में इस आधार को बदल दिया गया। अब 59 प्रतिशत में यदि 10 प्रतिशत लोगों ने वोट दिया जिसमे छह प्रतिशत वोट किसी एक कंपनी के पक्ष में गए तो उसे ही बायर्स की प्राथमिकता मान लिया जाता है। इसका फायदा एनबीसीसी को मिला।

2007 में शुरू हुआ निर्माण

जेपी इन्फ्राटेक ने वर्ष 2007 में नोएडा व ग्रेटर नोएडा में करीब 32,000 फ्लैट का निर्माण शुरू किया था। इनमें से कंपनी ने 9,500 फ्लैट डिलिवर कर दिए हैं, जबकि 4,500 फ्लैट्स के लिए आक्यूपेंसी सर्टिफिकेट संबंधी आवेदन दिया है।

जेपी एसोसिएट्स गई सुप्रीम कोर्ट

रियल्टी कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड ने पुनरुद्धार योजना के अनुमोदन के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

कोर्ट ने इससे पहले कंपनी को उन घर खरीदारों को भुगतान के लिए अदालत में रकम जमा करने को कहा था, जिन्होंने घर की आस छोड़ रकम ही वापस मांग ली थी।

अपनी याचिका में कंपनी ने कहा कि उसकी पुनरुद्धार योजना घर खरीदारों, वित्तीय कर्जदारों, परिचालन कर्जदारों और आंशिक शेयरधारकों समेत जेपी इन्फ्राटेक के कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने में सक्षम है।

लेकिन गुरुवार को अदालत ने जेपी एसोसिएट्स को दर किनार करते हुए एनबीसीसी को तीन सप्ताह में अधिग्रहण प्रस्ताव देने का निर्देश दिया।

जेपी पर 10 हजार करोड़ का कर्ज

जेपी इंफ्रा जेपी ग्रुप की इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी है। जेपी ग्रुप पर करीब 10,000 करोड़ रुपये का कर्ज है। इसमें से चार हजार करोड़ रुपये से ज्यादा कर्ज आईडीबीआई बैंक का है। साथ ही करीब 11 दूसरे बैंक और वित्तीय संस्थाओं के कर्ज भी शामिल हैं। कंपनी के प्रोजेक्ट नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे पर हैं।

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Aditya Mishra

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