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स्वामी चिन्मयानंद ने जेल में कैसे बिताई पहली रात? जानें सबकुछ
लॉ कॉलेज की छात्रा ने चिन्मयानंद पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। लेकिन स्वामी चिन्मयानंद से इस मामले में ब्लैकमेलिंग करने का आरोप पीडि़त लॉ छात्रा और उसके दोस्तों पर है।
लखनऊ: बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद की जेल में पहली रात सामान्य कैदी की तरह बीती। चिन्मयानंद को अन्य कैदियों की तरह ही सामान्य बैरक में रखा गया था।
उन पर लॉ छात्रा की ओर से लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोप में विशेष जांच दल (एसआईटी) ने शुक्रवार को गिरफ्तार किया था। इसके बाद कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की न्याायिक हिरासत में भेज दिया।
बता दें कि लॉ कॉलेज की छात्रा ने चिन्मयानंद पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। लेकिन स्वामी चिन्मयानंद से इस मामले में ब्लैकमेलिंग करने का आरोप पीडि़त लॉ छात्रा और उसके दोस्तों पर है। एसआईटी के पास छात्रा और उसके दोस्तों द्वारा ब्लैकमेलिंग के सुबूत भी हैं।
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चिन्मयानंद से 5 करोड़ रुपये मांगने वालों में पीड़ित छात्रा का भी नाम शामिल है। जानकारी के अनुसार आरोप लगाने से पहले उसकी ओर से 5 करोड़ रुपये की मांग की गई थी।
छात्रा के खिलाफ एसआईटी के पास पुख्ता सबूत होने का दावा किया जा रहा है। छात्रा के 3 दोस्तों को भी शुक्रवार को जेल भेज दिया गया है.।अब लॉ छात्रा के ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।
चिन्मयानंद जेल में कैसी बिताई पहली रात
उन्होंने दोपहर और शाम को सामान्य भोजन ग्रहण किया। उन्हें सामान्य बंदियों के बीच सुरक्षा की दृष्टि से अलग बैरक में रखा गया है। पहली रात उनको ठीक से नींद नहीं आई।
शुक्रवार सुबह 11:05 बजे जेल में दाखिल होने के बाद उन्हें सामान्य बंदियों की तरह बैरक में पहुंचा दिया गया। जेल सूत्रों के अनुसार वह जेल में गुमसुम बैठे रहे।
दोपहर को मेनू के हिसाब से बनाए गए भोजन में उन्होंने मूंग की दाल, आलू की सब्जी और रोटी खाई। इसके कुछ देर बाद वह चुपचाप लेटे रहे। रात के भोजन में उन्हें अरहर की दाल और हरी सब्जी व रोटी दी गई।
स्वामी चिन्मयानंद से फिरौती मांगने के आरोपी संजय, विक्रम, सचिन को भी इसी जेल की बैरक नंबर नौ में रखा गया है। इसलिए जेल प्रशासन ने चिन्मयानंद को सुरक्षा की दृष्टि से अलग बैरक में रखा है।
उन्हें अलग से कोई विशेष सुविधा नहीं दी गई है। जेल सूत्रों के मुताबिक स्वामी की जेल में पहली रात मुश्किलों भरी कटी। उन्हें देर रात तक नींद नहीं आई और वह करवटें बदलते रहे।
कौन हैं चिन्मयानंद?
लखनऊ विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री हासिल करने वाले उत्तर प्रदेश के गोंडा ज़िले के कृष्णपाल सिंह ही आज के स्वामी चिन्मयानंद हैं।
ये तीन बार के सांसद रहने के साथ-साथ 1999 में केंद्र की अटल विहारी सरकार में गृह राज्य मंत्री भी रहे। इनका जुड़ाव ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन और राम मंदिर आंदोलन से भी रहा है।
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स्वामी चिन्मयानंद अविवाहित हैं और कई धार्मिक किताबें भी लिख चुके हैं। इनके शुरूआती जीवन के बारे में अगर बात करें तो ये अस्सी के दशक में शाहजहांपुर आ गए थे और स्वामी धर्मानंद के शिष्य बन कर उन्हीं के मुमुक्षु आश्रम में रहने लगे।
जिसकी स्थापना धर्मानंद के गुरु स्वामी शुकदेवानंद ने की थी और अस्सी के दशक में ही स्वामी धर्मानंद के बाद स्वामी चिन्मयानंद ने इस आश्रम और उससे जुड़े संस्थानों को संभाला।
चिन्मयानंद ने ही शाहजहांपुर में मुमुक्षु शिक्षा संकुल नाम से एक ट्रस्ट बनाया। जिसके ज़रिए कई शिक्षण संस्थाओं का संचालन किया जाता है। इनमें पब्लिक स्कूल से लेकर पोस्ट ग्रैजुएट स्तर के कॉलेज तक शामिल हैं।
यही नहीं, मुमुक्षु आश्रम में ही स्वामी शुकदेवानंद ट्रस्ट का मुख्यालय है। जिसके माध्यम से परमार्थ निकेतन ऋषिकेश और हरिद्वार स्थित परमार्थ आश्रम संचालित किए जाते है।
ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन के प्रबंधन और संचालन की ज़िम्मेदारी चिदानंद मुनि के हाथों में है जबकि हरिद्वार वाले आश्रम का ज़िम्मा चिन्मयानंद के पास है।
राजनीतिक सफर
राम मंन्दिर आन्दोलन अपने चरम पर था कई साधु-संत बीजेपी से जुड़ रहे थे और बीजेपी भी उन्हें चुनाव के मैदान में उतार रही थी। उसी दौरान 1991 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने चिन्मयानंद को बदायूं जैसी ऐसी सीट से उतारा। जहां के हालात उनके मनमाफिक नहीं थे और ना ही उनका दूर- दूर तक यहां से कोई वास्ता था।
बावजूद इसके वह चुनावी मैदान में उतरे और जनता दल के शरद यादव को हराकर बीजेपी को जीत दिलाई। लेकिन इसके बाद जब वे 1996 में शाहजहांपुर से चुनाव में उतरे तो इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। पर बीजेपी ने फिर से उन्हें 1998 और 1999 में पूर्वी यूपी की मछलीशहर और जौनपुर सीट टिकट दिया। जिसमें चिन्मयानंद ने जीत हासिल की।
सुप्रीम कोर्ट का रुख
मामला सामने आने के बाद इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी गठित कर दी है और अब उसकी रिपोर्ट का इन्तजार किया जा रहा है। एसआईटी अपनी रिपोर्ट 23 तारीख को सौपेगी। वहीँ पीडिता के पिता का आरोप है कि यूपी पुलिस द्वारा गठित की गयी एसआईटी सूचनाएं लीक कर रही है।
आठ साल पहले भी लगा था यौन शोषण का आरोप
चिन्मयानंद पर सबसे पहला आरोप एक महिला ने 2011 में लगाया था। आरोप लगाने वाली महिला शाहजहांपुर में स्वामी चिन्मयानंद के ही आश्रम में रहती थी।
लेकिन राज्य में बीजेपी की सरकार बनने के बाद, सरकार ने उनके ख़िलाफ़ लगे इस मुक़दमे को वापस ले लिया था। जिसके बाद पीड़ित पक्ष ने सरकार के इस फ़ैसले को अदालत में चुनौती दी थी लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ।
चिन्मयानंद को इस मामले में हाईकोर्ट से स्टे मिल गया। हालांकि कुछ लोगों का यह मानना है कि इस मामले में उनका नाम आने की वजह से ही उन्हें 2014 के लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिला।
क्या है ताजा मामला?
स्वामी सुखदेवानंद विधि महाविद्यालय में एलएलएम करने वाली छात्रा ने 24 अगस्त को एक वीडियो पोस्ट किया था। इसमें उसने कहा था कि एक संन्यासी ने कई लड़कियों की जिंदगी बर्बाद कर दी है और उसे और उसके परिवार को इस संन्यासी से जान का खतरा है।
उसके बाद लड़की के पिता ने चिन्मयानंद के खिलाफ दुष्कर्म और शारीरिक शोषण की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए तहरीर दी थी, लेकिन पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया।
इस मामले पर अगर शुरुआत से गौर फरमाए तो मामले में सबसे पहले लड़की ने साउथ दिल्ली के एक पुलिस स्टेशन में मामले की तहरीर दी। जिसके बाद वह चार लड़कों(संजय सिंह, सचिन सेंगर, विक्रम और सोनू)के साथ एक गाडी में बैठकर राजस्थान के दौसा जिले चली गयी।
उसके बाद एक वीडियो वायरल होता है। जिसमें छात्रा स्वामी पर गंभीर आरोप लगाते हुए नज़र आती है। इसके बाद पीड़िता के पिता पुलिस के पास पहुंचते हैं। जहां पुलिस रेप का केस दर्ज करने से मना कर देती है और सिर्फ अपहरण का केस दर्ज करती है। उसके बाद वायरल वीडियो तूल पकड़ता है और मामला सबके सामने आता है।
लड़की के पिता ने एसआईटी को सौंपे ये अहम सबूत
फिर यह मामला पहुंचता है सुप्रीम कोर्ट जहां से एसआईटी गठित करने का फैसला होता है। गठित एसआईटी को लड़की के पिता द्वारा 43 वीडियो सौपे जाते हैं और जांच शुरू होती है।
कहानी में ऐसे आया ट्विस्ट
फिर कहानी में एक नया मोड़ आता है। क्योंकि अब स्वामी का तेल मालिश वाला वीडियो आता है और उसके बाद ही एक गाड़ी में बैठकर छात्रा और उसके दोस्तों का पांच करोड़ की रंगदारी मांगे जाने वाला वीडियो भी वायरल होता है।
अब इन विडियोस की सच्चाई क्या है? कौन इसका गुनहगार है? क्या इस मामले में पीड़िता भी बराबर की दोषी है या स्वामी निर्दोष हैं? इन सभी सवालों के जवाब 23 तारीख को एसआईटी को सुप्रीम कोर्ट में देना है।
लड़की का ये है कहना
“स्वामी चिन्मयानंद ने मेरी विवशता का फ़ायदा उठाकर धोखे से मेरा नहाते वक़्त का वीडियो बनाया, फिर उससे ब्लैकमेल करके मेरा रेप किया और फिर उसका भी वीडियो बनाकर एक साल तक मेरा शोषण करते रहे।
मुझे लगा कि इनको इसी तरह से जवाब दिया जा सकता है क्योंकि इनसे लड़ने की न तो मेरी हैसियत थी और न ही मुझमें ताक़त थी।”
आरोपों पर चिन्मयानन्द ने दी थीं ये सफाई
मीडिया के सामने अपना पक्ष रखते हुए स्वामी चिन्मयानन्द ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में यह मामला अब भी विचाराधीन है। कोर्ट ने अब तक जो निर्देश दिये हैं, उससे मैं खुश हूं और मुझे पूरा विश्वास है कि दूध का दूध और पानी का पानी एसआइटी की जांच में सामने आ जाएगा।
मेरी छवि को कलंकित और प्रभावित करने की कोशिश की गई है, उसका जवाब मिलेगा। उन्होंने कहा कि दुख इस बात का है कि आज जब हम लॉ कॉलेज से विश्वविद्यालय की ओर बढ़ रहे हैं तभी यह मामला उछालकर इस योजना को रोकने का प्रयास किया जा रहा है।
चिन्मयानन्द के पास है इतनी सम्पत्ति
2004 में दिए चुनाव आयोग को एफिडेविट में उन्होंने अपनी संपत्ति का जिक्र किया है। उन्होंने अपनी कुल संपत्ति करीब 24 लाख रुपए बताई है। उस उन्होंने अपने हाथों में 500 रुपए कैश बताया था। बैंकों में जमा राशि की रकम 10,80,383 रुपए बताई थी।
वहीं कंपनियों के शेयर और बांड में 2,05,900 रुपए निवेश किए हुए थे। शुरुआती दौर में बातचीत नेशनल सेविंग स्कीम में उन्होंने 3,24,750 रुपए का निवेश किया था। यानी उनकी उस दौरान चल संपत्ति 16,11,533 रुपए थी।
अगर बात चल संपत्ति की बात करें तो उनके पास एक नॉन एग्रीकल्चर लैंड भी थी, जिसकी कीमत 7,77,000 रुपए है। वैसे उनके पास एक आश्रम भी है। वहीं एसस लॉ कॉलेज भी स्वामी चिन्मयानंद का ही है। उनकी कीमत क्या है अभी इसके बारे में नहीं पता चल सका है।
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