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चिन्मयानंद की PGI में हुई एंजियोग्राफी, सीने में तकलीफ के बाद कराया गया था भर्ती

दुराचार के आरोप में गिरफ्तार किए गए पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद को चौथे दिन सोमवार को पीजीआई लखनऊ रेफर कर दिया गया, उन्हें हार्ट की परेशानी थी।

Aditya Mishra
Published on: 30 May 2023 6:03 PM GMT
चिन्मयानंद की PGI में हुई एंजियोग्राफी, सीने में तकलीफ के बाद कराया गया था भर्ती
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लखनऊ: दुराचार के आरोप में गिरफ्तार किए गए पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद को चौथे दिन सोमवार को पीजीआई लखनऊ रेफर कर दिया गया, उन्हें हार्ट की परेशानी थी।

केंद्रीय मंत्री को गंभीर हालत में लेकर पूर्व एमएलसी जयेश प्रसाद लखनऊ गए, वहां पीजीआई में उन्हें भर्ती कराया। इसके बाद डॉक्टरों की टीम ने स्वामी चिन्मयानंद की एंजियोग्राफी की और उसके बाद बताया गया कि एंजियोग्राफी होगी, उनके स्टंट डाला जाएगा, तभी उनका हार्ट सही काम कर सकेगा।

पूर्व एमएलसी जयेश प्रसाद ने बताया कि स्वामी जी की हालत बेहद गंभीर थी, इसके लिए उन्हें कहना पड़ा, तब पीजीआई रेफर किया गया।

उन्होंने बताया कि एंजियोप्लास्टी के लिए अभी डॉक्टर राय मशवरा कर रहे हैं, वह समय निश्चित करेंगे कि कब एंजियोप्लास्टी की जाए, फिलहाल स्वामी चिन्मयानंद पीजीआई के आईसीयू वार्ड में हैं। उन्हें सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी।

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चिन्मयानंद पर एसआईटी ने हाईकोर्ट में रिपोर्ट सौंपी

इलाहाबाद हाईकोर्ट में एसआईटी ने स्वामी चिन्मयानंद मामले में अपनी जांच रिपोर्ट सौप दी है। कोर्ट अब स्वामी चिन्मयानंद मामले में 22 अक्टूबर को सुनवाई करेगी।

कौन हैं चिन्मयानंद?

लखनऊ विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री हासिल करने वाले उत्तर प्रदेश के गोंडा ज़िले के कृष्णपाल सिंह ही आज के स्वामी चिन्मयानंद हैं।

ये तीन बार के सांसद रहने के साथ-साथ 1999 में केंद्र की अटल विहारी सरकार में गृह राज्य मंत्री भी रहे। इनका जुड़ाव ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन और राम मंदिर आंदोलन से भी रहा है।

स्वामी चिन्मयानंद अविवाहित हैं और कई धार्मिक किताबें भी लिख चुके हैं। इनके शुरूआती जीवन के बारे में अगर बात करें तो ये अस्सी के दशक में शाहजहांपुर आ गए थे और स्वामी धर्मानंद के शिष्य बन कर उन्हीं के मुमुक्षु आश्रम में रहने लगे।

जिसकी स्थापना धर्मानंद के गुरु स्वामी शुकदेवानंद ने की थी और अस्सी के दशक में ही स्वामी धर्मानंद के बाद स्वामी चिन्मयानंद ने इस आश्रम और उससे जुड़े संस्थानों को संभाला।

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चिन्मयानंद ने ही शाहजहांपुर में मुमुक्षु शिक्षा संकुल नाम से एक ट्रस्ट बनाया। जिसके ज़रिए कई शिक्षण संस्थाओं का संचालन किया जाता है। इनमें पब्लिक स्कूल से लेकर पोस्ट ग्रैजुएट स्तर के कॉलेज तक शामिल हैं।

यही नहीं, मुमुक्षु आश्रम में ही स्वामी शुकदेवानंद ट्रस्ट का मुख्यालय है। जिसके माध्यम से परमार्थ निकेतन ऋषिकेश और हरिद्वार स्थित परमार्थ आश्रम संचालित किए जाते है।

ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन के प्रबंधन और संचालन की ज़िम्मेदारी चिदानंद मुनि के हाथों में है जबकि हरिद्वार वाले आश्रम का ज़िम्मा चिन्मयानंद के पास है।

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राजनीतिक सफर

राम मंन्दिर आन्दोलन अपने चरम पर था कई साधु-संत बीजेपी से जुड़ रहे थे और बीजेपी भी उन्हें चुनाव के मैदान में उतार रही थी। उसी दौरान 1991 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने चिन्मयानंद को बदायूं जैसी ऐसी सीट से उतारा। जहां के हालात उनके मनमाफिक नहीं थे और ना ही उनका दूर- दूर तक यहां से कोई वास्ता था।

बावजूद इसके वह चुनावी मैदान में उतरे और जनता दल के शरद यादव को हराकर बीजेपी को जीत दिलाई। लेकिन इसके बाद जब वे 1996 में शाहजहांपुर से चुनाव में उतरे तो इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। पर बीजेपी ने फिर से उन्हें 1998 और 1999 में पूर्वी यूपी की मछलीशहर और जौनपुर सीट टिकट दिया। जिसमें चिन्मयानंद ने जीत हासिल की।

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