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राज्यपाल ने ‘मधु अभिलाषा’ और ‘हिंद स्वराज्य का पुनर्पाठ’ पुस्तकों का किया विमोचन
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि ‘मधु अभिलाषा’ और ‘हिंद स्वराज्य का पुनर्पाठ’ वास्तव में समाज को दृष्टि देने वाली सामयिक एवं प्रासंगिक पुस्तक है। गीता, रामायण, कुरान, बाइबिल व अन्य पुस्तकोें के बारे में अनेक लोगों ने लिखा है, पर हर लेखक के लिखने के बाद नई-नई बातें समाने आती हैं, उसी प्रकार विधानसभा अध्यक्ष द्वारा रचित पुस्तकों में बड़े सहज व सरल ढ़ग से नई बातें सामने आती हैं, यही उनकी विशेषता है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने रविवार को विश्वेश्वरैया सभागार में आयोजित एक कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार एवं उत्तर प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित की पुस्तक ‘मधु अभिलाषा’ और ‘हिंद स्वराज्य का पुनर्पाठ’ का विमोचन किया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि एवं इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्तिशबीहुल हसनैन, कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं ‘राष्ट्रधर्म’ मासिक के संपादक प्रो. ओम प्रकाश पाण्डेय, विधान सभा प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे, अनामिका प्रकाशन के प्रमुख विनोद कुमार शुक्ल, कार्यक्रम के संचालक और लखनऊ दूरदर्शन के श्री आत्म प्रकाश मिश्रा सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमीजन भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि ‘मधु अभिलाषा’ और ‘हिंद स्वराज्य का पुनर्पाठ’ वास्तव में समाज को दृष्टि देने वाली सामयिक एवं प्रासंगिक पुस्तक है। गीता, रामायण, कुरान, बाइबिल व अन्य पुस्तकोें के बारे में अनेक लोगों ने लिखा है, पर हर लेखक के लिखने के बाद नई-नई बातें समाने आती हैं, उसी प्रकार विधानसभा अध्यक्ष द्वारा रचित पुस्तकों में बड़े सहज व सरल ढ़ग से नई बातें सामने आती हैं, यही उनकी विशेषता है। उनका लेखन सरल होता है पर विषय गंभीर होते हैं तथा वे सन्दर्भ भी बड़े प्रमाणिक ढ़ग से प्रस्तुत करते हैं।
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नाईक ने कहा कि श्री हृदय नारायण की अब तक 28 पुस्तकें व 5000 लेख प्रकाशित हो चुके हैं। उनकी लेखनी से ईष्र्या होती है क्योंकि उनकी कलम बड़ी विनम्रता और सहजता से चलती है। राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने अब तक केवल अपने संस्मरण पर आधारित पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ का संकलन किया है तथा इस बात को भंली भांति समझते हैं कि पुस्तक प्रकाशित करने में कितनी पीड़ा होती है। दीक्षित ने एक समय में अपनी जुड़वां पुस्तकों का प्रकाशन किया। पूरा देश महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहा है। ऐसे में दीक्षित की पुस्तक के माध्यम से महात्मा गांधी के विचारों को जानने और समझने का अवसर मिलेगा। राज्यपाल ने कहा यह सुखद संयोग है कि आज शंकराचार्य का जन्मदिन है और कल नारद जी की जयंती है।
न्यायमूर्ति शबीहुल हसनैन ने पुस्तक ‘मधु अभिलाषा’ पर चर्चा करते हुए कहा कि श्री दीक्षित ने प्रस्तावना में अद्भुत बातें लिखी हैं, जो विचार करने पर मजबूर करती हैं। उन्होंने कहा कि पुस्तक से पूरा समाज लाभान्वित होगा।
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विधान सभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने अपनी पुस्तकोें पर संक्षिप्त चर्चा की। अध्यक्षता कर रहे ‘राष्ट्रधर्म’ के संपादक श्री ओम प्रकाश पाण्डेय ने भी पुस्तक पर अपने विचार रखे। प्रमुख सचिव विधान सभा श्री प्रदीप दुबे ने पुस्तकों का परिचय दिया। कार्यक्रम का संचालन दूरदर्शन लखनऊ के आत्म प्रकाश मिश्र ने किया तथा इस अवसर पर उनके द्वारा निर्मित श्री दीक्षित के जीवन पर आधारित एक लघु वृत्त चित्र भी प्रस्तुत की गयी।