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एयर पोल्यूशन का मुख्य अपराधी अब नहीं बच पाएगा, घेराबंदी की तैयारी

वाराणसी व प्रयागराज में पोल्यूशन लेवल का अध्ययन करने की जिम्मेदारी आईआईटी कानपुर को सौंपी गई है लखनऊ में यह अध्ययन द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टिट्यूट (टेरी) करेगा। पोल्यूशन बोर्ड ने आईआईटी से वाराणसी व प्रयागराज के एयर एटमास्फेयर में पोल्यूशन लेवल की प्रिलिमिनरी रिपोर्ट तीन माह में तलब की है।

राम केवी
Published on: 8 March 2020 6:18 PM IST
एयर पोल्यूशन का मुख्य अपराधी अब नहीं बच पाएगा, घेराबंदी की तैयारी
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लखनऊ। एयर पोल्यूशन फैलाने वालों की अब खैर नहीं। बहुत जल्द पता चल जाएगा कि एयर पोल्यूशन फैलाने के लिए कौन जिम्मेदार है। इसके बाद हो जाएगी जवाबदेही तय। जानें कहीं आपका शहर तो नहीं आ रहा इस दायरे में। शुरुआत में करीब आध दर्जन शहरों को इसके दायरे में लाने की तैयारी है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड प्रदेश के प्रमुख शहरों में एयर पोल्यूशन के सोर्स का पता लगाने जा रहा है। सोर्स के पता चलने से यह भी पता चल जाएगा कि एटमास्फेयर में कितने परसेंट पोल्यूशन है और मेन सोर्स का कितना योगदान है।

वाराणसी व प्रयागराज में पोल्यूशन लेवल का अध्ययन करने की जिम्मेदारी आईआईटी कानपुर को सौंपी गई है लखनऊ में यह अध्ययन द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टिट्यूट (टेरी) करेगा। पोल्यूशन बोर्ड ने आईआईटी से वाराणसी व प्रयागराज के एयर एटमास्फेयर में पोल्यूशन लेवल की प्रिलिमिनरी रिपोर्ट तीन माह में तलब की है।

इन शहरों में पहले से जारी है रिसर्च

कानपुर, गाजियाबाद, आगरा, में पहले से ही इस बारे में रिसर्च जारी है। इनमें भी कानपुर, आगरा की रिसर्च की फाइंडिंग को अंतिम रूप दिया जा रहा है। आईआईटी कानपुर जल्द ही अपनी रिपोर्ट पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को सौंप देगा।

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पिछले दिनों एयर पोल्यूशन उत्तर प्रदेश के कई शहरों में एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आया था। इसके बाद मानव शरीर पर इसके दुष्प्रभावों को लेकर सभी स्तर पर चिंता जताई गई थी। इन्हीं चुनौतियों से निपटने के लिए पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने प्रमुख शहरों के लिए अलग-अलग एक्शन प्लान तैयार किए हैं।

मेन सोर्स का खुलासा होने की देर

बोर्ड ने प्रमुख शहरों में विभिन्न सोर्सेज से होने वाले एयर पोल्यूशन का आकलन कराने का निर्णय किया। माना जा रहा है कि एयर पोल्यूशन के मुख्य कारकों की पहचान होने के बाद उसे नियंत्रित करना आसान हो जाएगा।

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हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण में पता चला है कि जिन लोगों को उज्ज्वला योजना का लाभ मिला है उसमें से 53 फीसद लोग सिर्फ मिट्टी का चूल्हा इस्तेमाल करते हैं, वहीं 32 फीसद लोग चूल्हा और गैस स्टोव, दोनों का इस्तेमाल करते हैं। चूल्हे में बड़े पैमाने पर लकड़ी कंडे का इस्तेमाल वायु प्रदूषण का बड़ा कारण है।



राम केवी

राम केवी

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