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लॉकडाउन का सदुपयोग, बंदी के दिनों में खाना बनाना सीखे इंजीनियर्स
डीआरडीए सहायक अभियंता ने बताया महिला के न आनेपर पहले होटल पर खा लेता था, लेकिन देश व्यापी लॉकडाउन में किराए के कमरे पर ही रहकर सब सीख लिया।
कन्नौज: खुद भोजन बनाने से बेहतर लोग होटल पर किसी खास के यहां खाना खाना अच्छा समझते हैं। बात अगर कई दिनों की हो तो बनाने वाला रख लेते हैं। लेकिन पुरुष वर्ग जल्द रसोई का काम नहीं करना चाहता है। लेकिन वैश्विक कोरोना महामारी की वजह से चल रहे देशव्यापी लॉकडाउन में यूपी के चार इंजीनियर भोजन बनाना सीख गए। इसमें एक डीआरडीए के सहायक अभियंता और तीन जलनिगम के अवर अभियंता शामिल हैं।
डीआरडीए सहायक अभियंता ने सीखी कुकिंग
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के निवासी हाकिम सिंह कन्नौज के विकास भवन स्थित जिला ग्राम्य विकास अभिकरण (डीआरडीए) में सहायक अभियंता पद पर तैनात हैं। लॉकडाउन से पहले उन्होंने भोजन बनवाने के लिए किसी को काम पर लगा रखा था। उन्होंने बताया कि 22 मार्च के बाद तो दिक्कत हो गई। छात्र जीवन में तो रसोई का थोड़ा काम आता था। लेकिन उसके बाद कभी जरूरत नहीं पड़ी।
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जो बनाना आता भी था, उसमें काफी याद नहीं रहा। सहायक अभियंता ने बताया कि आटा छानने से लेकर गूथने, लोई बनाकर रोटी बेलने और सेकने का काम झंझटी लगता है। गर्मी में तो रोटी बनाने में पसीना आ जाता है। महिला के न आनेपर पहले होटल पर खा लेता था, लेकिन देश व्यापी लॉकडाउन में किराए के कमरे पर ही रहकर सब सीख लिया।
खुद के काम से मिलती है संतुष्टि
सहायक अभियंता ने बताया कि अब उनको 40 दिन से अधिक का भोजन बनाने का अनुभव हो गया है। रोटियां बनाना तो अब अच्छे से आ गया है। आगे बताया कि कोरोना महामारी में साफ-सफाई की वजह से महिला को भोजन बनाने से मना कर दिया। अवकाश का भी उसको भुगतान कर दूंगा, जिससे उसे दिक्कत न हो। एई का कहना है कि जल निगम के तीन जेई भी साथ में भोजन बनवाते थे, इनको भी पूरी तरह से रसोई का काम नहीं आता रहा। लॉकडाउन में खिचड़ी, तहरी, रोटी-सब्जी, दाल आदि साधारण भोजन या जो सामग्री आसानी से उपलब्ध हुई, उसे पकाया। एई बताते हैं कि जो व्यक्ति खुद से भोजन बनाता है, उससे संतुष्टि मिलती है।
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सफाई भी रहती है। अपना बना हुआ भोजन कभी खराब नहीं कहा जा सकता है। एई ने सेक्टर मजिस्ट्रेट की जिम्मेदारी भी निभाई। इसके अलावा हरदोई निवासी सुशांत वर्मा, लखनऊ निवासी आशीष गुप्त व मथुरा निवासी वीकेश जलनिगम में जेई हैं। जेई वीकेश सेक्टर मजिस्ट्रेट भी हैं। इन्होंने भी भोजन बनाने में सहयोग किया। वीकेश व आशीष भी अच्छे से रोटी नहीं बना पाते थे। इन इंजीनियरों को भी काफी काम आ गया है। सभी को नया अनुभव मिला है।
अजय मिश्र