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घरों में बोरिंग कराने वाले भी आएंगे टैक्स के दायरे में
भूजल संकट को बढने से रोकने के लिए उप्र भूजल प्रबन्धन एवं नियमन एक्ट 2019 को अक्टूबर में लागू किया जा चुका है। अब इस पर अमल के लिए नियमावली तैयार की जारही है। राज्य स्तरीय अथारिटी के गठन के बाद अब इस तरह का गठन जिला व नगर क्षेत्रो में भी किया जाएगा।
श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ: यूपी में जिस तरह से भूजल का स्तर गिरता जा रहा है वह भविष्य के लिए चिंता की बात हो सकती है। पिछले छह-सात सालों में लगातार भूजल स्तर गिरता जा रहा है। भूजल के गिरते स्तर के कारण ही नगरों के अलावा अब देहातों में भी जल का संकट हो जाता है। इसी बात को ध्यान में रखकर राज्य सरकार जल्द ही एक नियमावली बनाकर भूजल एक्ट लाने के बाद अब इसके लिए नियमावाली बनाने जा रही है। इसके तहत घरों व अन्य स्थानों पर बोरिंग कराने वालों को भी टैक्स के दायरे में लाया जाएगा।
भूजल संकट को बढने से रोकने के लिए उप्र भूजल प्रबन्धन एवं नियमन एक्ट 2019 को अक्टूबर में लागू किया जा चुका है। अब इस पर अमल के लिए नियमावली तैयार की जारही है। राज्य स्तरीय अथारिटी के गठन के बाद अब इस तरह का गठन जिला व नगर क्षेत्रो में भी किया जाएगा।
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राजधानी लखनऊ के अलावा कानपुर देहात फर्रूखाबाद इटावा महोबा औरया सबसे ज्यादा प्रभावित जिले हैं। इससे भी अधिक संकट पश्चिमी उप्र में दिख रहा है जिसमें गौतमबुद्व नगर गाजियाबाद फिरोजाबाद इटावा हाथरस आदि मुख्य तौर पर शामिल हैं। इसके अलावा गांवों में चल रहे ट्यूबवेल भूजल स्तर के लिए घातक होते जा रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार भूजल के 91 अतिदोहन वाले ब्लाकों में 82 ग्रामीण इलाकों के हैं और मात्र नौ शहरी क्षेत्र के हैं। इसी प्रकार 48 क्रिटिकल ब्लाकों में से 47 ग्रामीण क्षेत्रों के हैं। यह स्थिति इसलिए है कि गांवों में नलकूप का बड़े पैमाने पर प्रयोग हो रहा है। निःशुल्क बोरिंग व नलकूप भूजल स्तर को सबसे अधिक क्षति पहुंचा रहे हैं।
भूजल जमीन से नीचे (मीटर में)
जिले 2009-10 2018-19
झांसी 6.64 6.01
जालौन 7.01 6.50
बरेली 5.46 4.60
कुशीनगर 4.22 2.65
कानपुर 11.15 9.60
सोनभद्र 6.87 6.42
मिर्जापुर 7.83 7.81
पीलीभीत 4.03 2.78
लखनऊ 8.19 8.21
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गौरतलब है कि प्रदेश में कुल 820 विकास खंड हैं जिनमें 718 विकास खंडो में भूजल का स्तर पहले से कम हुआ है। आंकडो के अनुसार वर्ष 2013 में अतिदोहित क्रिटिकल व सेमी क्रिटिकल ब्लाकों की संख्या 113, 059 तथा 45 थी जो अब क्रमश : 82 87 तथा 151 हो गयी है।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही यदि बढते जल दोहन पर रोक न लगी तो प्रदेश में गहरा जल संकट हो सकता है। उनका कहना है कि प्रदेश में जल दोहन लगातार बढता जा रहा है। लोगों की अपने घरो और कारखानों आदि बोरिंग कराने का एक फैशन सा चल पडा है। इसके कारण ही भूगर्भ का जल स्तर गिरता जा रहा है। इसलिए जल दोहन पर नियन्त्रण के लिए नियमावली बनाना आवश्यक है।