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''बेसहारा जानवरों का सहारा बने दो मित्र''
कोविड-19 के कारण उपजे वैश्विक महामारी के संकट या ये दौर और लॉकडाउन गरीब और ज़रूरतमंद लोगों के साथ-साथ बेजुबान और बेसहारा पशु-पक्षियों के लिए भी बहुत ही मुश्किल समय है। लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं
तेज प्रताप सिंह
गोंडा: कोविड-19 के कारण उपजे वैश्विक महामारी के संकट या ये दौर और लॉकडाउन गरीब और ज़रूरतमंद लोगों के साथ-साथ बेजुबान और बेसहारा पशु-पक्षियों के लिए भी बहुत ही मुश्किल समय है। लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं और ऐसे में इन पशु-पक्षियों को खाना नहीं मिल पा रहा है। सड़क पर घूम रहे जानवरों की दशा और भी दयनीय हो गई है। इनका जीवन भी संकट में है क्योंकि उनके लिए इस समय भोजन की समस्या है।
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लॉकडाउन के दौरान परेशान गरीब, मजदूर और अन्य जरूरतमंदों को तो सरकार के साथ-साथ कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा भोजन व राहत सामग्री मुहैया करवाया जा रही है, लेकिन भूख से बेहाल मानसिक रोगी और बेजुबान जानवरों की सुधि लेने वाला कोई नहीं। ऐसे में इन बेजुबानों की तकलीफ को समझते हुए शहर के समाजसेवी अजय कुमार मिश्र और उनके मित्र अजय गुप्ता ने एक कदम आगे बढ़ाया है। दोनों अपने सहयोगियों के साथ प्रतिदिन सड़क पर इधर उधर घूम रहे मानसिक रोगियों, छुट्टा जानवरों को सब्जी, फल, हरा चारा व अन्य खाद्य सामग्री मुहैया करवा रहे हैं। जानवरों के ये सच्चे दोस्त उनके लिए लगातार काम कर रहे है और एक हजार से ज्यादा जानवरों को रोज खाना खिला रहे हैं।
भोजन कराकर ही करते हैं भोजन
मधु विहार के निवासी अजय कुमार दुकान चलाते हैं। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के बाद जब काम धंघा बंद हुआ तो सरकार ने दिहाड़ी मजदूर, विकलांग, गरीबों के लिए सरकार ने मदद की घोषणा की और तमाम सामाजिक संस्थाएं भी मदद में जुट गईं। लेकिन बेसहारा जानवर और बंदरों के लिए कोई आगे नहीं आया। ऐसे में तो उनके मन में आया कि इनका पेट भरने के लिए कुछ करना चाहिए। इसकी चर्चा जब उन्होंने अपने मित्र व्यवसायी राजू गुप्ता से की तो उन्होने भी भी तनमन और धन से सहयोग का भरोसा दिया। इसके बाद से ही कुछ अन्य सहयोगियों के साथ इन बेजुबान जानवरों के भोजन की व्यवस्था करने लगे। अब प्रतिदिन इन बेजुबानों को भोजन करवाने के बाद ही हम लोग भोजन करते हैं।
निःस्वार्थ पशुओं की सेवा
अजय कुमार मिश्रा ने कहा कि पहले मैं और मेरे पड़ोसी और सहयोगी राजू गुप्ता अपने निजी खर्च से पशुओं के भोजन की व्यवस्था करते हैं। इस नेक कार्य में अब जिले के कई गणमान्य नागरिकों के उत्साहवर्धन से नगर क्षेत्र के लगभग सभी बेसहारा पशुओं के भोजन की व्यवस्था की जा रही है। उन्होने बताया कि खैरा मंदिर, बड़गांव, रानी बाजार से लेकर पोर्टरगंज और शहर में आवास विकास, चौक, फैजाबाद रोड, बेलसर रोड, बहराइच रोड पर घूम-घूम कर बेसहारा जानवरों, कुत्तों और बंदरों को ब्रेड, बिस्कुट, पूड़ी, हरा चारा, सब्जी और फल खिलाकर उनका पेट भरने का प्रयास किया जाता है।
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प्रतिदिन 12 कुंतल का है खर्च
अजय मिश्रा बताते हैं कि इस कार्य में प्रतिदिन कुल मिलाकर 10 कुंतल सब्जी, दो कुंतल केला आदि खरीदना पड़ता है। तब शहर के लगभग एक हजार जानवर और इतने ही बंदरों के लिए एक टाइम के खाने की व्यवस्था हो पाती है। जानवरों के लिए सब्जी में गोभी, लौकी, टमाटर, भिंडी, मूली, साग व बंदरों के लिए केला लिया जाता है। जबकि शहर में घूम रहे लगभग चार दर्जन मानसिक रोगियों के लिए पूड़ी, ब्रेड और बिस्कुट का इंतजाम करना पड़ता है। इसमें तकरीबन सात-आठ हजार रुपए तक प्रतिदिन का खर्च आता है। उन्होंने बताया कि 10 बजे के बाद सब्जी मंडी जाते हैं और किसानों के बचे माल को सस्ते दाम में खरीदते हैं। राजू गुप्ता का अपना लोडिंग वाहन होने से मात्र डीजल ही भरवाना पड़ता है। नगर मजिस्ट्रेट के सहयोग से प्रशासन से पास ले लिया ताकि बिना किसी समस्या के जानवरों की मदद कर पाऊं।
बेजुबानों का पेट भरने पुनीत कार्य
पीएम केयर फंड में भी पांच हजार एक सौ रुपए दान कर चुके समाजसेवी अजय मिश्रा और राजू गुप्ता का कहना है कि संकट के समय में बेजुबानों का पेट भरना सबसे पुनीत कार्य है। इससे उन्हें खुशी मिलती है। परिवार और शुभचिंतकों की शाबासी उन्हें संबल प्रदान करती है। ईश्वर की इच्छा तक उनका यह कार्य चलता रहेगा। आज के समय में ज़रूरत है कि हम सब मिलकर एक-दूसरे की ताकत बनें और साथ ही, इन बेजुबानों का भी ख्याल रखें। इस मुश्किल वक़्त को हम सब अपनी इंसानियत से ही हरा सकते हैं। उन्होंने समाज के सक्षम लोगों से अपील किया है कि कोई भी इंसान अथवा जानवर भूखा मिले तो उसे भोजन अवश्य कराएं।