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Religious Conversion in UP: यूपी में धर्मांतरण कानून के हुए दो साल, 400 से अधिक मामले और 800 गिरफ्तारियां

Religious Conversion in UP: अवैध धर्मांतरण के बढ़ते मामले को देखते हुए देश की कई बीजेपी शासित राज्य सरकारों ने इसके खिलाफ सख्त कानून लाया है।

Monika
Published on: 16 Jun 2023 8:25 AM GMT (Updated on: 16 Jun 2023 8:56 AM GMT)
Religious Conversion in UP: यूपी में धर्मांतरण कानून के हुए दो साल, 400 से अधिक मामले और 800 गिरफ्तारियां
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Religious Conversion in UP (photo: social media )

Religious Conversion in UP: द केरल स्टोरी फिल्म और गाजियाबाद ऑनलाइन गेम धर्मांतरण प्रकरण के सामने आने के बाद से समुदाय विशेष द्वारा अन्य संप्रदाय के लोगों का धर्म परिवर्तन का मुद्दा एकबार फिर जोर पकड़ चुका है। हिंदूवादी संगठन से जुड़े लोगों ने इस मामले को एकबार फिर प्रमुखता से उठाना शुरू कर दिया है। अवैध धर्मांतरण के बढ़ते मामले को देखते हुए देश की कई बीजेपी शासित राज्य सरकारों ने इसके खिलाफ सख्त कानून लाया है।

इन सरकारों में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार भी शामिल है। जिसने अपने पहले कार्यकाल के दौरान 27 नवंबर 2020 को धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम लागू किया था। इस कानून में बेहद सख्त सजा के प्रावधान किए गए हैं। य़ूपी में इस कानून को लागू किए अब दो साल बीत चुके हैं। ऐसे में अब तक इस कानून के तहत कितने मामले दर्ज हुए हैं और क्या कार्रवाईयां हुई, इसपर सरकार की ओर से जवाब दिया गया है।

400 से अधिक मामले दर्ज, 800 से अधिक गिरफ्तारियां

सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक यूपी में 1 अप्रैल 2021 से 23 अप्रैल 2023 के बीच राज्य में धर्म परिवर्तन से संबंधित 427 मामले दर्ज किए गए, जिनमें 833 गिरफ्तारियां भी की गईं। 185 मामलों में पीड़िताओं ने अदालत के समक्ष जबरदस्ती धर्म बदलवाने की बात कबूल की है। प्रदेश में नाबालिगों के धर्मांतरण के 65 मामले दर्ज किए गए हैं। जिनमें मेरठ जोन में 12, गोरखपुर में 10, बरेली में 9, आगरा में 5, लखनऊ-प्रयागराज में 4-4 और वाराणसी में दो मामले शामिल हैं।

बरेली जोन में सबसे अधिक मामले

जबरन धर्मांतरण के सबसे अधिक मामले पश्चिमी यूपी के बरेली जिले में दर्ज किए गए हैं। सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, बरेली में 86, गोरखपुर में 59, लखनऊ में 53, मेरठ में 47, प्रयागराज में 46 और वाराणसी में 39 मामले दर्ज किए गए।

गिरफ्तारी में प्रयागराज अव्वल

जबरन धर्मांतरण के केस में गिरफ्तारी के मामले में संगमनगरी प्रयागराज अव्वल है। 163 गिरफ्तारियों के साथ यह जिला टॉप पर है। इसके बाद बरेली 137, लखनऊ 124, वाराणसी 101, गोरखपुर 81, मेरठ 65, आगरा 37 और कानपुर में 21 गिरफ्तारियां की गई हैं। प्रदेश में सबसे अधिक विचाराधीन मामले लखनऊ जोन में 13 और सीएम योगी के गृह जनपद गोरखपुर में 12 है। इसके अलावा 9 मामले प्रयागराज, तीन मेरठ और दो मामलों में वाराणसी में जांच चल रही है।

क्या है सजा का प्रावधान ?

धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम, 2020 के तहत अगर कोई जबरन धर्मांतरण कराने का दोषी पाया जाता है उसे अपराध की गंभीरता के आधार पर 10 साल तक की कैद की सजा हो सकती है। इसके अलावा न्यूनतम 15 हजार से लेकर अधिकतम 50 हजार रूपये के जुर्माने का भी प्रावधान है। कानून के मुताबिक, जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर 15 हजार रूपये के जुर्माने के साथ एक से 5 साल तक की जेल हो सकती है।

एससी/एसटी, नाबालिग और महिलाओं का धर्मांतरण कराने के मामले में दोषी पाए जाने पर तीन से 10 साल की सजा का प्रावधान है। सामूहिक धर्मांतरण कराने पर इतनी ही कैद के साथ-साथ 50 हजार रूपये का जुर्माना भी लगेगा। कानून में विवाह को लेकर भी स्थिति स्पष्ट की गई है। अगर किसी शादी का उद्देश्य किसी महिला का केवल धर्म परिवर्तन कराने का है तो ऐसी शादियों को अवैध माना जाएगा।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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