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उन्नाव रेप केस का सच सिर्फ एक 'मोबाइल फोन' से आएगा सामने
उन्नाव रेप पीड़िता जिस कार से बीती रविवार को जेल में बंद अपने चाचा से मिलने जा रही थी, उस कार को ट्रक ने टक्कर मारी थी। ट्रक के ड्राइवर और क्लीनर दोनों के पास मोबाइल फोन था। जिस वक्त टक्कर हुई उससे पहले और टक्कर के बाद उनकी जिन-जिन नम्बरों पर बातचीत हुई। उसको लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
नई दिल्ली : उन्नाव रेप पीड़िता जिस कार से बीते रविवार को जेल में बंद अपने चाचा से मिलने जा रही थी, उस कार को ट्रक ने टक्कर मारी थी। ट्रक के ड्राइवर और क्लीनर दोनों के पास मोबाइल फोन था। जिस वक्त टक्कर हुई उससे पहले और टक्कर के बाद उनकी जिन-जिन नम्बरों पर बातचीत हुई।उसको लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
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कई बड़े सवाल
क्या फोन पर हुई बातचीत डेली रूटीन वाली थी? क्या रेप पीड़िता की कार का उन्नाव से ही कोई पीछा कर रहा था? क्या पीछा करने वाला ही ट्रक के ड्राइवर से फोन पर बात कर रहा था? अगर मोबाइल फोन में छुपे राज को यूपी पुलिस ने पता लगा लिया, तो हादसे का सच सामने आने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।
गौर करने वाली बातें...
उन्नाव रेप पीड़िता कार से उन्नाव से रायबरेली की तरफ आ रही थी। जबकि ट्रक रायबरेली से फतेहाबाद की तरफ जा रहा था। ट्रक और कार दो अलग-अलग दिशाओं से आ रहे थे। फिर ट्रक ड्राइवर को कैसे पता चला कि कार कब और कहां पहुंची और उसे कहां और किस वक्त टक्कर मारनी है?
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इस गुत्थी को सुलझाने के लिए पुलिस के पास एक ही रास्ता है। मोबाइल फोन और उसकी लोकेशन। मामले की जांच से जुड़े एक पुलिस अफसर की मानें तो अगर ये हादसा एक साजिश है तो ट्रक ड्राइवर, ट्रक क्लीनर और ट्रक के मालिक के अलावा कोई चौथा शख्स भी होगा जो लगातार फोन पर रहा होगा।
किन-किन नम्बरों से आई कॉल?
पुलिस हादसे की जगह और उस जगह से लगभग पचास किमी. पहले के सभी मोबाइल टावर को खंगाल रही है। ये पता लगाने के लिए जिस वक्त ये हादसा हुआ, उससे पहले उस इलाके में कितने मोबाइल एक्टिव थे। ड्राइवर और क्लीनर के मोबाइल पर हादसे से पहले किन-किन नंबरों से कॉल आए और क्या कोई ऐसी कॉल भी थी, जिसकी लोकशन वही है जो हादसे की है?
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अगर ये साजिश है तो साजिश रचने वालों ने रायबरेली-कानपुर हाईवे पर एक जगह चुनी होगी, जहां टक्कर मारना आसान हो। जहां चश्मदीद कम हों। जहां पर गाड़ियां कम हों। जहां पर ट्रैफिक ना हो। क्योंकि धीमी रफ्तार में गाड़ियों के बीच टक्कर मारने का मतलब है सीधे पकड़े जाना।
मीडिया रिपोर्टस मुताबिक, ट्रक बांदा से रविवार रात लगभग एक बजे मोरंग लेकर रायबरेली के लिए निकला था। सुबह लगभग दस बजे ट्रक ड्राइवर ने रायबरेली में मोरंग पलटी। फिर पेमेंट लेने के बाद ट्रक वापस फतेहपुर के लिए रवाना हो गया। हादसे के समय दोपहर एक बजे तेज बारिश हो रही थी।हादसा जिस जगह हुआ उस जगह सड़क पर कोई डिवाइडर नहीं था।
नंबर ब्लेट पर लगी ग्रीस का ये है सच?
मीडिया रिपोर्टस में ये भी पता चला है कि ट्रक फतेहपुर के सपा नेता व पूर्व जिला सचिव नंदू पाल के भाई देवेंद्र पाल के नाम रजिस्टर्ड है। पूछताछ में देवेंद्र के भाई ने मीडिया से कहा कि उनका कुलदीप सिंह सेंगर से कोई लेना-देना नहीं है। साथ ही उनका ये भी कहना था कि नंबर ब्लेट पर ग्रीस फाइनेंसर से बचने के लिए पोती थी।
बात अगर ट्रक ड्राइव करने वाले ड्राइवर की करें तो उसका नाम आशीष है। आशीष के पिता सूरज ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि आशीष एक हफ्ता पहले से घर से ड्यूटी पर गया। हालांकि उन्होंने कहा कि उसे गाड़ी एहतियात से चलानी चाहिए। पर इस बात से उन्होंने साफ इंकार किया कि वो या आशीष विधायक कुलदीप सेंगर को जानते हैं।
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आपको बता दें, ट्रक ड्राइवर, क्लीनर और ट्रक मालिक तीनों यूपी पुलिस की हिरासत में हैं। पुलिस की पूछताछ जारी है। पुलिस इनके अलावा विधायक और उसके करीबी लोगों के भी कॉल डिटेल खंगाल रही है। खबर तो यहां तक है कि विधायक जेल से भी मोबाइल पर बात करता है। हालांकि यूपी जेलों में ये आम बात है।
अब देखना ये है कि यूपी पुलिस हादसे से सम्बन्धी सभी आरोपियों की कॉल डिटेल से कितना सच बाहर निकाल पाती है और कितनी जल्दी उन्नाव रेप सड़क हादसे के पीड़ितो को न्याय मिल पाता है।
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