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उन्नाव रेप कांड: सुप्रीम के न्याय तक किस की रही क्या भूमिका?
उन्नाव रेप कांड उत्तर प्रदेश सरकार के गले की फांस बन गया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बेहद सख्त रुख अपनाते हुए मामले से जुड़े सभी पांचों केस उत्तर प्रदेश से बाहर दिल्ली ट्रांसफर कर दिए हैं।
नई दिल्ली/लखनऊ: उन्नाव रेप कांड उत्तर प्रदेश सरकार के गले की फांस बन गया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बेहद सख्त रुख अपनाते हुए मामले से जुड़े सभी पांचों केस उत्तर प्रदेश से बाहर दिल्ली ट्रांसफर कर दिए हैं।
इस मामले में त्वरित न्याय के लिए शीर्ष अदालत ने इस मामले की रोजाना सुनवाई करने के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट की ओर से अपॉइंट जज इन सभी पांच केसों की सुनवाई करेंगे।
45 दिन में ट्रायल पूरा करे: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने 45 दिन में ट्रायल पूरा करने का भी आदेश दिया है। रेप पीड़िता की हालत गंभीर होने के मद्देनजर कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि अगर परिवार चाहे तो पीड़िता को बेहतर इलाज के लिए दिल्ली एयरलिफ्ट कराया जा सकता है।
उधर इस मामले को लेकर हो रही किरकिरी को देखते हुए भाजपा ने आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को पार्टी से निष्कासित कर दिया है।
25 लाख मुआवजा 24 घंटे में देने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को रेप पीड़िता को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश भी दिया है। कोर्ट ने पीड़िता परिवार के सभी सदस्यों को तत्काल प्रभाव से सीआरपीएफ की सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया।
कोर्ट ने कहा कि पीड़िता के परिवार के अलावा उन्नाव में रह रहे उनके सभी संबंधियों को भी सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने यह भी पूछा कि पीड़िता की मां की चिट्ठी मुझ तक क्यों नहीं पहुंची?
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सेंगर की मुश्किलें बढ़ी
उन्नाव रेप कांड मामले में आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की मुश्किलें 28 जुलाई को रायबरेली के गुरबख्शगंज थाना क्षेत्र में हुए हादसे के बाद बढ़ गईं हैं।
दरअसल, नंबर प्लेट पर ग्रीस लगे ट्रक ने उन्नाव रेप कांड की पीड़िता की कार को टक्कर मार दी, जिसकी वजह से उसकी चाची और मौसी की मौके पर ही मौत हो गई। उधर, पीड़िता और वकील की हालत नाजुक बनी हुई है।
बाद में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने सुरक्षा के लिए पत्र लिखे जाने की बात पता चलने पर इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले में कड़े निर्देश जारी किए।
परिवार को मिलेगी सुरक्षा
रेप पीड़िता के परिवार की सुरक्षा को लेकर भी शीर्ष अदालत फिक्रमंद दिखी। मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने सवाल किया कि क्या पीड़िता के परिवार को सुरक्षा चाहिए?
इस पर रेप पीड़िता के वकील ने कहा कि पीड़िता की चार बहनें हैं, मां हैं और एक चाचा हैं जिनकी पत्नी की हाल के एक्सीडेंट में मौत हो गई है। इन सभी को सुरक्षा की जरुरत है।
सीआरपीएफ की सुरक्षा मुहैया कराएं
इस पर कोर्ट ने कहा कि पीड़िता, उसके वकील, मां, चारों बहनों और चाचा को तुरंत सुरक्षा दी जाए। कोर्ट ने परिवार के सदस्यों को तत्काल सीआरपीएफ की सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की सरकार को पीड़िता को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया गया है। अदालत ने यह आदेश भी दिया कि सरकार को यह मुआवजा राशि 24 घंटे के भीतर देनी होगी।
परिवार चाहे तो पीड़िता को लाया जाए दिल्ली
मुख्य न्यायाधीश गोगोई ने लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों से पूछा कि क्या पीड़िता को एयरलिफ्ट करके एम्स लाया जा सकता है? कोर्ट ने कहा कि अगर पीडि़ता का परिवार चाहे तो पीड़िता को बेहतर इलाज के लिए दिल्ली लाया जा सकता है।
इस बाबत डॉक्टरों की रिपोर्ट के मुताबिक लखनऊ अस्पताल के पास इलाज की सुविधाएं हैं, हालांकि पीड़िता दिल्ली शिफ्ट करने की हालत में है। कोर्ट ने पीड़िता के साथ ही घायल वकील के बारे में भी ऐसा ही करने को कहा है।
जल्द पूरा करें हादसे की जांच
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को रायबरेली में हुए हादसे की जांच सात दिन में पूरी करने का निर्देश दिया। इस हादसे में रेप पीड़िता की चाची व मौसी की मौत हो गई थी और रेप पीड़िता व वकील गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
अधिकतम 15 दिन में पूरी करें जांच
इससे पहले कोर्ट ने सीबीआई से पूछा था कि दुर्घटना की जांच में कितना समय लगेगा? इस पर सॉलिसिटर जनरल ने एक महीने का वक्त मांगा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सात दिन के भीतर हादसे की जांच पूरी की जाए।
हालांकि बाद में कोर्ट ने कहा कि सीबीआई चाहे तो इसके लिए सात दिन और ले सकती है, लेकिन इस मामले की जांच के लिए 15 दिन से ज्यादा नहीं लगना चाहिए।
चिट्ठी पेश करने में इसलिए हुई देरी
मुख्य न्यायाधीश के सामने चिट्ठी पेश करने मे हुई देरी का स्पष्टीकरण देते हुए सेक्रेटरी जनरल ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट में हर महीने पांच हजार से ज्यादा चिट्ठियां आती हैं। इस महीने 6900 चिट्ठियां आईं। इन्हीं में पीड़िता की भी चिट्ठी थी, लेकिन उन्हें पीड़िता का नाम नहीं मालूम था।
सेक्रेटरी जनरल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के 1988 के फैसले के मुताबिक चिट्ठियों की जांच चल रही थी और जब इस चिट्ठी के बारे में पता चला तो इसे 30 जुलाई को मुख्य न्यायाधीश के सामने पेश किया गया। कोर्ट ने कहा कि वह इस मुद्दे पर भी आदेश देगा।
भाजपा ने पार्टी से निकाला
आखिरकार बीजेपी ने रेप के आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। पार्टी ने पहले दावा किया था कि कुलदीप पार्टी से निलंबित चल रहे हैं।
इस मामले में पार्टी के सख्त रुख का अंदाजा तभी लगाया जाने लगा था जब आलाकमान ने यूपी बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को गुरुवार सुबह अचानक दिल्ली तलब कर लिया था।
संकेत तभी मिल गए थे
हाईकमान के बुलावे पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह अपना अयोध्या दौरा को बीच में ही छोडक़र विशेष विमान से दिल्ली चले गए थे। तभी यह साफ हो गया था कि बीजेपी सेंगर के खिलाफ बड़ी कार्रवाई कर सकती है।
2017 में नाबालिग ने लगाया था आरोप
सेंगर पर वर्ष 2017 में नाबालिग लड़की ने रेप का आरोप लगाया था। पीडि़त लड़की के मुताबिक न सिर्फ विधायक बल्कि उनके आदमियों ने भी उससे रेप किया था।
सेंगर उन्नाव की अलग-अलग विधानसभा सीटों से लगातार 4 बार जीतकर विधायक निर्वाचित हुए हैं। सेंगर वर्ष 2002 में भगवंतनगर से बीएसपी के टिकट पर सबसे पहली बार विधायक बने।
इसके बाद 2007 और 2012 में वो सपा के टिकट पर चुने गए जबकि 2017 में वो उन्नाव जिले के बांगरमऊ से बीजेपी के टिकट पर चुनकर विधानसभा पहुंचे।
तीन सुरक्षाकर्मी निलंबित
इस बीच लखनऊ के केजीएमयू में भर्ती उन्नाव रेप पीड़िता और उनके वकील की हालत नाजुक बनी हुई है। डॉक्टरों ने बताया कि हालत बुधवार की तरह स्थिर है, लेकिन दोनों वेंटिलेटर पर हैं।
गुरुवार को सीबीआई की टीम ने केजीएमयू पहुंचकर रेप पीड़िता के परिवार के लोगों से पूछताछ की। इस दौरान अन्य मरीजों व तीमारदारों को एक घंटे तक बाहर रोका गया।
उत्तर प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्ष विमला बाथम ने ट्रामा सेंटर पहुंचकर पीडि़ता के रिश्तेदारों से मुलाकात की। उधर पीड़िता के तीन सुरक्षाकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है।
निलंबित हुए कॉन्स्टेबल में सुदेश पटेल, महिला कॉन्स्टेबल सुनीता व रूबी कुमारी शामिल हैं। एसपी उन्नाव ने इन तीनों को लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित किया है।
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2017 में पुलिस ने नहीं लिखी थी रिपोर्ट
बलात्कार की शिकार हुई लडक़ी ने 2017 में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ केस दर्ज कराने की कोशिश की थी, लेकिन पुलिस ने एफआईआर नहीं लिखी।
लडक़ी ने एक साल बाद अप्रैल 2018 में जब यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के आवास के बाहर आत्महत्या करने की धमकी दी तो गहमागहमी शुरू हुई।
इस बीच विधायक के गुंडों ने पीड़िता के पिता की बेरहमी से पिटाई कर दी और अवैध हथियार रखने के आरोप में जेल में बंद करवा दिया।
सीबीआई ने मामले की जांच में पाया कि पीड़िता के पिता को फंसाने के लिए पुलिस ने ही अवैध हथियार रखने का झूठा आरोप लगाया था। बाद में पीड़िता के पिता की जेल में ही मौत हो गई।
35 पत्र लिखने पर भी कार्रवाई नहीं
केस सीबीआई के हाथ में आने और फिर आरोपी विधायक के जेल जाने के बाद भी पीड़िता के परिवार को गांव छोडऩे की धमकी मिलती रही।
परिवार के सदस्यों का कहना है कि उसने विभिन्न अथॉरिटीज को कुल 35 पत्र लिखे और विधायक के गुंडों से जान के खतरे की आशंका जताई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
पुलिस भी मान रही है कि उसे 33 शिकायतें मिलीं। पीड़िता परिवार ने 12 जुलाई को एक पत्र सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भी लिखी थी। हालांकि यह पत्र सीजेआई को नहीं मिला।
सीजेआई ने मीडिया से पत्र की जानकारी मिलने पर मामले का संज्ञान लिया और फिर सुनवाई की तारीख तय कर कड़े निर्देश जारी किए।
मुलाकात करने जेल पहुंचे थे साक्षी महाराज
उन्नाव जिले की अलग-अलग विधानसभा सीटों से जीत दर्ज करने के कारण उन्नाव जिले में कुलदीप सिंह सेंगर का काफी रसूख है।
इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गत लोकसभा चुनाव में बीजेपी की ओर से उन्नाव लोकसभा सीट से सांसद साक्षी महाराज ने जीत दर्ज करने के बाद सेंगर से सीतापुर जेल में मुलाकात की थी।
साक्षी महाराज ने मुलाकात के बाद कहा था कि वह यहां लंबे समय से बंद हैं। मैं उनसे मिलकर चुनाव में जीत के बाद उनका शुक्रिया अदा करने आया था।
सत्रह साल पुरानी है रंजिश
कुलदीप सेंगर राजनीति के उस चेहरे का प्रतिनिधित्व करता है जिसके पास रसूख और पैसा है। रेप कांड की पीड़िता और उसके परिवार ने उससे टकराने की कोशिश की और नतीजा यह हुआ कि परिवार से एक साल में चार लाशें उठ गईं।
2002 में कुलदीप सेंगर के भाई अतुल सेंगर ने पीडि़ता के चाचा पर हत्या की कोशिश का मामला दर्ज कराया। इसी केस में उन्नाव की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 2018 में पीडि़ता के चाचा को 10 साल कैद की सजा सुनाई। इस केस में पीड़िता के पिता और एक दूसरे भाई बाइज्जत बरी हो चुके हैं।
हादसा का समय चौंकाने वाला
ये भी कम अचरज भरा नहीं है कि पीड़िता के चाचा को उन्नाव से रायबरेली जेल ट्रांसफर कर दिया गया। इसी रायबरेली जेल में पीड़िता अपने चाचा से मिलकर चाची और मौसी के साथ लौट रही थी, जब हादसा हुआ।
पीड़िताके चाचा ने जो हादसे को लेकर जो एफआईआर दर्ज कराई है उसमें कहा गया है कि उसे रायबरेली जेल भेजे जाने और हादसे के बीच भी कनेक्शन है।
उसने कहा है कि मुझे अकारण ही उन्नाव से रायबरेली जेल भेज दिया गया, मैंने बहुत बार रजिस्ट्री से शिकायत की कि मुझे उन्नाव जेल में ही रखा जाए, नहीं तो हमारे परिवार की ये लोग रास्ते में किसी न किसी तरह हत्या करवा देंगे और यही हुआ।
माखी में चलती थी परिवार की हुकूमत
माखी गांव में शुरू से ही सेंगर परिवार की हुकूमत थी। खुद सेंगर चार बार विधायक का चुनाव जीत चुका है।
कहा जाता है कि जब पीड़िता के परिवार से कुछ लोग दिल्ली गए और परिवार में कुछ पैसे आने लगे तो सेंगर परिवार को ये खटका। जब पीड़िता के चाचा ने ग्राम प्रधान का चुनाव लडऩे की कोशिश की तो सेंगर परिवार को बर्दाश्त नहीं हुआ और दुश्मनी शुरू हो गई।
पीड़िता के परिवार के मुताबिक कुलदीप सेंगर और उसके गुर्गों की तरफ से पीडि़ता के चाचा पर कम से कम एक दर्जन केस दर्ज कराए गए हैं। पीड़िता के पिता की हत्या का आरोप भी कुलदीप के भाई अतुल पर है।
चाचा ने पीडि़ता के हादसे में जो एफआईआर लिखाई है उसमें भी इस रंजिश का जिक्र है। पीड़िता की बहन (जिसकी मां की हादसे में मौत हुई) ने बयान दिया है कि जो मामले दर्ज कराए गए वो फर्जी हैं। उसका दावा है कि कई मामले तो अज्ञात लोगों ने दर्ज कराए।
यहां जानें कब क्या हुआ
11 जून 2017- पीड़िता गांव के युवक शुभम के साथ गायब हुई। परिवार वालों ने आरोपी शुभम, अवधेश पर केस दर्ज किया।
21 जून 2017- पीड़िता पुलिस से मिली।
22 जून 2017- पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया। पीड़िता ने तीन लोगों पर गैंगरेप का आरोप लगाया। विधायक समर्थक बताए जा रहे तीनों युवकों की गिरफ्तारी हुई।
1 जुलाई 2017- मामले में चार्जशीट दायर हुई।
22 जुलाई 2017- पीड़िता ने विधायक कुलदीप सेंगर और उनके भाइयों पर गैंगरेप का आरोप लगाया।
30 अक्टूबर 2017- मामला बढऩे पर विधायक समर्थकों ने पीडि़ता के परिवार पर मानहानि का केस दर्ज कराया।
11 नवंबर 2017- पीड़िता के चाचा पर भी मानहानि का केस दर्ज कराया गया।
22 फरवरी 2018- पीड़िता की ओर से उन्नाव जिला अदालत में अर्जी दी गई।
3 अप्रैल 2018- को विधायक के भाई अतुल सिंह ने उसके पिता को पीटा था।
4 अप्रैल 2018- पीड़िता के पिता गिरफ्तार। पीड़िता ने आरोप लगाया कि मुकदमा वापस ना लेने की वजह से परिवार पर भी हमला हुआ था।
5 अप्रैल 2018- घायल पिता माखी थाने में मुकदमे की तहरीर देने गए तो पुलिस ने पांच अप्रैल को उन्हीं के खिलाफ शस्त्र अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करके जेल भेज दिया।
8 अप्रैल 2018- पीड़िता ने किया आत्मदाह का प्रयास। पिता के खिलाफ कार्रवाई से दुखी पीडि़त युवती ने 8 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आवास के पास आत्मदाह का प्रयास किया जहां पुलिसकर्मियों ने उसे रोक लिया।
8 अप्रैल 2018 को पीड़िता के पिता को जेल में पेट दर्द के साथ खून की उल्टियां शुरू हुई थीं। कुछ ही घंटों में उनकी मौत हो गई थी।
9 अप्रैल 2018- पीड़िता के पिता की मौत। राज्य सरकार ने इस मामले में थाना प्रभारी समेत 6 पुलिसवालों को निलंबित किया था।
10 अप्रैल 2018- विधायक का भाई अतुल सेंगर गिरफ्तार। युवती के पिता की न्यायिक हिरासत में मौत की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया।
11 अप्रैल 2018- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का यूपी सरकार को नोटिस, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर। इसी दिन उन्नाव गैंगरेप और पीड़िता के पिता की मौत मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से रिपोर्ट तलब की। साथ ही एडवोकेट जनरल या एडिशनल एडवोकेट जनरल को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने के लिए कहा।
12 अप्रैल 2018- सीबीआई को जांच सौंपी गई।
13 अप्रैल 2018- सीबीआई की टीम ने विधायक को गिरफ्तार किया।
14 अप्रैल 2018-सीबीआई ने शशि सिंह नाम की एक महिला को गिरफ्तार किया जिस पर घटना के दिन पीडि़ता को भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के पास ले जाने का आरोप था।
2 मई 2018- जेल में करीबियों के साथ जनता दरबार लगाने और गवाहों को प्रभावित करने की शिकायत के बाद विधायक समेत केस से जुड़े सभी आरोपियों को उन्नाव से लखनऊ जेल में शिफ्ट किया गया।
24 अगस्त 2018- बलात्कार और हत्या मामले के गवाह में से एक की मौत हो गई। यूनुस नाम का गवाह पिछले कुछ समय से कथित तौर पर बीमार चल रहा था।
26 अगस्त को यूनुस का शव कब्र से निकालकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।
28 जुलाई 2019- रेप पीड़िता जिस कार में जा रही थी उसे एक ट्रक ने टक्कर मार दी। इस हादसे में पीड़िता की मौसी और चाची की मौत हो गई जबकि खुद पीड़िता और उसके वकील की हालत बेहद गंभीर है। पीड़िता और उसके रिश्तेदार अपने वकील के साथ रायबरेली जेल में बंद पीड़िता के चाचा से मिलने जा रहे थे।
1 अगस्त 2019- भाजपा ने आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को पार्टी से निकाला। सुप्रीम कोर्ट ने सभी केस दिल्ली ट्रांसफर किया। पीड़ितों को मिली सीआरपीएफ की सुरक्षा। पीड़िता को 24 घंटे के भीतर 25 लाख का मुआवजा और 45 दिन में ट्रायल पूरा करने का निर्देश।
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