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UP Board Result 2023: परीक्षा के रिजल्ट को जिंदगी का रिजल्ट न मानें, बच्चों का साथ दें

UP Board Result 2023: परीक्षा में कम अंक आने या असफल होने पर पेरेंट्स बच्चों की तुलना दूसरों से करने लगते हैं। इससे बच्चों का तनाव बढ़ जाता है, वह परिणाम का सामना करने में असमर्थ हो जाते हैं। ये जान लीजिए कि नंबर जिंदगी से बड़े नहीं हैं। रिजल्ट लेकर न तो खुद तनाव में रहें न ही बच्चों को लेने दें।

Neelmani Laal
Published on: 25 April 2023 2:44 PM IST (Updated on: 25 April 2023 4:22 PM IST)
UP Board Result 2023: परीक्षा के रिजल्ट को जिंदगी का रिजल्ट न मानें, बच्चों का साथ दें
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UP Board Result 2023 ( सोशल मीडिया)

UP Board Result 2023: यूपी बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट सामने है। लाखों बच्चों ने परीक्षा दी है, किसी को बहुत नम्बर मिलेंगे तो किसी को कम नम्बर मिलेंगे। सभी बच्चे पहले तो परीक्षा के तनाव और फिर रिजल्ट के तनाव से गुजरते हैं। यकीन मानिए, इस तनाव में पेरेंट्स का भी बहुत बड़ा योगदान होता है क्योंकि उन्हें अपने बच्चे की आगे की पढ़ाई, बेहतर करियर और बच्चे के उज्जवल भविष्य की चिंता होती है। परीक्षा में कम नंबर आने पर कई बार बच्चे तनाव और डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। सौ बात की एक बात - बच्चे का जो भी रिजल्ट आए उसका उत्साहवर्धन करें, उसे डांटे नहीं उसे आत्मग्लानि में न धकेलें।

कतई ऐसा न करें

शिक्षाविदों, मनोचिकित्सकों और मनोवैज्ञानिकों का एक मत है - बच्चों पर दबाव न डालें। ये जान लें कि कोई भी पढ़ाई या परीक्षा, मानसिक - शारीरिक स्वास्थ्य से बड़ी नहीं होती। बच्चे अभी जिंदगी की सीढ़ियों पर चढ़ रहे हैं, अगर मात्र एक स्कूली परीक्षा के रिजल्ट के बारे में वह किसी भी वजह से डिप्रेशन में आ गया, हताश हो गया, अपने को लूजर या फेलियर समझने लगा तो आगे की सीढ़ियां चढ़ ही नहीं पायेगा। एक पेरेंट, बड़ा भाई या बहन होने के नाते आपकी जिम्मेदारी है कि बच्चा अपने आपको लूजर न समझने पाए।

जिम्मेदारी पेरेंट्स की

परीक्षा में कम अंक आने या असफल होने पर पेरेंट्स बच्चों की तुलना दूसरों से करने लगते हैं। इससे बच्चों का तनाव बढ़ जाता है, वह परिणाम का सामना करने में असमर्थ हो जाते हैं। ये जान लीजिए कि नंबर जिंदगी से बड़े नहीं हैं। रिजल्ट लेकर न तो खुद तनाव में रहें न ही बच्चों को लेने दें। आप खुद ही रिसर्च कर लीजिए कि बीते वर्षों में जिन्होंने टॉप किया है, 100 फीसदी नम्बर पाए हैं वे आज कहां हैं? यकीन मानिए, आप हैरान रह जाएंगे। क्योंकि एक स्कूली एग्जाम के रिजल्ट का निजी जीवन के रिजल्ट से कोई नाता नहीं होता।

क्या करें, क्या न करें

- रिजल्ट के बारे में बच्चे के साथ प्यार से बात करें। घर के माहौल को आम दिनों की तरह ही सामान्य रखें। बच्चे को बताएं कि फेल होने या कम अंक पाने से जिंदगी खत्म नहीं होती है।सभी को भविष्य में तमाम अवसर मिलते हैं। हार पर मंथन करते हुए भविष्य की तैयारी में जुट जाना चाहिए। अपनी महत्वाकांक्षाएं बच्चों पर न लादें और उनको समझाएं कि वे उनके साथ हैं।
- बहुत से पेरेंट्स अपने बच्चे के रिजल्ट की तुलना दूसरे बच्चों से करने लगते हैं। सबसे अहम यह है कि बच्चे का जो भी रिजल्ट आया है, उसको स्वीकार करें। उसको यकीन दिलाएं कि आप उसके साथ हैं।
- बच्चे को विश्वास दिलाएं कि परिणाम जो भी आया है, उनका बच्चा बेस्ट है। परेशान होने की जरूरत नहीं है। आगे आने वाली परीक्षाओं में रिजल्ट बेहतर होगा।
- बच्चों से कोई नेगेटिव बात न करें। उसे यह कह कर डिप्रेशन में न डालें कि तुमने साल भर पढ़ाई नही की, तुमसे पढाई लिखाई नहीं हो पाएगी, तुम कभी पास नहीं हो सकते, तुमने तो हमारी नाक कटवा दी वगैरह वगैरह। आपकी इन बातों का सिर्फ और सिर्फ नेगेटिव प्रभाव ही पड़ेगा। ऐसा मत करें।
- बच्चों का मार्गदर्शन करें। उसे समझाएं ताकि वह हिम्मत न हारे। बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार बनाएं रखें, खुल कर बात करें, आगे और मेहनत करने की बात कहें।।
- रिजल्ट के बाद बच्चे को अकेले न छोड़ें। भले ही आप ने उससे कोई नेगेटिव बात न कही हो लेकिन बच्चा भी इसी समाज का हिस्सा है, उसे पता है कि क्या चल रहा है, लोग कैसे एक दूसरे की तुलना करते हैं। सो, यदि रिजल्ट मनमुताबिक नहीं है तो बच्चे को पूरा सपोर्ट दें, उसके साथ रहें, उसे मोटिवेट करें। अकेला कतई न छोड़ें। बच्चे पीयर प्रेशर में बहुत गलत भी कर बैठते हैं। अगर महसूस हो कि बच्चे का व्यवहार बदल रहा है तो मनोचिकित्सक और काउंसलर्स से संपर्क करें।
- अच्छा रिजल्ट आने पर आपने बच्चे को जो देने का वादा किया था उसे तोड़ें नहीं, उसे जरूर पूरा करें।
- कुछ लोग भविष्य में और बेहतर करने के लिए बच्चे पर प्रेशर बनाने लगते हैं। ऐसा कतई न करें। बच्चों को विकल्प बताएं। अन्य सब्जेक्ट्स के बारे में राय दें।
- एक बात अच्छी तरह से जान लें कि स्कूल का हर बच्चा टॉपर नहीं हो सकता। प्रत्येक इंसान का अलग अलग एप्टीट्यूड या रुझान होता है। यदि बच्चा गणित में कमजोर है तो हो सकता है वह ड्राइंग में महारथ हो। कहने का मतलब ये कि बच्चे की अंतर्निहित प्रतिभा और रुचि को पहचानें, इंजीनियरिंग और डॉक्टरी का करियर उसपर बेवजह न थोपें।
- एक बात ये भी तय है कि बच्चे के रिजल्ट का सामाजिक प्रतिष्ठा बनाने-बिगाड़ने में कोई रोल नहीं होता। और हां, बच्चे को नम्बर जेम में उलझाने की बजाए एक अच्छा इंसान, एक अच्छा नागरिक बनाएं। ये जीवन के लिए ज्यादा जरूरी है।



Neelmani Laal

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