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यूपी में 11 में से 10 सीटें भाजपा की झोली में आने का अनुमान

यदि 2017 के आम विधानसभा के चुनाव परिणामों को देखा जाए तो इन 11 सीटों में 9 सीटें भाजपा के पास थी। पर इन 11 सीटों पर आज हुए मतदान में जिस तरह से वोट प्रतिशत कम हुआ है उसे लेकर भाजपा के माथे पर पसीना जरूर आ गया होगा।

Shivakant Shukla
Published on: 21 Oct 2019 2:55 PM GMT
यूपी में 11 में से 10 सीटें भाजपा की झोली में आने का अनुमान
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लखनऊ: यूपी में विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान का काम पूरा हो गया। अब इन सीटों पर वोटों की गिनती का काम 24 अक्टूबर को होगा लेकिन इसके पहले इस बात को लेकर लोगों की उत्सुकता बढ गयी है कि आखिर इन 11 सीटों पर सताधारी भाजपा को कितनी सीटे मिलने जा रही है।

यदि 2017 के आम विधानसभा के चुनाव परिणामों को देखा जाए तो इन 11 सीटों में 9 सीटें भाजपा के पास थी। पर इन 11 सीटों पर आज हुए मतदान में जिस तरह से वोट प्रतिशत कम हुआ है उसे लेकर भाजपा के माथे पर पसीना जरूर आ गया होगा।

पिछले साल हुए उपचुनाव में हार के बाद इस बार भाजपा ने चुनाव प्रचार में कोई कोर कसन रही छोडी। मुख्यमंत्री सेलेर प्रदेश अध्यक्ष तक चुनाव प्रचार में लगे रहे जिसके कारण पार्टी के पक्ष में माहौल बनते दिखा है।

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भाजपा इन सीटों में से कम 10 सीटे जीत सकती है

इधर राजनीतिक विश्लेषकों और आम जनता के मूड पर गौर किया जाए तो जिस तरह मतदाताओं का सत्ता के पक्ष में मूड दिखाई पडा उससे साफ लगा कि भाजपा इन सीटों में से कम 10 सीटे जीत सकती है। क्योंकि पूरे चुनाव प्रचार के दौरान न तो बसपा सु्रीमों मायावती और न ही उनके दल के किसी बडे नेता ने चुनाव प्रचार किया और न ही सपा की तरफ से पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुनाव प्रचार किया। वह केवल रामपुर में आजम खां की पत्नी के चुनाव प्रचार में गए। यही हाल कांग्रेस का भी रहा।

उपचुनाव वाली 11 विधानसभा सीटों में भारतीय जनता पार्टी की असली परीक्षा रामपुर और अंबेडकरनगर की जलालपुर सीट पर होनी हैं। वर्ष 1989 से अब तक रामपुर सीट पर एक बार भी भाजपा को सफलता नहीं मिल पाई है। वहीं, जलालपुर सीट वह केवल एक बार 1996 में चुनाव जीती है। पर इस बार माहौल बदलता दिखाई पडा है। आजम के सांसद चुन लिए जाने के कारण रामपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है। सपा ने उनकी पत्नी और राज्यसभा सदस्य डॉ. तजीन फातिमा को मैदान में उतारा है।

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एक मायने में रामपुर की बाजी भाजपा को लाभ देती ही नजर आ रही है। तंजीन का राज्यसभा का कार्यकाल नवंबर 2020 तक है। भाजपा जीत जाती है तब तो यह उसकी बड़ी सफलता मानी ही जाएगी, पर यदि तजीन जीतती हैं तो उनके त्यागपत्र से खाली होने वाली राज्यसभा सीट पर भाजपा अपने किसी नेता या कार्यकर्ता को भेज सकती है। इससे राज्यसभा में सपा का एक सदस्य और कम हो जाएगा जबकि भाजपा का बढ़ जाएगा।

Shivakant Shukla

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