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राम हमारी आस्था और अस्मिता के प्रतीक, किसी धर्म तक सीमित नहीं: यूपी राज्यपाल
राम का नाम केवल साधन नहीं अपितु वह साध्य भी है जो बुराइयों के प्रभाव को नष्ट करता है। मानव मात्र को विपत्ति से मुक्ति प्रदान करता है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि राम हमारी आस्था और अस्मिता के प्रतीक हैं। उन्हें किसी धर्म, जाति और वर्ग के नाम पर सीमित नहीं रखा जा सकता क्योंकि वे निर्विकार हैं। धर्म वस्तुतः भगवान और मानव के बीच आस्था, विश्वास और श्रद्धा से परिपूर्ण रिश्ते को सुदृढ़ बनाये रखने का एक सशक्त माध्यम है। उन्होंने कहा कि भगवान, गॉड, खुदा और वाहे गुरू तक पहुंचने का एक ही मार्ग है, वह है सत्य के मार्ग का अनुसरण।
राम सर्वदा प्रवाहमान महाऊर्जा के पर्याय- राज्यपाल
राजभवन से डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या द्वारा आयोजित ‘राम नाम अवलंबन एकू’ अंतर्राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल आनंदी बेन ने कहा कि भारतीय लोक जीवन में राम सर्वत्र, सर्वदा प्रवाहमान महाऊर्जा के पर्याय हैं। राम का नाम केवल साधन नहीं अपितु वह साध्य भी है जो बुराइयों के प्रभाव को नष्ट करता है। मानव मात्र को विपत्ति से मुक्ति प्रदान करता है। भारतीय संस्कृति प्रभु श्रीराम के जीवन मूल्यों से प्रकाशित आत्मबोध प्रदान करने वाली है। उन्होंने कहा कि आध्यात्म को अपनाकर ही जीवन मूल्यों को सुरक्षित किया जा सकता है।
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वसुधैव कुटुम्बकम की संकल्पना मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम से जुड़ी है। कोविड-19 वैश्विक महामारी के परिप्रेक्ष्य में राज्यपाल ने कहा कि हमारे वेदों, पुराणों एवं उपनिषदों में विभिन्न बीमारियों के संबंध में अनेक प्रकार की जड़ी-बूटी एवं पेड़-पौधों का जिक्र किया गया है। इसका उपयोग हमारे ऋषि-मुनियों और राजवैद्य औषधि के रूप में करते थे। आज भी इन जड़ी-बुटियों की प्रासंगिकता बनी हुई है। भारतीय परम्परागत ज्ञान में बीमारियों से बचाव के अनेक उपाय बताए गए हैं लेकिन समय की जमी धूल ने उसे अदृश्य बना दिया।
संक्रमण से बचाव के सनातन धर्म में बताये गए उपाय- गवर्नर आनंदी बेन पटेल
यूपी गवर्नर ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों को स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया है ताकि लोग साफ-सफाई को अपनाकर निरोग रह सकें। राज्यपाल ने कहा कि संक्रमणों से बचाव के लिए सनातन धर्म में हाथ, पैर और मुख धोकर भोजन करने, दांतों से नाखून न काटने, दूसरों के स्नान के तौलिया का प्रयोग न करने आदि के जो नियम बताये गये हैं
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उनका सभी को पालन करना चाहिए और बीमारियों से बचने का प्रयास करना चाहिए। ई-संगोष्ठी में रामकथा के मर्मज्ञ जगतगुरू रामानन्दाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य, डॉ राममनोहर विश्वविद्यालय अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या के कुलपति प्रो मनोज दीक्षित सहित अन्य लोग लोग उपस्थित थे।