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यूपी के सरकारी डॉक्टर हड़ताल में शामिल नहीं, दिया नैतिक समर्थन

उत्तर प्रदेश के सरकारी डॉक्टरों की एसोसिएशन प्रॉविन्शियल मेडिकल एसोसिएशन ने आज की हड़ताल पर नहीं जाने का फैसला किया है।

Vidushi Mishra
Published on: 17 Jun 2019 7:52 AM GMT
यूपी के सरकारी डॉक्टर हड़ताल में शामिल नहीं, दिया नैतिक समर्थन
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लखनऊ : उत्तर प्रदेश के सरकारी डॉक्टरों की एसोसिएशन प्रॉविन्शियल मेडिकल एसोसिएशन ने आज की हड़ताल पर नहीं जाने का फैसला किया है। एसोसिएशन के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष डॉ अशोक यादव ने कहा है कि कोलकाता की घटना को लेकर किये जा रहे डॉक्टरों के आंदोलन को हमारा पूरा नैतिक समर्थन है लेकिन 17 जून को हम लोग हड़ताल नहीं करेंगे, काली पट्टी बांध कर कार्य करेंगे।

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पीएमएस अध्यक्ष डॉ अशोक यादव ने कहा कि जहां तक डॉक्टरों की सुरक्षा का सवाल है तो वह बिल्कुल सही है, सुरक्षा तो होनी ही चाहिये, पीएमएस के डॉक्टर को मेडिको लीगल से लेकर इलाज तक में अनेक बार अशोभनीय और हिंसायुक्त माहौल का सामना करना पड़ता है, दूरदराज के इलाकों में यह स्थिति ज्यादा ही खतरनाक होती है।

इस मसले पर हम लोगों की सरकार के साथ पूर्व में बात भी हुई थी जिसमें भूतपूर्व सैनिकों की तैनाती की मांग पर सहमति भी बन गयी थी, लेकिन यह व्यवस्था अभी लागू नहीं की गयी है। उन्होंने कहा कि हम सरकार से मांग करते हैं कि समाज और चिकित्सक के हित में भूतपूर्व सैनिकों की तैनाती करने की प्रक्रिया लागू की जाये ताकि चिकित्सक भयमुक्त होकर अपने कर्तव्य का निर्वहन कर सकें।

गौरतलब है कि कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टरों की पिटाई की घटना को लेकर देश भर में इस समय चिकित्सा सेवाओं पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं, एनआरएस मेडिकल कॉलेज के रेजीडेंट डॉक्टरों की हड़ताल को समर्थन देने के लिए मेडिकल शिक्षण संस्थानों में काम करने वाले रेजीडेंट डॉक्टर्स की आज देशव्यापी हड़ताल पर है, साथ ही चिकित्सकों की बड़ी संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी आज 17 जून को सुबह 6 बजे से अगले दिन यानी 18 जून को सुबह 6 बजे तक पूर्ण हड़ताल का आह्वान किया है। आईएमए की भी मुख्य मांग डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर केंद्रीय कानून बनाने की है।

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जूनियर डॉक्टर्स के हड़ताल करने से मेडिकल शिक्षण संस्थानों में तथा आईएमए के आह्वान के चलते निजी छोटे-बड़े अस्पतालों, क्लीनिक्स, डायग्नोस्टिक सेंटर्स को बंद रखने की घोषणा की गयी है। इसका अर्थ यह हुआ कि सरकारी अस्पतालों पर ही मरीजों का पूरा भार रहेगा। हालांकि हड़ताल वाले संस्थानों, अस्पतालों में भी इमरजेंसी सेवाओं को हड़ताल से अलग रखा गया है लेकिन कम गंभीर लोगों के इलाज का ठिकाना सिर्फ सरकारी अस्पताल ही होंगे।

Vidushi Mishra

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