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1200 कर्मी बेरोजगार: संविदा कर्मियों को लगा झटका, 30 जून को सेवा समाप्त के आदेश

यूपी की योगी सरकार जहां एक ओर एक करोड़ लोगों को रोजगार देने के लिए आगामी 26 जून को प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में अभियान शुरू करने जा रही है

Roshni Khan
Published on: 24 Jun 2020 4:50 PM IST
1200 कर्मी बेरोजगार: संविदा कर्मियों को लगा झटका, 30 जून को सेवा समाप्त के आदेश
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लखनऊ: यूपी की योगी सरकार जहां एक ओर एक करोड़ लोगों को रोजगार देने के लिए आगामी 26 जून को प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में अभियान शुरू करने जा रही है, तो वही निदेशक मण्डी परिषद ने सभी परिषदीय कार्यालयों व मण्डी समितियों में संविदा व आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की सेवाओं को आगामी 30 जून से समाप्त किए जाने का आदेश दिया है। मण्डी निदेशक के इस आदेश पर आक्रोश व्यक्त करते हुए राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मण्डी निदेशक के उक्त आदेश को निरस्त करने या इन कर्मचारियों का कही समायोजन करवाने की अपील करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री कार्मिक विभाग द्वारा निर्मित स्थाई नीति को मंत्रिपरिषद से अनुमोदन के लिए निर्देश दे।

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राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उप्र के महामंत्री अतुल मिश्रा ने बुधवार को बताया कि मण्डी निदेशक द्वारा जारी उक्त आदेश से कर्मचारियों में काफी रोष व्याप्त है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल जैसी वैश्विक महामारी में अल्प वेतन भोगी आउटसोर्सिंग व संविदा कर्मियों की सेवा समाप्ति का आदेश उचित नही है। इस निर्णय से प्रदेश के 1200 कर्मचारी प्रभावित होंगे जो विगत 05-06 वर्षों से अपनी सेवायें पूरी ईमानदारी व निष्ठा से कर रहे है। जबकि केन्द्र व प्रदेश सरकार वर्तमान परिवेश में प्रवासियों को भी रोजगार उपलब्ध कराने के लिए संकल्पित है और मुख्यमंत्री स्वयं उसकी समीक्षा कर रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में इस तरह के आदेश से कर्मचारियों का मनोबल तो कम होगा ही साथ मे सरकार की छवि भी धूमिल होगी ।

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उन्होंने आउटसोर्सिंग व संविदा कर्मचारियों की सेवा सुरक्षा, समय से वेतन भुगतान, पीएफ कटौती, नियमित नियुक्तियों में वरीयता व उनके उज्जवल भविष्य आदि के लिए स्थाई नीति की मांग करते हुए कहा कि बीती 09 अक्टूबर 2018 को राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई बैठक में तीन माह के अंदर स्थाई नीति बनाने के लिए अपर मुख्य सचिव कार्मिक की अध्यक्षता में कमेटी का गठन मुख्य सचिव द्वारा किया गया था। जिसमें वित्त, ब्यूरो, सेवायोजन के प्रमुख सचिव सदस्य थे।

इस सहमति के बाद कमेटी द्वारा नीति का निर्माण भी पूरा कर लिया गया लेकिन मंत्रिपरिषद से अनुमोदन अभी तक न हो पाने के कारण नीति प्रभावी नहीं हो सकी है। जिसके कारण कई विभागों के कर्मचारियों को बिना किसी ठोस कारण के सेवा से हटाया जा रहा, एक ही विभाग में एक ही पद के अलग-अलग वेतन निर्धारित है, वेतन का भुगतान समय से नही हो रहा है और पीएफ कटौती की रसीद नही देने जैसी समस्याओं से कर्मचारियों को रोज जूझना पड़ रहा है।

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