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खतरे में यातायातः मात्र 19 पुलिसकर्मी संभाल रहे, हो जाएं सावधान

हर वर्ष वाहनों की संख्या में इजाफा हो जाता है, जिससे यातायात दबाव लगातार बढ़ रहा है। इससे सड़कों पर जाम लगने की समस्याएं बढ़ रही हैं, तो जल्दबाजी के चक्कर में वाहन चालक हादसे का भी शिकार हो रहे हैं, लेकिन जिस यातायात पुलिस पर यातायात व्यवस्था को सुचारू करने की जिम्मेदारी है, वह ही साधनहीन है।

Monika
Published on: 29 Oct 2020 9:38 PM IST
खतरे में यातायातः मात्र 19 पुलिसकर्मी संभाल रहे, हो जाएं सावधान
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हर वर्ष बढ़ रही वाहनों की संख्या, संसाधनों की कमी से सुरक्षित यातायात हो रहा वाधित

औरैया : हर वर्ष वाहनों की संख्या में इजाफा हो जाता है, जिससे यातायात दबाव लगातार बढ़ रहा है। इससे सड़कों पर जाम लगने की समस्याएं बढ़ रही हैं, तो जल्दबाजी के चक्कर में वाहन चालक हादसे का भी शिकार हो रहे हैं, लेकिन जिस यातायात पुलिस पर यातायात व्यवस्था को सुचारू करने की जिम्मेदारी है, वह ही साधनहीन है। ऐसे में सड़कों पर सुरक्षित यातायात चुनौती बनती जा रही है। संसाधनों की कमी को झेल रहे यातायात पुलिसकर्मियों के सामने यह बड़ी समस्या है। संसाधनों की कमी हादसे का कारण बनती है, कभी-कभी तो लोगों की जान तक चली जाती है।

जनपद बढ़ रही वाहनों की संख्या

जनपद बढ़ रही वाहनों की संख्या को देखते हुए यातायात पुलिस कर्मियों की कमी है। जिसके कारण यातायात कर्मियों को मौजूदा समय 16 से 18 घंटे तक की ड्यूटी करनी पड़ रही है। जिन पुलिस कर्मियों की तैनाती यातायात व्यवस्था में लगाई गई है, उनमें पांच-छह कर्मी वीआइपी मूवमेंट में ही फंसे रहते हैं। यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में यातायात पुलिस कर्मियों की तैनाती शहरी क्षेत्रों के मुकाबले कम हैं। ऐसे में शहर के सुभाष चौक, जेसीज चौराहा, बताशा मंडी, जालौन चौराहा, खानपुर चौराहे पर जाम लगता है। जाम के कारण लोगों को घंटों जाम की समस्या से जूझना पड़ता है। वहीं यातायात पुलिस कर्मियों की गैरहाजिरी में चालक नियमों का उल्लंघन करते हैं, जो हादसे का कारण बन जाते हैं।

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रात में यातायात नियंत्रण के लिए नहीं हैं साधन

यातायात पुलिस को रात में यातायात को नियंत्रण करना किसी चुनौती से कम नहीं है। इसकी वजह यह है कि उनके पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। उनके पास न तो नाइट विजन कैमरे होते हैं तो और न ही शक्तिशाली प्रकाश वाले टार्च की व्यवस्था है। इसके अलावा उनके पास न तो इंटरसेप्टर की सुविधा दी गई है और न ही मास्क व चश्मा आदि भी हैं। चौक चौराहे पर सीसीटीवी कैमरे के कमी के कारण भी उन्हें परेशानियों से दो चार होना पड़ता है। शराब पीकर वाहन चलाने वाले लोगों की जांच के लिए उन्हें जो मशीन मुहैया कराई गई हैं, वह भी खराब रहती है। ऐसे में वाहन चालकों की सही तरीके से जांच नहीं हो पाती है।

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इतने कर्मचारी लगे यातायात व्यवस्था में

जनपद की यातायात व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए 19 यातायात पुलिसकर्मी मौजूद हैं। वहीं 48 पीआरडी जवान व पांच होमगार्ड भी सहयोग करते हैं। जिलेभर में यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए करीब पचास पुलिसकर्मी होने चाहिए। कई बार पत्राचार भी किया गया, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।

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ये व्यवस्थाएं हो तो सुलझ सकती हैं समस्याएं

अगर कहीं कोई हादसा हो जाता है तो यातायात विभाग के पास कोई क्रेन नहीं है, जिस कारण निजी संसाधनों से पुलिस व्यवस्था करती है। इसके अलावा सिग्नल लाइट न होना यातायात व्यवस्था गड़बड़ होने का प्रमुख कारण है। संसाधन पूरे कराए जाने के लिए उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया है। अगर सभी संसाधन उपलब्ध हो तो उन्हें काफी सहूलियत मिलेगी। बताया कि समुचित संसाधनों के माध्यम से यातायात व्यवस्था को दुरुस्त कराए जाने के लिए उनकी पूरी टीम सहयोग करने में जुटी हुई है।

श्रवण कुमार तिवारी, औरैया

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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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