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UP News: पुरानी फाइल से! दिल्ली में ही ताजमहल, अजंता-एलोरा का अहसास!
UP News: दिल्ली में एक पर्यटन स्थल है जहां आप ताजमहल, अजंता और एलोरा के अनुकरणों का अनुभव कर सकते हैं। यहाँ आपको अजंता और एलोरा के रूप में अनेक प्राचीन भारतीय मंदिर, विहार और गुफाएं दिखाई देंगी, जिन्होंने अनेक शताब्दियों से भारतीय संस्कृति का रंग-मंच सजाया है।
UP News: नई दिल्ली, 19 जून, 2000,अब आप ताजमहल, अजंता-एलोरा की गुफाओं, बोधगया तथा देश के कई अन्य ऐतिहासिक व पुरातात्विक महत्व के स्थलों की सैर का एहसास अपने शहर में बैठकर ही उठा सकेंगे। भारतीय पुरातत्व विभाग यथार्थ का आभास नाम से चलाई जाने वाली एक ऐसी महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रहा है जो आपके इस सपने को हकीकत में बदल देगी। यह योजना चार बड़े शहरों में लागू होगी ।जहां इसके तहत सांस्कृतिक धरोहर पार्कों का निर्माण किया जाएगा।
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने इस महत्वाकांक्षी योजना को अभी हाल ही में मंजूरी दी है। इस योजना के लिए यूनेस्को ने भी आर्थिक सहायता देने का वादा पुरातत्व विभाग से किया है। योजना को आकार देने के लिए सबसे पहले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के सभी 18 सर्किलों और दो मिनी सर्किलों के भीतर आने वाले स्मारकों के बीच आपसी संचार संपर्क स्थापित करने के लिए लोकल एरिया नेटवर्क बनाया जाएगा। वाइड एरिया नेटवर्क के जरिए सभी को ऑन लाईन प्रणाली से जोड़ा जाएगा। बाद में इस प्रणाली को वी सैट के मार्फत चाह महानगरों दिल्ली, कलकत्ता, मुंबई और बंगलूर में स्थापित होने वाले सांस्कृतिक धरोहर पार्कों के साथ जोड़ दिया जाएगा। इन पार्कों में जाने वाले सैलानियों को दृश्य श्रव्य माध्यम से मनचाहे ऐतिहासिक व पुरातात्विक धरोहर के एकदम करीब होने का अहसास कराया जा सकेगा। इसके लिए पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग सांस्कृतिक धरोहर पार्कों के आसपास कुछ महत्वपूर्ण स्मारकों के मॉडल विकसित करने पर विचार कर रहा है।
ऐतिहासिक व पुरातात्विक झांकी दिखाने के इस अभियान की कल्पना भारतीय पुरातत्व विभाग के पूर्व महानिदेशक अजय शंकर ने तीन वर्ष पहले की थी। फरवरी 97 में उन्होंने सीएमसी लिमिटेड नामक एक निजी फर्म से सेभाव्यता रिपोर्ट बनवा कर संस्कृति मंत्रालय को भेजी थी। लेकिन मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को यह कहकर वापस कर दिया कि यह फर्म सरकारी स्तर पर मान्यता प्राप्त नहीं है। फिर यह काम नेशनल इंफारमेंटिक सेंटर को इसी वर्ष जनवरी में दिया गया। इसने पिछले सप्ताह अपनी रिपोर्ट पुरातत्व विभाग को सौंपी है। इसके लिए उसे 2.75 लाख रुपये दिए गए हैं।
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आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि महत्वाकांक्षी योजना की प्रासंगिकता को देखते हुए आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए यूनेस्को अचानक आगे आया और उसने अपनी तरफ से इस योजना मे धन लगाने का प्रस्ताव रखा है। हालांकि चार चरणों में पूरी होने वाली इस योजना के लिए यूनेस्को फिलहाल मात्र 10 लाख डालर ही देगा। जबकि परियोजना पर कुल मिलाकर 20 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि यूनेस्को द्वारा प्रदान की जाने वाली धनराशि यद्यपि बहुत कम है। लेकिन यूनेस्को के साथ चल रही बातचीत से इस बात की आशा बंधती है कि इस परियोजना पर व्यय होने वाली धनराशि देने के लिए वह शीघ्र ही तैयार हो जाएगा। परियोजना ढाई साल में पूरी होगी। सांस्कृतिक धरोहर पार्कों का निमार्ण अमेरिका के डिज्नी इंडोर इंटरैक्टिव थीम पार्क तथा जापान के टोकियो नेशनल म्यूजियम की तर्ज पर होगा। इन पार्कों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत सराहा गया है और भारतीय पुरातत्व विभाग ने इन्हें परियोजना के लिए आदर्श माना है।
(मूल रूप से दैनिक जागरण के नई दिल्ली संस्करण में दिनांक 20 जून, 2000 को प्रकाशित)