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UP Nikay Chunav 2023: जयंत सिंह भी चले मायावती की राह, निकाय चुनाव प्रचार से बनाई दूरी
UP Nikay Chunav 2023: सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव सहारनपुर में थे, लेकिन जयंत वहां कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। इसी तरह मेरठ में जैसा कि रालोद सूत्रों का कहना है कि सपा के राष्ट्रीय अखिलेश यादव जनसभा में भी जयंत सिंह की ना हो गई है। अखिलेश यादव की जनसभा पहले सात मई को प्रस्तावित थी, मगर अब यह जनसभा नौ मई को हो सकती है।
UP Nikay Chunav 2023 Meerut News: पश्चिमी यूपी की राजनीति में खासा असर रखने वाले रालोद प्रमुख जयंत चौधरी भी बसपा प्रमुख मायावती की तरह निकाय चुनाव प्रचार से दूर दिख रहे हैं। बसपा प्रमुख मायावती ने मेयर की 17 में से 11 सीटों पर मुसलमानों को मैदान में उतारकर अल्पसंख्यक समुदाय का दिल जीतने की जरुर कोशिश की है। लेकिन पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार से उन्होंने दूरी बना रखी है। वहीं जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन कर रहे पहलवानों का समर्थन करते दिखे रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने भी अपनी पार्टी के उम्मीदवार के लिए अब तक प्रचार नहीं किया है।
पिछले दिनों सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव सहारनपुर में थे, लेकिन जयंत वहां कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। इसी तरह मेरठ में जैसा कि रालोद सूत्रों का कहना है कि सपा के राष्ट्रीय अखिलेश यादव जनसभा में भी जयंत सिंह की ना हो गई है। अखिलेश यादव की जनसभा पहले सात मई को प्रस्तावित थी, मगर अब यह जनसभा नौ मई को हो सकती है। यही नहीं, समरसता अभियान के तहत जयंत चौधरी के पार्टी विधानसभा क्षेत्रों में कार्यक्रम भी निकाय चुनाव के बाद के रखे गये हैं।
जिसके अनुसार 19-20 मई को बागपत,23 मई को धनौरा,24 मई को नौगांवा,26 नई को फतेहपुर सीकरी,27 मई को आगरा ग्रामीण,30 मई को मुरादनगर,31 मई को मोदीनगर,2 जून को बिजनौर 3 जून को चांदपुर में उनके कार्यक्रम तय किये गए हैं। जयंत चौधरी द्वारा निकाय चुनाव से दूरी बना लिए जाने के राजनितक हलकों में अलग-अलग मतलब निकाले जा रहे हैं। हालांकि अभी तक इस संबंध में जयंत अथवा उनकी पार्टी के किसी बड़े नेता का बयान सामने नहीं आया है।
इस बारे में पूछने पर रालोद के प्रदेश मीडिया संयोजक सुनील रोहटा ने इतना ही कहा कि प्रदेश में चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी क्षेत्रीय नेताओं को सौंपी गई है। मेरठ में भी चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी पार्टी के विधायक, जिलाध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों को सौंपी गई है। कई स्थानों पर रालोद और सपा के प्रत्याशी आमने-सामने चुनाव लड़ रहे हैं। रालोद और सपा कह भी चुके हैं कि कई स्थानों पर उनका दोस्ताना संघर्ष है। गठबंधन है, लेकिन यह अलग तरह का चुनाव होता है। लोकसभा चुनाव में गठबंधन रहेगा।