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आलू की बंपर पैदावार बनी किसानों के लिए मुसीबत, कोल्ड स्टोरेज में रखने की जगह नहीं, रेट को लेकर भी नाराजगी

Aloo ki Paidawar: आलू की बंपर पैदावार से किसानों को परेशानी झेलनी पड़ रही। कोल्ड स्टोरेज में मनमानी के चलते भी किसानों में नाराजगी दिख रही है। जगह होने पर भी किसानों को लंबे समय तक इंतजार का भी सामना करना पड़ रहा है।

Anshuman Tiwari
Published on: 17 March 2023 3:37 PM IST (Updated on: 17 March 2023 3:38 PM IST)
आलू की बंपर पैदावार बनी किसानों के लिए मुसीबत, कोल्ड स्टोरेज में रखने की जगह नहीं, रेट को लेकर भी नाराजगी
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आलू की खेती

Aloo ki Paidawar: उत्तर प्रदेश में इस बार आलू की बंपर पैदावार ने किसानों के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है। हालत यह हो गई है कि किसानों को कोल्ड स्टोरेज में आलू रखने के लिए जगह नहीं मिल रही है। कई जगह कोल्ड स्टोरेज में मनमानी के चलते भी किसानों में नाराजगी दिख रही है। जगह होने पर भी किसानों को लंबे समय तक इंतजार का भी सामना करना पड़ रहा है।
इसके साथ ही आलू के लिए प्रदेश सरकार की ओर से तय किए गए रेट को लेकर भी किसानों में नाराजगी दिख रही है। प्रदेश के विभिन्न जिलों में किसान इसे लेकर जनप्रतिनिधियों से अपनी शिकायत दर्ज करा रहे हैं। बंपर पैदावार का किसानों को तो फायदा नहीं मिल पा रहा है मगर बिचौलिए मुनाफा कमाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

इस बार आलू उत्पादन का रिकॉर्ड टूटा

उत्तर प्रदेश में मुख्य रूप से फर्रुखाबाद, कन्नौज, कानपुर, कासगंज, मैनपुरी, आगरा, एटा, हरदोई, अलीगढ़, इटावा, उन्नाव, फिरोजाबाद, बाराबंकी और मथुरा आदि जिलों में आलू की पैदावार होती है। वैसे तो देश के कई अन्य हिस्सों में भी आलू पैदा किया जाता है मगर उल्लेखनीय बात यह है कि देश में पैदा होने वाले आलू के 35 फ़ीसदी हिस्से का उत्पादन अकेले उत्तर प्रदेश में होता है। ऐसे में आलू की पैदावार के नजरिए से उत्तर प्रदेश को सबसे प्रमुख राज्य माना जाता रहा है।
इस बार उत्तर प्रदेश में आलू की बंपर पैदावार किसानों के लिए बड़ी मुसीबत बन गई है। जानकारों के मुताबिक इस बार उत्तर प्रदेश में 242 लाख मैट्रिक टन आलू की पैदावार हुई है। इस पैदावार ने आलू उत्पादन का कई साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है मगर किसानों के लिए सबसे बड़ी दिक्कत यह पैदा हो गई है कि आलू को रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज में जगह नहीं मिल रही है। कोल्ड स्टोरेज में आलू को रखकर किसान अपनी फसल के प्रति निश्चिंत हो जाते हैं मगर जगह न मिलने का कारण काफी बड़ी मात्रा में आलू खराब होने की आशंका पैदा हो गई है।

रेट को लेकर किसानों में भारी नाराजगी

रिकॉर्ड पैदावार की मुसीबत के साथ ही किसान आलू के रेट को लेकर भी नाराज बताए जा रहा है। प्रदेश सरकार की ओर से सात जिलों में आलू खरीदने की व्यवस्था की गई है और इसके लिए 650 रुपए प्रति क्विंटल का रेट तय किया गया है। सरकार की ओर से तय किए गए इस रेट को लेकर किसान खुश नहीं हैं। कई जिलों में किसान इस बाबत अपनी शिकायत दर्ज कराने की कोशिश में जुटे हुए हैं। अपने इलाकों का दौरा करने वाले जनप्रतिनिधियों को भी किसानों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है।
किसान आलू का रेट काफी कम तय किए जाने की शिकायत कर रहे हैं। उनका कहना है कि आलू की पैदावार की लागत ही नौ सौ से एक हजार रुपए प्रति क्विंटल तक की है। ऐसे में सरकार की ओर से तय किए गए रेट पर आलू बेचने से किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।

सपा प्रदेश सरकार को घेरने में जुटी

दूसरी ओर समाजवादी पार्टी भी इस मुद्दे को लेकर प्रदेश सरकार को घेरने की कोशिश में जुटी हुई है। सपा की ओर से नारा दिया गया है यूपी में अबकी बार,आलू बदलेगा सरकार। दरअसल सपा किसानों की नाराजगी का सियासी फायदा उठाने की कोशिश में जुट गई है। सपा की ओर से इस मुद्दे को लेकर प्रदेश सरकार की घेरेबंदी की जा रही है।
देश में जल्द होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर किसानों की इस नाराजगी ने प्रदेश सरकार की चिंताएं बढ़ा दी हैं। जानकारों का मानना है कि किसानों के यह नाराजगी सरकार के लिए बड़ी मुसीबत बन सकती है।

Anshuman Tiwari

Anshuman Tiwari

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