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उप्र शिया वक्फ बोर्ड ने किया नागरिकता संशोधन कानून का समर्थन

बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने केन्द्र सरकार को इस सम्बन्ध में पत्र लिखकर सीएए के दायरे में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के शिया मुसलमानों को भी शामिल करने की मांग का हवाला दिया है।

SK Gautam
Published on: 17 Dec 2019 3:33 PM GMT
उप्र शिया वक्फ बोर्ड ने किया नागरिकता संशोधन कानून का समर्थन
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लखनऊ: उप्र शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) का समर्थन किया है। बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने केन्द्र सरकार को इस सम्बन्ध में पत्र लिखकर सीएए के दायरे में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के शिया मुसलमानों को भी शामिल करने की मांग का हवाला दिया है।

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अफगानिस्तान-पाकिस्तान के शिया मुसलमानों को भी सीएए में शामिल करने की मांग

रिजवी ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्र की सुरक्षा सबसे ऊपर है, जिससे कोई समझौता नहीं हो सकता। एनआरसी और सीएए राष्ट्र की सुरक्षा से संबंधित हैं। उप्र शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड इसका समर्थन करता है। उन्होंने आरोप लगाया कि कट्टरपंथी सुन्नी मुसलमान सरकार विरोधी पार्टियों की साजिश का शिकार हो गए हैं, जो सड़क पर उतर कर उग्र प्रदर्शन कर रहे हैं।

शियाओं को इस विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं होना चाहिए। क्योंकि शियाओं पर सुन्नियों की ज्यादती का ब्यौरा देते हुए एक प्रतिवेदन भारत सरकार को सौंपा है कि शिया भी इन मुसलमानों के जुल्म का शिकार हैं।

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कट्टरपंथी मुसलमान शिया मुसलमान पर भी जुल्म करते हैं

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में कट्टरपंथी मुसलमान शिया मुसलमान पर भी जुल्म करते हैं, इसलिए सीएए में यहां के शियाओं को भी शामिल करना चाहिए। भारत सरकार हमारी बात पर विचार कर रही है।

रिजवी ने बताया कि एक लाख से ऊपर शिया मुसलमान तो सिर्फ अफगानिस्तान में तालिबान ने मारे हैं। हजारों शिया पाकिस्तान में मारे जा चुके हैं और देश के विभाजन के समय जो मुसलमान भारत छोड़ कर गये थे उसमें शियों की तादाद बहुत कम थी। इसलिए शिया पाकिस्तान में मात्र 12 प्रतिशत है।

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शिया वक्फ बोर्ड की सम्पत्तियों पर विरोध प्रदर्शन हुआ तो बोर्ड उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा

उन्होंने कहा कि मुस्लिम मदरसों और मुस्लिम शैक्षणिक संस्थानों में पहले से ही विदेशी घुसपैठिए छुपे हुए हैं। यह देश के लिए बड़ा खतरा भी हैं। देश भर में जो विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं उनमें इन्हीं विदेशी ताकतों का हाथ है। देश के युवाओं को बहकाया जा रहा है। शियाओं को इस विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं होना चाहिए। शिया वक्फ बोर्ड की सम्पत्तियों पर अगर कोई विरोध प्रदर्शन हुआ तो बोर्ड उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा।

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