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Uttar Pradesh News: यूपी के इस जिले में तैयार होती है AK-203, दुश्मनों के छक्के छुड़ाने वाली राइफल की ये बड़ी खासियत
Uttar Pradesh News:अगले 10 सालों में 6 लाख 1 हजार 427 राइफल्स बनाई जाएंगी। आइए जानते हैं कि इस राइफल से जुड़े डिटेल्स....
Uttar Pradesh News: क्या आपको पता है कि भारतीय असॉल्ट राइफल कलाशनिकोव AK-203 का उत्पादन उत्तर प्रदेश के अमेठी स्थित कोर्वा ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में किया जाता है। मीडिया की एक खबर के मुताबिक 5,000 एके-203 राइफलों की पहली खेप इस साल मार्च तक सेना को सौपी जा चुकी है। जबकि अगले 32 महीनों में 70 हजार एके- 203 राइफल्स को भारतीय सेना के सुपुर्द की जाएंगीं। अगले 10 सालों में 6 लाख 1 हजार 427 राइफल्स बनाई जाएंगी। आइए जानते हैं कि इस राइफल से जुड़े डिटेल्स.... गन प्वाइंट पर लगी दूरबीन से रखती है अपने दुश्मनों पर अचूक नजर,
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6.01 लाख असॉल्ट राइफलों के निर्माण का लक्ष्य
कोर्वा ऑर्डिनेंस फैक्ट्री भारतीय फिलहाल सेना के लिए कुल मिलाकर 6.01 लाख असॉल्ट राइफलों के निर्माण का लक्ष्य लेकर चल रहा है। इससे पहले रूस से 70 हजार से 1 लाख राइफल्स, उनके पार्ट्स और टेक्नोलॉजी भारत भेजी जा चुकी है। एके-203 AK सीरीज की सबसे एडवांस असॉल्ट राइफल में शुमार है। इस राइफल के आने के बाद से उम्मीद की जा रही है कि भारत में इंसास का इस्तेमाल जल्द ही बंद हो जाएगा या फिर धीरे धीरे बेहद कम हो जाएगा। एके-203 इंसास से कई मामलों में प्रयोग में बेहतर, सुविधाजनक और घातक है। उत्तर प्रदेश के अमेठी में कोरवा ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में 7.62 एमएम असॉल्ट राइफलों की पहली खेप का उत्पादन किया जा चुका है। भारतीय सेना को इसकी डिलीवरी की शुरुवात की जा चुकी है। इसके साथ ही कारखाने के पास भारत के दूसरे सुरक्षाबलों को भी हथियार मुहैया कराने की क्षमता में और ज्यादा इजाफा किया जा रहा है। इसके साथ ही कारखाने के पास भारत के दूसरे सुरक्षाबलों को भी हथियार मुहैया कराने के लिए भी अपनी कमर कस रखी है। सिर्फ यही नहीं उत्तर प्रदेश के अमेठी क्षेत्र में निर्मित की जा रहीं राइफलों को कंपनी दूसरे देशों को भी निर्यात करने की भी क्षमता रखती है।
क्या है एके-203 असॉल्ट और इसांस राइफल के बीच का फर्क
भारतीय सेना लंबे समय से इंसास राइफलों का प्रयोग करती आ रही है। वहीं अब भारतीय सेना को इसांस रायफल से कहीं ज्यादा अत्याधुनिक एके-203 असॉल्ट राइफल मिलने के बाद उसकी ताकत में जरूर इजाफा होगा। दोनों ही राइफलें गैस ऑपरेटेड, रोटेटिंग बोल्ट तकनीक पर काम करती है। एके-203 राइफल इंसास से छोटी और हल्की है जबकि इंसास बिना मैगजीन और बेयोनेट के भी 4.15 KG की है। AK-203 का वजन 3.8 KG है। इंसास की लंबाई 960 मिमी है वहीं एके-203 सिर्फ 705 मिमी लंबी है। वजन और लंबाई कम होने पर राइफल को लंबे समय तक आसानी से उठाया जा सकता है।
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इससे सेना के जवान को थकान भी नहीं महसूस होती। इस राइफल में AK-203 में 7.62x39mm की बुलेट्स लगती हैं, जो ज्यादा घातक होती हैं। वहीं इंसास में 5.56x45mm की गोलियां लगती हैं। इंसास की रेंज 400 मीटर है, जबकि AK-203 की रेंज 800 मीटर है। यानी काफी दूर से दुश्मन को ढेर कर सकते हैं। INSAS सिंगल शॉट और तीन-राउंड का बर्स्ट फायर करती है। AK-203 सेमी-ऑटोमैटिक या ऑटोमैटिक मोड में चलती है। सिर्फ एक ही मामले में इंसास बेहतर है। इंसास एक मिनट में 650 गोलियां दाग सकती है, जबकि AK-203 सिर्फ 600 गोलियां ही दागती है।
INSAS में 20 से 30 राउंड की मैगजीन लगती है। AK-203 में 30 राउंड की बॉक्स मैगजीन लगती है। इंसास की मजल वेलोसिटी 915 मीटर प्रति सेकेंड है। AK-203 की मजल वेलोसिटी 715 मीटर प्रति सेकेंड है। इंसास की गोलियां ज्यादा तेज गति से जाती है।
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दूरबीन तकनीक से करती हैं घातक हमला
इस राइफल में दूरबीन काफी मददगार साबित होती है जिसकी मदद से हमला भी उतना ही घातक तरीके से करने की क्षमता रखती है। इंसास राइफल पर इन-बिल्ट आयरन साइट, माउंट प्वाइंट लगाया जा सकता है, ताकि दूरबीन से दुश्मन को देखा जा सके। इस मामले में AK-203 ज्यादा बेहतर है क्योंकि इसपर एडजस्टबल आयरन साइट तो है ही, इसके अलावा पिकैटिनी रेल लगी है यानी आप दुनिया के किसी भी तरह के दूरबीन को इस बंदूक पर लगा कर अपने टारगेट पर अचूक वार कर सकते हैं।