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हत्यारे ने ऐसे किया 'कांड' कि गोल-गोल घुम गया पुलिस का दिमाग
आपने कई हिंदी फिल्मों राम-श्याम और सीता-गीता में जुड़वा भाई या बहनों की कहानी देखी होगी और एक जैसे चेहरे और कद-काठी की वजह से होने वाली गड़बड़ियों से भी रूबरू हुए होंगे।
लखनऊ: आपने कई हिंदी फिल्मों राम-श्याम और सीता-गीता में जुड़वा भाई या बहनों की कहानी देखी होगी और एक जैसे चेहरे और कद-काठी की वजह से होने वाली गड़बड़ियों से भी रूबरू हुए होंगे। यूपी के कन्नौज में दो भाइयों ने जुड़वा न होने के बावजूद ऐसी हेराफेरी की कि दो साल तक किसी को इसकी भनक भी नहीं लगी। लेकिन दो साल बाद दो भाइयों की अजब-गजब हेराफेरी सामने आने के बाद पुलिस तो हैरान रह गई और लोगों की जुबां पर रहा-ऐसा भी होता है क्या?
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हेराफेरी बिल्कुल फिल्मी है लेकिन चेहरे और नाम जुदा हैं
यह हेराफेरी बिल्कुल फिल्मी है लेकिन चेहरे और नाम जुदा हैं। एक भाई अपने दूसरे भाई के नाम पर फौज में नौकरी कर रहा है तो दूसरा भाई उसकी जगह जेल चला गया है। हत्या के मामले में आरोपित की जगह दूसरे भाई के जेल जाने पर वादी ने जब सच सामने रखा तो पुलिस ही कठघरे में खड़ी हो गई। मामला कन्नौज के थाना विशुनगढ़ के गांव रुद्रपुर जमामर्दपुर का है, जहां 22 जुलाई 2018 को डीजे साउंड बजाने को लेकर मारपीट व फायरिंग में एक व्यक्ति रामपाल घायल हो गया था। घायल रामपाल के भाई धर्मपाल ने फौजी अंकित, अनुराग व आशीष, रामदास व शुभम के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।
मुकदमे में शंकरपुर चैकी इंचार्ज सत्येंद्र सिंह ने विवेचना के दौरान 23 जुलाई 2018 को धारा 326 बढ़ा दी थी। वहीं 29 जुलाई 2018 को कानपुर हैलट में घायल रामपाल की मौत होने पर हत्या की धारा बढ़ाते हुए थाना प्रभारी सुजीत वर्मा को विवेचना मिल गई थी। 02 जनवरी 2019 को अंकित यादव की ओर से सीजेएम न्यायालय में समर्पण पत्र दाखिल करने के बाद पुलिस ने बिना जांचे ही जेल भेज दिया था और बाद में चार्जशीट दाखिल कर दी थी।
जेल भेजने के बाद आई नई समस्या
वादी धर्मपाल हत्यारोपितों को सजा दिलाने के लिए अदालत में पैरवी कर रहे है। इसी बीच उन्हें पता चला कि आरोपित अंकित सेना में नौकरी कर रहा है तो वह पड़ताल में जुट गए। सामने आया कि आदित्य के नाम से उसका भाई अंकित सेना में नौकरी कर रहा है और अंकित बनकर आदित्य ने आत्मसमर्पण किया है। इस सच्चाई को उजागर करते हुए उन्होंने वकील के माध्यम से अदालत में मामला उठाया और हाईकोर्ट तक गुहार लगाई।
पुलिस की लापरवाही सामने आने पर हाईकोर्ट ने उच्चाधिकारियों को नोटिस किया है। पड़ताल में सामने आया कि भाई आदित्य यादव के शैक्षिक दस्तावेज फर्जी तरीके से सेना में लगाकर अंकित नौकरी कर रहा है। वहीं भाई को बचाने के लिए आदित्य यादव ने ही अंकित यादव बनकर सीजेएम न्यायालय में 2 जनवरी 2019 को आत्मसमर्पण किया। पुलिस ने भी जांच पड़ताल किए बिना फर्जी तरीके से कुर्की की भी कार्रवाई की।
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थाना प्रभारी विशुनगढ़ इंद्रपाल सरोज ने कहा
थाना प्रभारी विशुनगढ़ इंद्रपाल सरोज का कहना है कि मामला वर्ष 2018 का है, जांच की जा रही है। धोखाधड़ी करने के मामले में आरोपित पर मुकदमा दर्ज किया गया है। एसपी ने नौकरी कर रहे फौजी अंकित को गिरफ्तार करने के लिए थाना प्रभारी को बीती 26 फरवरी को आदेश जारी किए हैं। थाना प्रभारी ने अंकित के भाई आदित्य पर धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में मुकदमा लिखा है।
मामले की जांच शंकरपुर चैकी इंचार्ज रंजन लाल को दी गई है। वास्तविक अंकित की गिरफ्तारी के लिए कन्नौज पुलिस ने सेना की कुमायूं सेंटर 17 रानीखेत उत्तराखंड यूनिट के पते पर कमांडेंट अफसर को पत्र भेजा और उत्तराखंड पहुंचकर आरोपित अंकित को गिरफ्तार कर लिया।
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