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CAA के खिलाफ प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट से आई ये बड़ी खबर
बता दे कि राजधानी लखनऊ के घंटाघर पर सीएए और एनआरसी के विरोध में महिलाओं का प्रदर्शन चल रहा है। सीएए को लेकर 19 दिसंबर के प्रदर्शन के दौरान मदेयगंज में हुई हिंसा के मामले में भी पुलिस ने तीन लोगों को अरेस्ट भी किया था।
लखनऊ: पिछले दिनों लखनऊ के घंटाघर में चल रहे सीएए और एएनआरसी के विरोध प्रदर्शन को लेकर दाखिल की गयी याचिका सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार कर ली गयी है। यह याचिका अधिवक्ता शिशिर चतुर्वेदी ने दाखिल की थी।
याचिकाकर्ता की मांग थी कि इस धरना प्रदर्शन को बंद करवाया जाना चाहिए। गौरतलब है कि एक महीने से अधिक चल रहे इस प्रदर्शन में एक ही समुदाय के सैकड़ों लोग यहां धरना प्रदर्शन कर रहे है।
जिसको बंद करवानेे की याचिका दाखिल की गयी थी। यह याचिका अधिवक्ता शिशिर चतुर्वेदी की तरफ से दाखिल की गयी थी जिसेे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार किया है। याचिका की अब अगली सुनवाई आगामी 6 मार्च को होगी।
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महिलाओं का प्रदर्शन जारी
बता दे कि राजधानी लखनऊ के घंटाघर पर सीएए और एनआरसी के विरोध में महिलाओं का प्रदर्शन चल रहा है। सीएए को लेकर 19 दिसंबर के प्रदर्शन के दौरान मदेयगंज में हुई हिंसा के मामले में भी पुलिस ने तीन लोगों को अरेस्ट भी किया था।
गिरफ्तार हुए लोगों के अलावा पुलिस ने ठाकुरगंज निवासी शफीक, इंदिरानगर निवासी दीपक कबीर, रिहाई मंच के अध्यक्ष अमीनाबाद निवासी शोएब, बाजारखाला निवासी उज्जमाव परवीर, मोहम्मद सैफ, नदीम अंसारी समेत 13 लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 145, 147, 148, 283, 353 और 7 सीएल ऐक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की है।
घंटाघर परिसर में सीएए के विरोध में चल प्रदर्शन को खत्म करवाने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई से हाई कोर्ट इनकार कर चुका है। कोर्ट ने कहा कि 22 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाई कोर्ट को निर्देश दिए हैं कि सीएए से संबंधित याचिकाएं नहीं सुनेंगे। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है।
गौरतलब है कि अधिवक्ता शिशिर चतुर्वेदी की तरफ से दाखिल पीआईएल खारिज की है। याची का कहना था कि धारा 144 लागू होने के बावजूद घंटाघर परिसर में अवैध तरीके से धरना प्रदर्शन चल रहा है। याचिका में धरना-प्रदर्शन पर रोक और प्रदर्शनकारियों पर सख्त कार्रवाई के लिए पुलिस व प्रशासन को आदेश देने की मांग की गई थी।
याचिका पर सुनवाई से पहले ही हाईकोर्ट ने इंडियन यूनियन ऑफ मुस्लिम लीग की याचिका पर शीर्ष अदालत ने सभी उच्च न्यायालयों को सीएए के संबंध में दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई न करने को कहा था। इसके बाद सीएए से संबंधित याचिकाएं सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन थीं।
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