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वाह री यूपी पुलिस, अपने ही मृत साथियों की सूची बनाने में रहे फिसड्डी

उत्तर प्रदेश में कोरोना काल दौरान कोरोना योद्धाओं की अगली पंक्ति में शामिल पुलिसवालों के साथ घोर लापरवाही का मामला सामने आ रहा है।

raghvendra
Published on: 8 March 2021 8:07 AM GMT
वाह री यूपी पुलिस, अपने ही मृत साथियों की सूची बनाने में रहे फिसड्डी
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फोटो— सोशल मीडिया

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कोरोना काल दौरान कोरोना योद्धाओं की अगली पंक्ति में शामिल पुलिसवालों के साथ घोर लापरवाही का मामला सामने आ रहा है। यह लापरवाही किसी और की नहीं बल्कि खुद पुलिस महकमे की है। उत्तर प्रदेश पुलिस के पास कोरोना काल में जान गंवाने वाले अपने ही साथियों की सूची नहीं है। वहीं कोरोना काल के दौरान जान गंवाने वाले पुलिसकर्मियों की सूची न मिलने पर डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने कड़ी नाराजगी जताई है। बताते चलें कि सूची न मिलने की वजह से मृत पुलिसकर्मियों के परिजनों को जो राशि मिलनी थी, वह नहीं मिल पा रही है।

घोर लापरवाही आई सामने

गौरतलब है कि कोरोना काल के दौरान पुलिसकर्मियों का जो योगदान रहा वह काबिले तारीफ रहा। पुलिसकर्मियों ने अपनी जान जोखिम में डाल कर लोगों को न सिर्फ बिना जरूरी काम के बाहर निकलने से रोका बल्कि इस महामारी से निपटने में भी लोगों का साथ दिया। इसके चलते कई पुलिसकर्मी कोरोना वायरस की चपेट में आ गए। लेकिन सिक्के के दो पहलू होते हैं। एक पहलू यह है कि कुछ पुलिसकर्मी ऐसे है जो दूसरों की सुरक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डाल देते हैं, वहीं कुछ ऐसे भी है जिन्हें अपने ही मृत साथियों की सूची तैयार करने में दिक्कत हो रही है। कोरोना काल के दौरान अपनी जान जोखिम में डालकर ड्यूटी दे रहे पुलिसकर्मियों की जनता ने फूल—मालाओं से स्वागत किया था। लेकिन विभागीय लापरवाही का खामियाजा मृत पुलिसकर्मियों के परिजनों को भुगतना पड़ रहा है।

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पुलिस के पास मृतकों का नहीं है आंकड़ा

फिलहाल डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी की नाराजगी के बाद यह माना जा रहा है कि कोरोना काल के दौरान जान गंवाने वाले पुलिसकर्मियों के परिजनों को राहत मिल पाएगी। वहीं विभागीय सूत्रों की मानें तो यूपी पुलिस के कोरोना काल के दौरान जान गंवाने वाले पुलिसकर्मियों का सही आंकड़ा ही नहीं है। ऐसे में पुलिस किस आधार पर मृत पुलिसकर्मियों की सूची तैयार करेगी यह बड़ा सवाल है। खैर यह देखना दिलचस्प होगा कि यूपी पुलिस अपने मृत साथियों की सूची कब तक तैयार करती है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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