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बेनूर हुए बनारस के घाट, बंदिश हटने के बाद भी कर्फ्यू जैसा माहौल
कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए लोग घरों में ही कैद होना मुनासिब समझ रहे हैं। लोग बेवजह बाहर जाने से कतरा रहे हैं। यहां तक की श्रद्धालुओं से पूरे दिन गुलजार रहने वाले घाटों पर भी इक्का-दुक्का लोग ही दिखाई दे रहे हैं।
वाराणसी। बनारस के विश्व प्रसिद्ध गंगा घाटों पर विरानी पसरी हुई है। गंगा की लहरों पर चलने वाली नावें अब भी खामोश हैं। जिला प्रशासन ने लॉकडाउन की बंदिशें हटा ली हैं, फिर भी घाटों पर सैलानियों की आमद बेहद कम है। इसे लेकर नाविक बेहद परेशान हैं। नाविकों को उम्मीद थी कि संचालन से प्रतिबंध हटने के बाद उनका धंधा पटरी पर आ जाएगा, लेकिन अभी तक के हालात को देखने के बाद नाविक बेहद निराश हैं।
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कोरोना काल में घरों में कैद हुए सैलानी
कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए लोग घरों में ही कैद होना मुनासिब समझ रहे हैं। लोग बेवजह बाहर जाने से कतरा रहे हैं। यहां तक की श्रद्धालुओं से पूरे दिन गुलजार रहने वाले घाटों पर भी इक्का-दुक्का लोग ही दिखाई दे रहे हैं। सुबह-ए-बनारस का नजारा हो या फिर शाम की गंगा आरती। नाम मात्र के लोग ही घाटों पर पहुंच रहे हैं। इसका सीधा असर नाव कारोबार पर पड़ रहा है। दशाश्वमेध घाट के मनीष साहनी कहते हैं कि कुछ दिन पहले जिला प्रशासन ने नाव संचालन की इजाजत दी तो हमारे अंदर उम्मीद जगी। लेकिन कोरोना की वजह से घाटों पर कर्फ्यू सा नजारा दिख रहा है।
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बरसात में नाव संचालन पर लग जाएगा ब्रेक
वाराणसी में नाव संचालन से लगभग दस हजार लोग जुड़े हैं। बनारस के चौरासी घाटों के बीच लगभग 2500 नावें चलती हैं। लेकिन मौजूद दौर में सिर्फ सौ के आसपास नाव ही गंगा में चल रही हैं। नाव संचालक अनुज बताते हैं कि लॉकडाउन की वजह से नाविक पहले ही परेशान थे। आने वाले महीनों में बरसात के चलते फिर नाव संचालन पर रोक लगा दी जाएगी। ऐसे कई परिवारों के सामने फंकाकशी की नौबत आ गई है। अब जबकि घाटों पर बंदिशें हटा ली गई हैं, उसके बावजूद सैलानियों का टोटा, परेशान करने वाला है।
रिपोर्टर- आशुतोष सिंह, वाराणसी
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